टीएनपी डेस्क(TNP DESK) : आज के इस भागम भाग वाले दौर में 8 घंटे की नींद तो हमारी जिंदगी से गायब ही हो गई है. वर्क लोड बढ़ता जा रहा है और नींद दूर होते जा रही है. अब किसी को काम की टेंशन है तो किसी को पढ़ाई की और बाकी बचे यंगस्टर्स को नए नए सीरीज देखने की, फिर चाहे इसके लिए नींद को ही क्यों न त्यागना पड़ें. हम अक्सर अपने हेल्थ पर तो ध्यान देते हैं. हमारे शरीर में होने वाले छोटी बड़े बदलावों पर तो हमारा ध्यान चला जाता है, लेकिन हमारे नींद और मानसिक स्वास्थ्य पर ही हम ध्यान देना भुल जाते हैं. ऐसे में हम नींद पूरी न होने पर बीमारियों को तो न्योता दे ही रहे हैं, पर उसके साथ साथ अपनी मानसिक स्वास्थ्य को भी खराब कर रहे हैं. समय से न सोने या अच्छी नींद न लेने के कारण आप अपनी हेल्थ को बाद में पहले अपनी मेंटल हेल्थ को ज्यादा खराब कर रहे हैं. ऐसे में पूरी नींद न होने के कारण आप कई तरह के स्लीपिंग डिसॉर्डर (नींद विकार) के शिकार हो सकते हैं. आज हम बताने वाले हैं ऐसे ही एक स्लीपिंग डिसॉर्डर के बारे में जिसका नाम है स्लीप एपनिया.
क्या है स्लीप एपनिया
नींद पूरी न होने से स्लीप एपनिया जैसी स्लीपिंग डिसॉर्डर होने का खतरा हो सकता है. इस डिसॉर्डर में व्यक्ति नींद में सांस लेना भूल जाता है. जिस कारण घबराहट शुरू हो जाती है और बार बार सांस लेने के लिए व्यक्ति नींद से जाग जाता है. लेकिन दोबारा सोने पर वापस यही समस्या होने लगती है. जिससे आपकी नींद तो प्रभावित होती ही है लेकिन इससे आपके मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है. शुरुआत में इस डिसॉर्डर के कारण कुछ सेकंडस के लिए सांस रुकती है, लेकिन फिर यह गंभीर रूप ले लेती है. रिसर्च के अनुसार, स्लीप एपनिया होने के दो कारण हैं. एक - श्वांस नली का ब्लॉक हो जाना, जिसे ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया कहते हैं और दूसरा - दिमाग का सांस लेने की प्रक्रिया को नियंत्रण न कर पाना, जिसे सेंट्रल एपनिया कहते हैं.
स्लीप एपनिया के लक्षण
स्लीप एपनिया के लक्षण कई सारे हैं, लेकिन उनमें से कुछ ही पहचान में आते हैं.
- इस डिसॉर्डर से पीड़ित लोग जागने के बाद भी थका हुआ महसूस करते हैं.
- अक्सर रात में सोने के बाद भी दिन में काम करते वक्त नींद आना या सिर में दर्द होना.
- अक्सर रात में नींद में खर्राटे लेने की समस्या को हम नजरंदाज कर देते हैं, लेकिन यह स्लीप एपनिया का भी एक लक्षण हो सकता है.
- स्लीप एपनिया से पीड़ित लोगों के मूड में बदलाव या चिड़चिड़ाहट भी एक सामान्य लक्षण है.
- नींद में सांस का रुकना, घबराहट या रात में बार बार नींद का टूटना.
- कुछ याद न रहना, चीजों को भूलना, किसी चीज पर ध्यान या फोकस न कर पाना
स्लीप एपिनया के प्रकार
स्लीप एपिनया के मुख्य तीन प्रकार हो सकते हैं.
पहला ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपिनया होता है. जिसमें श्वांस नली में दवाब पड़ने के कारण सोते वक्त सांस लेने में परेशानी होने लगती है.
दूसरा सेंट्रल स्लीप एपनिया है. इसमें व्यक्ति का मस्तिष्क सांस लेने की प्रक्रिया को ठीक से नियंत्रण नहीं कर पाता है. जिस कारण मांसपेशियों को ठीक तरह से सिग्नल नहीं मिल पाने से सोते समय सांस रुकने लगती है.
मिक्स स्लीप एपनिया, कॉम्प्लेक्स स्लीप एपनिया के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह ऑब्सट्रक्टिव और सेंट्रल दोनों स्लीप एपनिया से मिलकर बनता है.
कौन प्रभावित होते हैं स्लीप एप्निया से
स्लीप एपनिया बच्चों से लेकर किसी भी उम्र के लोगों को हो सकता है. साथ ही अधिक मोटापे या वजन से भी इस बीमारी के होने का खतरा होता है. यहां तक कि, दिल की बीमारियों से पीड़ित लोगों में भी यह हो सकता है. एक रिसर्च के अनुसार, भारत में 13% पुरुष और 5% महिलायें OSA यानी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपिनया व 4.7 करोड़ मध्यम और सीरीयस केस से पीड़ित हैं.
स्लीप एपनिया से होने वाला खतरा
स्लीप एपनिया से दिल कि बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है. साथ ही हाई ब्लड प्रेशर, डिप्रेशन और मधुमेह भी हो सकता है. रात में नींद न पूरी होने के कारण आप इनसोमनिया का भी शिकार हो सकते हैं. जिसमें आप रात भर जाग कर दिन में नींद पूरी करेंगें. दिन में कोई भी काम करते हुए आपको नींद आ सकती है जो कई मामलों में आपके लिए खतरनाक हो सकता है.
स्लीप एपनिया के इलाज
स्लीप एपनिया का पता चलने पर इसका इलाज इसकी गंभीरता पर निर्भर करता है. अगर आप को स्लीप एपनिया कि समस्या है तो आपको सांस लेने कि प्रक्रिया को सामान्य करने और अच्छी नींद के लिए इलाज जरूरी है. इसके लिए घरेलू नुस्खे की जगह किसी न्यूरॉलोजी डॉक्टर से संपर्क करें. साथ ही अपने वजन का भी ख्याल रखे. वजन कम रहने से गर्दन की टिशू भी कम होगी और सांस की नली में प्रेशर कम पड़ेगा, जिससे सांस लेने की परेशानी से आपको थोड़ा राहत मिलेगा. वहीं, कई गंभीर मामलों में मशीन या सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है. स्लीप एपनिया के सामान्य स्तर से पीड़ित लोगों को रात में सोते समय करवट बदलने पर भी आराम मिल सकता है. हालांकि, अब कई आधुनिक मशीन आ गई है, जिसके इस्तेमाल से सांस लेने का प्रेशर आसानी से सेट किया जा सकता है. डॉक्टर के अनुसार सीपीएपी CAP यानी कि कांटीनुअस पॉजटिव एयरवेज प्रेशर थेरेपी स्लीप एपनिया के लिए सबसे बेहतर उपचार है. इसके इस्तेमाल से श्वांस नली को खुला रखने में मदद मिलती है और सांस लेने में मदद करती है.
इससे बचने के लिए क्या करें
दिमाग को सही तरह से काम करने के लिए उसका आराम करना जरूरी है, इसलिए जितना हो सके उतना अपनी नींद पूरी करें. दिन में न सोएं, अगर जरूरत हो तो 30 मिनट का ही नैप लें. खानपान का सही ध्यान दें. अपने खान पान में कैफीन को कम करें. साथ ही घर पर ही रह कर हो सके तो मेडिटेशन या योग करें. वजन के साथ अपने ब्लड प्रेशर को भी कंट्रोल में रखें.