टीएनपी डेस्क (TNP DESK): लोकसभा चुनाव की सरगर्मी झारखंड में काफी तेज नजर आ रही है. इसी सरगर्मी में झारखंड में कई नेताओं के पालाबदल की खबरें भी हर दिन अखबारों की सुर्खियां बन रही है. कभी सोरेन परिवार की बड़ी बहु सीता सोरेन का तीर-धनुष का साथ छोड़ कमल की सवारी करने की खबर आती है. तो कभी भाजपा के मुख्य सचेतक रहे, जेपी भाई पटेल के अंदर घर वापसी की चाहत उमड़ती है. इसके साथ ही दर्जनों नेताओं का कतार में लगे रहने के दावे भी हैं. अब इसी कतार में झारखंड प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी की घर वापसी की बात कही जा रही है. हालांकि कुछ दिन पहले तक कुणाल षाड़ंगी के द्वारा इन बातों को खारिज किया जा रहा था. लेकिन सूत्रों के हवाले से यह खबर निकल कर आ रही है कि आज शाम कुणाल षड़ंगी झामुमो में शामिल हो सकते है.
क्यों है झामुमों में शामिल होन के अटकले तेज
यहां ध्यान रहे कि कुणाल षाड़ंगी ने अपनी सियासी शुरूआत झामुमो से की थी. साल 2014 में कुणाल ने बहरागोड़ा विधानसभा से झामो के टिकट पर विधानसभा पहुंचे थे. उस दौरान यह कहा जाता था कि कुणाल षाड़ंगी पूर्व सीएम हेमंत सोरेन काफी खास नेताओं में से एक थे. वे झामुमो के हर छोड़े बड़ा कार्यक्रमों में शामिल होते थे साथ ही हर कार्यक्रम में उनकी भागीदारी रहती थी. लेकिन 2019 के चुनाव में कुणाल ने एका-एक झामुमो छोड़ भाजपा में शामिल होने का फैसला किया. औऱ भाजपा में शामिल हो गए. लेकिन विधानसभा चुनाव में उन्हे झामुमो प्रत्याशी समीर मोहंती के हाथों हार का सामना करना पड़ा था. यहा बता दें कि कुणाल के पिता भी भाजपा के पूराने साथी थे. इस लिए उन्होंने भाजपा में शामिल होने का निर्णय बनाया और शामिल हो गए. लेकिन भाजपा में शामिल होने के बाद उन्हें वह पद नहीं मिल सका जिसकी उन्हें चाहत थी. हालांकि बाद में उन्हें भाजपा ने उन्हें झारखंड प्रदेश प्रवक्ता बना दिया, लेकिन उनकी चाहत कुछ औऱ थी.
जमशेदपुर लोकसभा से चुनाव लड़ने की है मंशा
वहीं विधानसभा में हार के बाद कुणाल षाड़ंगी ने जमशेदपुर लोकसभा सीट चुनाव लड़ने की तैयारी में जुट गये थे. लेकिन भाजपा के द्वारा जारी किए गए लिस्ट में भाजपा ने जमशेदपुर सीट से अपने पुराने साथी विद्यत वरण महतो को उम्मीदवार बनाया और कुणाल षाड़ंगी का कही जिक्र नहीं किया गया था. जिसके बाद से ही इस बात की चर्चा तेज थी कि कुणाल षाड़ंगी कमल का साथ छोड़, घर वापसी का फैसला कर सकते है. लेकिन यहां सवाल खड़ा यह होता है कि जमशेदपुर लोकसभा सीट जहां महतो जाति के लोगों की संख्या काफी ज्यादा है. ऐसे में कुणाल का झामुमो में शामिल होना कितना कारगर होगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा.