रांची(RANCHI): झारखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा केंद्र से 1 लाख 36 हज़ार करोड़ रुपये की बकाया राशि मांगने पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. प्रदेश प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि, मुख्यमंत्री राज्य को प्रभावी ढंग से चलाने में असफल रहे हैं. उनके पास कोई भी ऐसी योजना नहीं है, जिसे उन्होंने पांच साल पहले शुरू किया हो और जिसका लाभ अब राज्य की जनता को मिल रहा हो. वे केवल हाल के महीनों में जल्दबाजी में लागू की गई योजनाओं के आधार पर वोट मांग रहे हैं. अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में अब सीएम सोरेन अपनी विफलताओं का दोष केंद्र सरकार पर मढ़ने की कोशिश कर रहे हैं.
साल 1989 से चला आ रहा रॉयल्टी-टैक्स का मामला
अजय साह ने कहा कि, जिस बकाया राशि की बात मुख्यमंत्री कर रहे हैं वह दशकों पुरानी है. यह रॉयल्टी-टैक्स का मामला साल 1989 से इंडिया सीमेंट बनाम तमिलनाडु सरकार के केस से संबंधित है और अभी भी कई मुद्दों की सुप्रीम कोर्ट से व्याख्या होनी बाकी है. लेकिन मुख्यमंत्री जनता को ग़लत आकड़ों से सिर्फ़ भ्रमित कर रहे हैं. हम यह जानना चाहते हैं कि जब शिबू सोरेन केंद्रीय कोयला मंत्री थे तब उन्होंने इस राशि को वापस लाने के लिए कौन सी पहल की थी? क्या उन्होंने इस मुद्दे को कभी किसी कैबिनेट की बैठक में उठाया था?
प्रदेश प्रवक्ता ने आगे कहा कि, सुप्रीम कोर्ट का फैसला जुलाई 2024 में आया है. जबकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इससे महीनों पहले ही क़ानूनी प्रक्रिया के तहत जेल जा चुके थे. ऐसे में उनका कहना कि बकाया राशि मांगने पर उन्हें जेल भेजा गया यह हास्यास्पद है. जहां तक भाजपा सांसदों का सवाल है तो भाजपा के सांसद ही थे जिन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर झारखंड को अलग राज्य बनाया था. भाजपा ने झारखंड को बनाया था और आगे भी भाजपा ही झारखंड का विकास करेगी. इसके विपरीत झारखंड बनने के सबसे बड़े दुश्मन लालू प्रसाद यादव के पास में आज हेमंत सरकार की मास्टर चाभी है.
डीएमएफटी फंड का किया गया है भारी दुरुपयोग
वहीं, केंद्र से झारखंड को मिलने वाले फंड के बारे में अजय साह ने कहा कि केंद्र सरकार ने हमेशा से ही झारखंड को उसकी मांग से अधिक वित्तीय सहायता दी है. नितिन गडकरी ने भी सार्वजनिक रूप से कहा था कि केंद्र सरकार झारखंड को धन देने के लिए तैयार है. लेकिन हेमंत सरकार के अधिकारी सड़क बनाने के बजाए पैसे बनाने में अधिक दिलचस्पी ले रहे हैं. सीएम सोरेन को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनकी सरकार ने डीएमएफटी फंड का किस तरह से उपयोग किया है. झारखंड के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल की रिपोर्ट बताती है कि हेमंत सरकार ने इस फंड का भारी दुरुपयोग किया है. इसे जनता के कल्याण के बजाय अधिकारियों और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं के व्यक्तिगत लाभ और सुख सुविधा के लिए खर्च किया गया है.
उन्होंने बताया कि, राज्य सरकार के कुछ विभागों से पैसे फर्जी खातों में ट्रांसफर किए जाने की पुख्ता खबरें भी सामने आई हैं. क्या राज्य सरकार को पैसे इसी फर्ज़ीवाड़ा के लिए चाहिए? केंद्र सरकार द्वारा राज्य को किसी भी प्रकार के फंड देने के लिए एक संवैधानिक प्रक्रिया होती है और निस्संदेह झारखंड को उसका हक़ सही समय पर उचित प्रक्रिया से मिलेगा. जहां तक रॉयल्टी पर ब्याज की बात है तो यह ब्याज राज्य सरकार को कांग्रेस के पार्टी फंड से मांगना चाहिए क्यों कि यह बकाया उसी वक़्त का है.