बिहार(BIHAR):ज़िंदगी हर किसी के लिए खूबसूरत नहीं होती है. कई बार लोग जिंदा होते हुए भी लाश की तरह पड़े रहते है. ऐसे में लाश की तरह पड़ा हुआ व्यक्ति खुद को अपने परिवार पर बोझ समझने लगता है. लेकिन परिवार वाले कभी भी उस व्यक्ति का मनोबल टूटने नहीं देते है. बिहार से भी ऐसा मामला प्रकाश में आया है. जहां एक ही घर के दो बेटों ने बिहार सरकार से इच्छा मृत्यु की मांग की है. उन दोनों का कहना है की अब हम इस धरती पर जिंदा रहकर अपने परिवार पर बोझ नहीं बनना चाहते है.
क्यों मांग रहे इच्छा मृत्यु
दरअसल बिहार के गोपालगंज के 2 युवक एक ऐसी बीमारी से ग्रसित है . जिसका इलाज पूरे भारत में नहीं है. इस बीमारी को मसकुलर डिस्ट्रॉफी है. इस बीमारी के कारण एक युवक पिछले 15 साल से बिस्तर पर एक जिंदा लाश की तरह पड़ा हुआ. परिवार वालों ने इलाज में कोई नहीं छोड़ी है. लेकिन इस बीमारी का अब कोई इलाज नहीं है. जिस वजह से परिवार वाले भी काफी परेशान है. परिवारवालों की परेशानी को देखते हुए अब इन दोनों भाइयों ने सरकार के सामने इच्छा मृत्यु मांगी है. उनका कहना है की हमारे घर वाले काफी कर्ज में डूब चुके है. ब और उन्हे कर्ज में नहीं देख डाल सकते. इलसिए या तो सरकार हमारे इलाज की पूरी व्यवस्था कर दे या फिर हमे एक जहर का इन्जेक्शन लगा कर मृत्यु दे दे.
क्या है मसकुलर डिस्ट्रॉफी
इस बीमारी में धीरे धीरे इंसान के सभी अंग काम करना बंद कर देते है. ये बीमारी एक बार में किसी भी शरीर पर भारी नहीं पड़ती ये धीरे धीरे करके अपना असर दिखाना शुरू करती है. जिसके बाद ये इंसान की हड्डियों को कमजोर कर देता है. साथ ही मांसपेशियों में एक अलग सा दर्द होता है. जिससे लोग बिस्तर पर ही रहते है.
क्या है इच्छा मृत्यु
इच्छा मृत्यु का मतलब होता , की उसे मौत उसकी मर्जी के हिसाब से दी जा रही है. इच्छा मृत्यु दो प्रकार की होती है , पहली जिसमे इंसान असहनीय दर्द में होता है. जिसमे मरीज के परिजनों के सहमति के बाद एक जहरीला इन्जेक्शन दिया जाता है. तो वही दूसरा मामला किसी व्यक्ति के वेनटीलेटर पर जाने के बाद मरीज के परिजन और डॉक्टर आपस ए सहमति बना कर, और मरीज की स्थिति को देखते हुए कि अब मरीज दुबारा ठीक नहीं हो सकता है, तो ऐसे में मरीज को वेंटीलेटर से हटा कर इच्छा मृत्यु दी जाती है.