गया(GAYA): देश का किसान ही किसी भी देश का भरण पोषण करता है, वो दिन रात मेहनत करता है, तो ही पूरे देश का पेट भरता है.एक किसान के पेशे को वैसे तो लोग बहुत हल्के में लेते है, लेकिन यदि किसान चाहे, तो अपने साथ पूरे देश की तकदीर बदल सकता है.बिहार के गया जिले के अशोक कुमार ने एक ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है, और अपने साथ कई किसानों की जिंदगी में क्रांतिकारी बदलाव लाया है.
अशोक कुमार ने विदेशी प्याज के थाई किस्म की खेती की शुरुआत की
आपको बताये कि गया के बोधगया प्रखंड के बकरौर गांव के किसान अशोक कुमार ने विदेशी प्याज के थाई किस्म की खेती की शुरुआत की है.जिसे लिक भी कहा जाता है. आपको बताये कि विदेशी प्याज की खेती की शुरुआत करनेवाले अशोक कुमार को विदेशी फसलों की खेती करने के मामले में उस्ताद समझा जाता है. अशोक कुमार ने करीब 3 से 4 कट्ठे में इसकी शुरुआत की है, और ट्रायल के तौर पर इसको लगाया है. वहीं ट्रायल यदि सफल रहा है, और अच्छी आमदनी हुई, तो अगले साल बड़े पैमाने पर इसकी खेती की जायेगी.
ये विदेशी थाई प्याज लहसुन की तरह दिखता है
आपको बताये कि ये विदेशी थाई प्याज लहसुन की तरह दिखता है. इस प्याज की खासियत है कि यह पतानुमा होता है. इस पतानुमा प्याज के कई लाभ हैं. जिसको देखते हुए विदेशों में थाई प्याज की डिमांड बहुत है.जिसको देखते हुए गया के अशोक कुमार ने थाई प्याज की शुरूआत की है. वहीं अशोक कुमार बिहार के पहले किसान बन गये है, जिसने थाई प्याज की खेती की है.
इसकी मार्केट में बहुत डिमांड है
थाई प्याज की खेती करनेवाले अशोक प्रसाद ने बताया कि वो बकरौर में थाई प्याज की खेती कर रहे है. इसकी मार्केट में बहुत डिमांड है. विदेशों में थाई प्याज सब्जी या अन्य डिश में कटिंग करके डाला जाता है.दिखने में यह लहसुन की तरह है. विदेशियों द्वारा इसका उपयोग ज्यादातर किया जाता है. इसका फिलहाल जो बिक्री का मूल्य है, वह 200 रूपए किलो के आसपास है. इसे काटने का झंझट कम है.ये प्याज कई तरह की बीमारियों में लाभदायक है. ऑर्गेनिक तरीके से इसकी खेती कर रहे हैं. इसमें केमिकल कम पड़ता है.