टीएनपी डेस्क (TNP DESK) : बिहार के भागलपुर में 2017 में सृजन घोटाला मामले में मुख्य आरोपित रजनी प्रिया का पटना के सिविल कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया है. यहाँ सिविल कोर्ट के सीबीआई की विशेष अदालत में पेशी होगी. करीब दो हजार करोड़ के सृजन घोटाला मामले में पुलिस ने मनोरमा देवी की बहू रजनी प्रिया आखिरकार पुलिस के शिकंजे में है. यूपी के गाजियाबाद से रजनी प्रिया को गिरफ्तार किया गया. बता दें कि वह इस मामले में पिछले 6 साल से फरार चल रही थी. बीते वर्ष 2017 में में सृजन घोटाला मामले की सीबीआई जाँच में इसका खुलासा हुआ था.
आरोपी पति की मौत
इस मामले में रजनी प्रिया और उनके पति दोनों मुख्य आरोपी है. दोनों कई दिनों से फरार चल रह थे. सीबीआई ने अमित और रजनी प्रिया को भगौड़ा घोषित कर दिया था. वहीं इनका पता बताने वालों के लिए इनाम की भी घोषणा भी की गयी थी. मगर पुलिस जब इनतक पहुंची तबतक आरोपी रजनी प्रिया के पति अमित कुमार की मौत हो चुकी थी. वहीं पत्नी की गिरफ़्तारी कर ली गई है.
सीबीआई को वर्षों बाद बड़ी सफलता
रजनी प्रिया सृजन घोटाला की मुख्य आरोपी है जिसे ढूंढने के लिए सीबीआई ने ऐड़ी चोटी का जोड़ लगा दिया था. जिनके पास मामले से जुड़े कई अहम सबूत भी मिल सकते हैं और कई सफेदपोशों का भी पर्दाफाश हो सकता है. वर्षों बाद सीबीआई को बड़ी सफलता हाथ लगी है. सृजन घोटाले की मास्टरमाइंड मनोरमा देवी के निधन के बाद उनके आरोपी बेटे अमित कुमार और बहू रजनी प्रिया की संपत्ति पर 10 जनवरी 2023 को भी और जून 2023 में भी कोर्ट ने नोटिस दिया था.
कई अधिकारी सलाखों के पीछे
गौरतलब है कि अमित कुमार और रजनी प्रिया दोनों को कोर्ट में पेश होना था। लेकिन कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर सीबीआई ने उनके पुराने आवास तिलकामांझी स्थित न्यू विक्रमशिला कॉलोनी में उनके तीन मकानों पर नोटिस चिपकाया था. सीबीआई ने 25 अगस्त 2017 को सृजन घोटाले की जांच शुरू की थी, जिसमें अभी तक कई बैंक के अधिकारियों से लेकर कलर्क व क्लर्क सलाखों के पीछे हैं. बता दें कि इस घोटाले में तकरीबन दो हजार करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई थी.
जानिए क्या है पूरा मामला
साल 2017 में सृजन एनजीओ के खाते में ट्रांसफर की गई सरकारी राशि का बंदरबांट हुआ था. इस घोटाले में तकरीबन दो हजार करोड़ रुपये के घोटाले की बात सामने आई थी. वहीं सृजन एनजीओ की सचिव मनोरमा देवी ने अपनी मौत से पहले ही अपनी बहू रजनी प्रिया को एनजीओ का सचिव बना दिया था. जहां लोगों को ये बात मंजूर नहीं थी. इस निर्णय से गुस्साये लोगों ने सृजन के बैंक खाते में जमा रुपये वापस नहीं किए. जिसके चलते भू-अर्जन का खाता बाउंस हो गया. जहां जांच में अरबों का घोटाला सामने आया था.