सुपौल (SUPAUL) : उत्तर बिहार में पिछले एक सप्ताह से लगातार बारिश हो रही है. लगातार हुई बारिश से सभी नदियां उफान पर है. जिसका खामियाजा परियाही गांव के लोगों को भी भुगतना पड़ रहा है. दरअसल हर साल परियाही गांव के बगल से गुजरने वाली गेडा नदी पर चचरी डाल कर हजारों की आबादी नदी पार करते थे. लेकिन इस बार नदी उफान पर है. लिहाजा जो चचरी नदी पर डाली गई थी वो ध्वस्त हो गया है.
नदी में उफान की वजह से चचरी ध्वस्त
आजादी के 76 साल बीत जाने के बाद भी लालगंज पंचायत के परियाही गांव स्थित गेड़ा नदी पर पुल नहीं होने से चचरी के सहारे लोग आवागमन करते रहे हैं. लेकिन इस बार गांव वालों के उम्मीद पर उफानई गेड़ा नदी ने पानी फेर दिया है. नदी में उफान की वजह से चचरी ध्वस्त हो गई है. चूंकि नदी पार करना गांव वालों की मजबूरी है लिहाजा गांव के लोग जुगाड़ के नाव बना कर नदी पार कर रहे हैं. जिससे हर पल दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. जान जोखिम में डालकर नदी पार करना गांव वालों की मजबूरी बन गई है.
पुल निर्माण के लिए नहीं हो रही है पहल
इसमें चार पांच ड्रम को जोड़कर नाव जैसा बना लिया गया है. और उसी पर चढ़कर नदी पार कर रहे हैं. ग्रामीणों ने बताया कि जनसहयोग से हर साल नदी पर बांस का चचरी पुल बनाकर लोग नदी पार करते रहे हैं. लेकिन इस बार उफनाईं गेरा नदी ने चचरी को ध्वस्त कर दिया है. जिसके चलते आवाजाही प्रभावित हो गई. कहते हैं दशकों से लोग नदी में पुल निर्माण का इंतेजार कर रहे हैं. हालांकि नहर मार्ग को पक्कीकरण कर मुख्यालय बाजार छातापुर से पड़ियाही घाट को जोड़ दिया गया है. लेकिन घाट के पास नदी पर पुल निर्माण के लिए पहल नहीं हो रही है.
जान जोखिम में डालकर गेंडा नदी पार कर रहे लोग
गेंडा नदी के पश्चिमी पार पड़ियाही एवं भरतपुर गांव की हजारों की आबादी बसी हुई है. यहां के लोग को प्रखंड मुख्यालय छातापुर तक आवागमन करने के लिए प्रतापगंज प्रखंड के सूर्यापुर होते हुए आवागमन करना पड़ता है. या फिर जान जोखिम में डालकर गेंडा नदी को पार करना पड़ता है. मालूम हो कि लालगंज पंचायत की अधिकांस आबादी नदी के पश्चिमी पार है. जिसे छातापुर मुख्यालय आने जाने में नदी के कारण काफी दूरी तय करनी पड़ती है.
आश्वासन देकर वोट ले लेते हैं
इसे लेकर स्थानीय लोगो ने बताया कि नदी पर पुल नहीं होने से प्रखंड मुख्यालय बाजार की दूरी पांच किलोमीटर तय करने की जगह उन्हे घूमकर करीब 15 से 20 किलोमीटर की दूरी तय कर करनी पड़ती है. ग्रामीणों का आरोप है कि हर बार नेताजी चुनाव के समय नदी पर पुल बनाने का आश्वासन देकर वोट ले लेते हैं और चुनाव जीतने के बाद अपना वादा भूल जाते हैं.
लोगों पर जान का खतरा
आधुनिकता और विकास के इस दौर में जब पुल पुलिया और सड़को का जाल बिछाया जा रहा है ऐसे में परियाही के लोगों की एक पुल बनने की आस कब पूरी होगी यह भविष्य के गर्त में हैं. लेकिन जिस जुगाड़ नाव के सहारे लोग उफनाई नदी को पार कर रहे हैं इससे लोगों पर जान का खतरा है. प्रशासन को इस दिशा में समुचित पहल करनी चाहिए.