दुमका(DUMKA): झारखंड की वर्तमान राजनीति पर दुमका में भारतीय जनता पार्टी के बारे में राजनीतिक जानकार बॉलीवुड में बनी एक फ़िल्म का डायलॉग 'जिनके घर शीशे के बने होते हैं वो दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकते" के आधार पर तंज कस रहें है. दरअसल पूर्व सीएम चंपाई सोरेन ने अपने घरों से लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से झामुमो का निशान क्या हटाया, कयास तेज हो गए. कयास को उस वक्त ज्यादा बल मिला जब चंपाई ने भावुक पोस्ट कर अपनी पीड़ा सार्वजनिक की. पोस्ट में कोल्हान टाइगर ने 3 विकल्पों के जिक्र किया है. फिलहाल चंपाई सोरेन की ओर से न तो, झामुमो से त्यागपत्र दिया गया और ना ही किसी एक विकल्प का चयन किया गया है. टाइगर चंपाई सोरेन के इस कदम से सबसे ज्यादा उत्साहित भाजपा नजर आ रही है. बात राम से लेकर रावण और भरत से लेकर विभीषण तक पहुंच गया.इधर झामुमो की ओरसे भाजपा पर घर तोड़ने का आरोप लगाया जा रहा हैं.
हालांकि झामुमो के आरोप में कितनी सच्चाई है यह तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन ऐसे वक्त में वक्त फ़िल्म का डायलॉग लोग जरूर याद कर रहे हैं. अंतर्कलह से जूझ रही भाजपा में दुमका से लेकर धनबाद तक घमासान मचा है. धनबाद के बाद दुमका में भी भाजपा कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जामा से शुरू हुई बगावत की चिंगारी रामगढ़ होते हुए शिकारीपाड़ा तक पहुंच गई है. कहा तो यह भी जा रहा है कि कुछ दिन पूर्व मसलिया में दर्जनों भाजपा कार्यकर्ता ने झामुमो का दामन थाम लिया था, उसकी वजह जिलाध्यक्ष का मनमानी रवैया है.
कौन है भाजपा जिलाध्यक्ष
वर्तमान में गौरव कांत प्रसाद भाजपा जिलाध्यक्ष है. गौरव पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व राज्य सभा सदस्य अभय कांत प्रसाद के बेटे हैं. वे दुमका जिला के जरमुंडी प्रखंड के रहने वाले हैं जो गोड्डा लोक सभा क्षेत्र में आता है. लोक सभा चुनाव से पूर्व प्रदेश नेतृत्व ने जिला की कमान गौरव कांत के हाथों सौंपा. लोक सभा चुनाव में भाजपा को अपेक्षित सफलता नहीं मिली. चुनाव परिणाम के बाद भाजपा प्रत्याशी सीता सोरेन ने मीडिया में हार की जो वजहें बताई उससे भाजपा में भूचाल आ गया था, भाजपा की गुटबाजी एक बार फिर सतह पर आ गई है.
क्यों हो रहा है जिलाध्यक्ष का विरोध
भाजपा जिलाध्यक्ष गौरव कांत प्रसाद के खिलाफ सबसे पहले जामा मंडल के कार्यकर्ताओं ने विगुल फूंका. विरोध की चिंगारी रामगढ़ होते हुए शिकारीपाड़ा तक पहुंच गई हैं. इधर, विरोध कर रहे भाजपा कार्यकर्ता का आरोप है कि गौरव कांत प्रसाद दुमका जिला के होने के बाबजूद गोड्डा लोक सभा क्षेत्र के रहने वाले हैं. उनका कहना है कि क्या दुमका लोकसभा क्षेत्र में कोई कर्मठ कार्यकर्ता प्रदेश नेतृत्व की नजर में नहीं है. जिसे जिलाध्यक्ष बनाया जाए? विरोध का स्वर तब से सुनाई पड़ने लगा जब जिला की नई कमिटी की घोषणा की गई. विरोधी खेमा जिलाध्यक्ष पर मनमानी करने का आरोप लगा रहे हैं. आरोप है कि पार्टी के नियमों को ताख पर रख कर जिलाध्यक्ष ने जामा और शिकारीपाड़ा पूर्वी मंडल के अध्यक्ष को तीसरी बार जिम्मेदारी सौंपी गयी है. इससे आम कर्तकर्ताओं में नाराजगी देखी जा रही है. विरोधी की बस एक ही मांग है कि वर्तमान जिलाध्यक्ष को हटा कर दुमका लोकसभा क्षेत्र के किसी कर्मठ कार्यकर्ता को जिलाध्यक्ष बनाया जाए. अगर मांगे पूरी नहीं हुई तो आगामी विधानसभा में कार्यकर्ता मन से काम नहीं करेंगे.
क्या होगा इसका परिणाम
जामा विधान सभा के जामा और रामगढ़ मंडल तथा शिकारीपाड़ा विधान सभा के शिकारीपाड़ा पूर्वी और पश्चिमी मंडल के कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. कहा जाता है कि दुमका विधानसभा क्षेत्र के मसलिया में जिलाध्यक्ष की कार्यशैली से नाराज होकर कई कार्यकर्ताओं ने बसंत सोरेन की मौजूदगी में झामुमो का दामन थाम लिया है. इस बाबत हमने मोबाइल पर जिलाध्यक्ष का पक्ष भी जानना चाहा लेकिन वे समय नहीं दे पाए. समय के साथ यह विरोध और बढ़ेगा क्योंकि प्रदेश नेतृत्व द्वारा अब तक गतिरोध समाप्त करने की दिशा में कोई पहल नहीं हुआ है. अगर यही हाल रहा तो आगामी विधान सभा चुनाव में भाजपा का संथाल परगना फतह का सपना दिवास्वप्न ही साबित होगा.
रिपोर्ट: पंचम झा