टीएनपी डेस्क(TNP DESK): क्या अपने ही चक्रव्यूह में फंसती जा रही है हेमंत सरकार, विधान सभा में हेमंत सरकार ने ये तो कह दिया कि युवाओं के साथ न्याय करेगी झारखंड सरकार, पर सबसे ज्वलंत सवाल ये उठता है कि कैसे न्याय करेगी सरकार, आखिर किस तरीके से और किन उपायों से जो लोग अपनी नियुक्ति की राह देख रहे थे, उन युवाओं को हेमंत सोरेन सरकार नौकरी दे सकेंगे. अपने भाषण में हेमंत ने ये दावा तो कर दिया कि हम नौकरी देंगे लेकिन कैसे ये नहीं बताया. वहीं अनंत ओझा ने जब सवाल उठाया कि अबतक कितने लोगों को रोजगार दिया जा चुका है तो इसके जवाब मे भी हेमंत ने गोल मोल लंबे चौड़े बातों का पुलिंदा बना कर सवाल कि मूल भावना को दरकिनार कर दिया. इससे आखिर क्या साबित होता है. बता दें नियोजन नीति रद्द होने के साथ ही झारखंड में सियासी भूचाल या गया है . एक ओर जहां विपक्ष सरकार की घेराबंदी की हुई है वहीं दूसरी ओर युवा भी सड़कों पर है. क्या सरकार इस बवाल के बाद से घबरा रही है. इस पूरे मामले में सवाल तो कई है पर जवाब के नाम पर सरकार की तरफ से मिल रही है बातों की जलेबी. एक ऐसी जलेबी जो खुद विवादों की चाशनी में डूबी हुई है.
पांच लाख में से सिर्फ 357 को नौकरी, बाकी का भविष्य अधर में
ज्ञात हो कि हेमंत ने कहा कि युवाओं के सुंदर भविष्य और झारखंड की संस्कृति को देख कर ही ये नीति लाई गई थी. पांच लाख युवाओं को रोजगार देने के लक्ष्य में अबतक सिर्फ 357 लोगों को ही नौकरी दी गई है. विधानसभा में अनंत ओझा ने सवाल उठाया की बाकी युवाओं को रोजगार कब मिलेगा इस पर हेमंत ने कहा कि जब स्थानीयता नीति पास हो जाएगी तब झारखंड के युवाओं को रोजगार मिल सकेगा. अब एक प्रचंड सवाल ये है कि स्थानीयता नीति की अभी लंबी लड़ाई होनी है इसके भी कई कानूनी पेंच है इसके लागू होने में भी संदेह है तब तक युवा क्या करेंगे . बता दें नियोजन नीति की तरह ही स्थानीयता नीति के पेंच फंसे हुए हैं. अभी ये राज्यपाल के पास ही प्रतीक्षित है आगे कितनी प्रतीक्षा करनी होगी इसका कोई उत्तर किसी के पा नहीं है. विधि सम्मत इस स्थानीयता नीति को पास होते होते यदि समय अधिक बीत जाता है तो उन युवाओं का क्या होगा जिनकी उम्र अधिक हो जाएगी. साथ ही पाँच लाख युवाओं को रोजगार देने के नाम पर सिर्फ 357 की नियुक्ति अपने आप में एक मजाक है. बता दें स्थानीयता नीति के लागू होने के लिए अभी लंबी लड़ाई बाकी है ऐसे में क्या हश्र होगा इस नियोजन नीति का और कैसे नए नियोजन नीति लाया जाएगा ये सभी प्रश्न स्वयं ही अपने उत्तर की प्रतीक्षा में है.
सड़कों पर उतरे युवा हेमंत से मांग रहे जवाब
इधर निओजन नीति को लेकर युवा बेरोजगार भी सड़क पर है. लगातार धरना प्रदर्शन और घेराव कर के सरकार से सवाल कर रहे हैं कि आखिर सरकार ऐसी नीति लाती ही क्यों है जो रद्द हो जाती है. हमारे साथ आखिर हेमंत सरकार ये मजाक क्यों कर रही. छात्रों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए कहा कि सरकार जानबूझ कर ऐसी नीति लाती है जो रद्द हो जाए सरकार की मंशा साफ नही है युवाओं को लेकर. हमारे भविष्य के साथ हेमंत सरकार खिलवाड़ कर रही. युवाओं का आक्रोश अपने चरम पर है. अपने भविष्य और रोजगार के लिए चिंतित ये युवा अप सरकार से सवाल पर सवाल उठा रहे. संशोधित नियोजन नीति के रद्द होने से नई नियोजन नीति की प्रतीक्षा मे ये युवा चाहते है की जल्द से जल्द नया एग्जाम कैलेंडर जारी किया जाए. लेकिन जिस प्रकार से हेमंत सरकार चारों ओर से फंसी हुई दिख रही है ऐसे में जल्द से जल्द कोई नई नियोजन नीति लाएगी इसकी संभावना कम ही है. ऐसे में सरकार ने यह साफ भी कर दिया है की अब स्थानीयता नीति के बाद ही नियोजन नीति लाई जाएगी. बता दें स्थानीयता नीति अपने आप में एक विवादित नीति है. इसके लागू होने मे अभी कई पेंच बाकी है. तबतक ये बेरोजगार युवा कहां जाएंगे. पूछ रहा है झारखंड.
विधिसम्मत नहीं थी नियोजन नीति, फिर लागू कैसे हुई
नौजवानों को निराश न करेंगे की दलील पर विपक्ष का करारा हमला कि आखिर कैसे आप इतने युवाओं को रोजगार उपलब्ध करा सकेंगे. बीते 16 दिसंबर को नियोजन नीति को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है इसके बाद से झारखंड की राजनीति मे भूचाल आ गया. बता दे नियोजन नीति को हाईकोर्ट से रद्द होने के तीन प्रमुख कारण थे जिनमें झारखंड बोर्ड से ही दसवीं बारहवीं पास आउट होने की अनिवार्यता. जो की सिर्फ सामान्य वर्ग के छात्रों के साथ थी जबकि अन्य को इससे अलग रखा गया था. सरकार का यह निर्णय संविधान की अनुसूची 14 और 16 का उल्लंघन करता है जो किसी तरह के भेद भाव की अवधारणा नहीं रखता है. पेपर दो से हिन्दी अंग्रेजी विषय को हटा दिया जाना. अब सवाल ये है की यदि विधि सामंत नहीं थी नियोजन नीति तो इसे पास कैसे कर दिया गया. सरकार आखिर क्यों विभाग की सलाह के बाद भी इस नीति को लागू की.
JSSC द्वारा रद्द हुई परीक्षाएं
मालूम हो कि नियोजन नीति 2021 को झारखंड हाईकोर्ट द्वारा रद्द किए जाने के बाद अब झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग (जेएसएससी) ने स्नातक स्तरीय परीक्षा संचालन को लेकर जारी अपना कैलेंडर को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया है. इसे लेकर आयोग के परीक्षा नियंत्रक की ओर से जारी आवश्यक सूचना में कहा गया है कि आयोग के परीक्षा कैलेंडर के माध्यम से आगामी विभिन्न प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए संभावित तिथियों का प्रकाशन किया गया था. जिसे अपरिहार्य कारणों से विलोपित किया जाता है. संशोधित परीक्षा कैलेंडर बाद में प्रकाशित किया जायेगा. बता दें, आयोग की तरफ से नीचे दिए गए निम्नलिखित परीक्षाओं के आयोजन की घोषणा की गयी थी, जिसे रद्द कर दिया गया है.
परिक्षाएं जिन्हें रद्द किया गया
• झारखंड डिप्लोमा स्तर संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा 2022
• रिम्स रांची के अंतर्गत तृतीय श्रेणी के पदों पर नियुक्ति के लिए आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा
• झारखंड औद्योगिक प्रशिक्षण अधिकारी प्रतियोगिता परीक्षा
• झारखंड मैट्रिक स्तर संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा
• स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षक प्रतियोगिता परीक्षा
• झारखंड प्रयोगशाला सहायक प्रतियोगिता परीक्षा
• झारखंड सचिवालय आशुलिपिक प्रतियोगिता परीक्षा
• झारखंड तकनीकी योग्यताधारी स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा
• झारखंड नगरपालिका सेवा संवर्ग संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा
• झारखंड इंटरमीडिएट स्तर संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा
• झारखंड औद्योगिक प्रशिक्षण अधिकारी प्रतियोगिता परीक्षा.
उपरोक्त परीक्षाएं रद्द होने से युवाओं में घोर निराशा है और उनका भविष्य दांव पर लगा हुआ है ऐसे में सरकार का ढीला ढाला रवैया कई सवाल खड़े कर रहा. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी ये मुद्दा गरमाया हुआ है. इसपर सरकार का ये कहना कि जब स्थानीयता नीति लागू होगी तब देंगे रोजगार कहीं न कहीं युवाओं का मनोबल तोड़ रहा है. इन बातों का निचोड़ यही है "न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी".