टीएनपी डेस्क (TNP DESK): झारखंड का एक ऐसा खूंखार गैंगस्टर जिसका नाम से ही इलाके में दहशत फैल जाती थी, दुकानों के शटर गिर जाते थे. या यू कहे कि इसके नाम से पूरा शहर कापता था तो यह गलत नहीं होगा. जेलर की दिन दहाड़े हत्या हो या फिर कारोबारी का भरी अदालत में सुरक्षा के बीच मर्डर. उसके खूंखार कारनामे सुन कर आज भी लोगों का दिल दहल जाता है. हम बात कर रहे है जमशेदपुर के खूंखार अपराधी अखिलेश सिंह की जिसके उपर 1 नहीं 2 नहीं बल्कि 56 मामले दर्ज है. फिलहाल अखिलेश सिंह जेल में बंद है. लेकिन उसका दहशत अभी भी इलाके में कायम है.
अखिलेश सिंह कैसे बना जमशेदपुर का डॉन
चलिए जानते है अखिलेश सिंह लोहनगरी जमशेदपुर का कैसे डॉन बन गया. अखिलेश सिंह जमशेदपुर के सिदगोड़ा का रहने वाला है .अखिलेश सिंह का जन्म एक पढ़े लिखे परिवार में हुआ था. अखिलेश सिंह के पिता चंद्रगुप्त सिंह खुद पुलिस में रह चुके हैं. वे झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. फिलहाल, चंद्रगुप्त सिंह रिटायर्ड है और राजनीति में सक्रिय नजर आते हैं. जब अखिलेश सिंह का आतंक जमशेदपुर में अपनी चर्म पर था तब यह कहा जाता था कि जिसने अखिलेश का हुक्म मानने से इनकार किया समझों उसका खेल खत्म हो गया.
2001 में ओम प्रकाश काबरा का किया अपहरण
बता दें कि अखिलेश सिंह शुरूआती दौर में ट्रांसपोर्ट के धंधे से जुड़ा हुआ था. उस दौरान उसे केवल लोग अखिलेश सिंह के नाम से जाना करते थे. लेकिन 2001 में अखिलेश सिंह ने क्राइम की दुनिया में अपना पहला कदम रखा. उसने कारोबारी ओम प्रकाश काबरा का अपहरण कर करोड़ों की फिरौती मांगी, जिसके 15 दिनों के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. लेकिन जेल में रहते हुए भी अखिलेश सिंह के इरादे कम नहीं हुए उसने 12 मार्च 2002 को जेलर उमाशंकर पांडे की हत्या जेल में ही कर दी. उसके बाद दिन था 18 जनवरी 2002 इस दिन अखिलेश को पुलिस की गाड़ी में न्यायालय ले जाया जा रहा था. इसी बीच मौका का फायदा उठाते हुए वह पुलिस की गिरफ्त से वह फरार हो गया. जेल से फरार होने के बाद अखिलेश ने 6 नवंबर 2002 को ओम प्रकाश काबरा को मौत की नींद सुला दिया और इस घटना के बाद से ही वह अखिलेश सिंह नहीं बल्कि गैंगस्टर अखिलेश सिंह के नाम से जाना जाने लगा.
श्रीलेदर्स के मालिक की हत्या
इसके बाद अखिलेश एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम देने लगा. जिसके बाद अखिलेश ने दूसरी सबसे बड़ी घटना को अंजाम दिया. दिन था 2 नवंबर 2007 साकची आम बागान के पास श्रीलेदर्स के मालिक आशीष डे की हत्या. उसके बाद मानो अखिलेश रुकने का नाम नहीं लिया. 25 जुलाई 2008 बिष्टुपुर में कांग्रेस नेता नट्टू झा के कार्यालय पर फायरिंग, 15 मार्च 2008 साकची में रवि चौरसिया पर फायरिंग. 20 मार्च 2008 साकची में पूर्व जज आरपी रवि पर फायरिंग. 17 अगस्त 2008 बर्मामाइंस में अपराधी परमजीत सिंह के भाई सत्येंद्र सिंह के ससुराल में फायरिंग. 16 मई 2008 साकची श्रीलेदर्स के मालिक आशीष डे के घर पर फायरिंग. 17 सितंबर 2008 एमजीएम अस्पताल मोड़ पर बंदी परमजीत सिंह पर फायरिंग. ऐसा करते करते अखिलेश सिंह के खिलाफ 56 से अधिक मामले दर्ज हो गए और अखिलेश सिंह को झारखंड मोस्ट वांटेड गैंगस्टर के लिस्ट में सबसे टॉप पर लाकर खड़ा कर दिया था.
5 राज्यों की पुलिस पड़ी थी पीछे
अखिलेश सिंह का आतंक कुछ ऐसा था कि उसके पीछे केवल झारखंड ही नहीं बल्कि 5 राज्यों की पुलिस पड़ी थी. कारण था वह लगातार कारोबारियों को अपना निशाना बनाता था और उनसे रंगदारी वसूला करता था. उसका आतंक ऐसा था कि टाटा स्टील के बड़े अधिकारी और जमशेदपुर के बड़े कारोबारी उसके एक फोन से कापते थे. अखिलेश पर हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी, आर्मस एक्ट जैसे कई मामले दर्ज हुए. अखिलेश सिंह ने इन सारी घटनाओं से इतनी कमाई कर ली थी. उसने ना केवल जमशेदपुर बल्कि दिल्ली, नोएडा, गुड़गाव, मुंबई जैसी बड़ी शहरो में करोड़ों की बेहिसाब संपत्ति बनाई. लेकिन कहते है ना कोई लाख बड़ा गुन्डा और गैंगस्टर बन जाए लेकिन पुलिस के हाथ से बच नहीं बाता.
गुरूग्राम से जमशेदपुर पुलिस और गुरूग्राम पुलिस ने किया गिरफ्तार
कई घटनाओं को अंजाम देने के बाद 5 राज्यों की पुलिस उसके पीछे पड़ी थी. लगातार वह पुलिस की गिरफ्त से बाहर चल रहा था. लेकिन साल था 2017 दरअसल 2017 के अक्टूबर महीने में जमशेदपुर पुलिस को गुप्त सूचना मिलती है कि खूंखार अपराधी अखिलेश सिंह गुरूग्राम में छिपा हुआ है. जिसके बाद जमशेदपुर पुलिस और गुरूग्राम क्राइम ब्रांच की टीम ने संयुक्त ऑपरेशन किया. पुलिस ने गुप्त तरीके से जांच-पड़ताल की तब पता चला कि अखिलेश सिंह गैंगस्टर सुशांत लोक के फ्लैट 520 बी में छिपा हुआ है. इसके बाद दोनों राज्यों की पुलिस ने इस फ्लैट को चारों तरफ से घेर लिया. पुलिस को देखते ही अखिलेश सिंह ने उनपर गोली चला दी. पहले से ही तैयार इस संयुक्त टीम ने तुरंत मोर्चा संभाला और अखिलेश सिंह की गोली का करारा जवाब दिया. इसी बीच पुलिस की फायरिंग में अखिलेश घायल हो गया. उसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और घायल होने के वजह से उसे गुरुग्राम स्थित सिविल अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया था. गिरफ्तारी के बाद से अब तक अखिलेश सिंह जेल में बंद है. हालांकि कई मामलों में साक्ष्य के अभाव में कोर्ट ने उसे बरी कर दिया है. लेकिन अखिलेश सिंह के उपर केस की लिस्ट इतनी लंबी है जेल से निकलना अखिलेश के लिए नामुकिन है.