धनबाद(DHANBAD): कोयलांचल में शराब के शौकीन हो जाए सावधान, आपकी शराब पीने की आदत आपके लिए खतरा बन सकती है. धनबाद में लोकल शराब को बड़ी कंपनियों के बोतल में भरकर बड़ी खेप तैयार की जा रही है. यह काम छोटे नहीं, बड़े स्तर पर हो रहा है, गली-मुहल्लों में हो रहा है. धनबाद से शराब की खेप बिहार भी जा रही है. यह बातें सिर्फ चर्चा में नहीं है बल्कि पुलिस भी इसे स्वीकार कर रही है. पुलिस भी मानती है कि लोकल शराब को कीमती शराब के बोतल में भरकर बेचा जा रहा है. यह काम कितने दिनों से चल रहा है और इसमें कितने बड़े-बड़े लोग शामिल हैं, यह तो पुलिस जांच से ही सामने आ सकता है. आबकारी विभाग की टीम भी अगर सक्रिय हो तो मामले सामने आ सकते है.
1-2 छापेमारी से नहीं बंद होगा धंधा
बता दें कि 1-2 छापेमारी से तो यह धंधा बंद नहीं होगा. बरवा अड्डा की पुलिस ने राजगंज इलाके में छापेमारी कर ऐसे ही एक गैंग का खुलासा किया है और बड़ी-बड़ी कंपनियों के बोतल, रैपर, झारखंड सरकार के आबकारी विभाग के स्टीकर सहित अन्य सामग्री को बरामद किया है. कोयलांचल में शराब के शौकीन अगर आप हैं तो हो जाइए होशियार, आप जो शराब का सेवन कर रहे हैं, वह असली शराब है, कीमती शराब है या लोकल शराब है, इसका पता लगाना मुश्किल हो गया है. निश्चित रूप से लोकल शराब में कुछ कैमिकल मिलाए जाते होंगे और उसके बाद इसे कीमती शराब के बोतल में पैक कर खपाया जाता होगा. ऐसे में तो शराब के जहरीली होने का भी खतरा हो सकता है. शुक्रवार को धनबाद के डीएसपी अमर कुमार पांडे ने बताया कि IIRIS कंपनी के अधिकारी की शिकायत पर बरवा अड्डा थाना प्रभारी के नेतृत्व में नकली अंग्रेजी शराब बनाने वालों के खिलाफ अभियान चलाया गया.
गुरुवार की देर रात को हुआ खुलासा
इस अभियान में गुप्त सूचना के आधार पर गुरुवार की देर रात को इस धंधे का खुलासा हुआ है. डीएसपी ने यह भी बताया कि यह काम एक गिरोह बनाकर किया जा रहा है. बड़ी-बड़ी कंपनियों के स्टीकर, ढक्कन बनाकर लोगों को ठगा जा रहा है. डीएसपी ने बताया कि कंपनी के सर्वे टीम ने धनबाद में जब जांच पड़ताल की तो उसे पता चला कि बड़े पैमाने पर इस तरह से शराब तैयार की जा रही है और उसे अलग-अलग इलाकों में भेजा जा रहा है. इसी क्रम में राजगंज के संजय कुमार महतो को पकड़ा गया है. इस गिरोह के पास बड़ी कंपनियों की प्राइस लिस्ट की सूची भी थी. मतलब किसी को थोड़ा भी संदेह नहीं हो, इसकी पूरी व्यवस्था गिरोह के पास होती है. देखना है इस गिरोह को आधार बनाकर धनबाद की पुलिस या आबकारी विभाग क्या बड़े-बड़े मगरमच्छों तक पहुंच पाती है या उन्हें पहले की तरह ही छूट मिलती रहेगी.
रिपोर्ट : शाम्भवी सिंह, धनबाद