पटना(PATNA): बिहार के ज्ञान भवन में शिक्षा दिवस- 2022 समारोह आयोजित की गई. देश के प्रथम शिक्षा मंत्री मौलामा अबुल कलाम आजाद की जयंती पर बिहार से ही शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत हुई. 2008 से पूरे देश में आज की तारीख को शिक्षा दिवस के रूप में मनाई जाती है. समारोह का उद्घाटन सीएम नीतीश कुमार ने किया. इस मौके पर वित्त मंत्री विजय चौधरी और शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर मौजूद रहे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला किया और कहा कि वे लोग अपनी बात को ही रखना चाह रहे हैं. उनलोगों को आजादी की लड़ाई से कोई मतलब नहीं रहा. मुख्यमंत्री ने शिक्षा दिवस के अवसर पर शिक्षकों को चेताते हुए कहा कि जो लोग बच्चों को नहीं पढायेंगे, उन्हें निकाल दिया जायेगा, हमें वैसे शिक्षकों की कोई जरूरत नहीं. जो शिक्षक पढ़ायेंगे, उनका तनख्वाह भी बढ़ायेंगे. मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कह दिया है कि और शिक्षकों की नियुक्ति करें.
“मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत बिहारे से हुई”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सबसे पहले बिहार से मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती को शिक्षा दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत हुई. इसके बाद हमने केंद्र सरकार से आग्रह किया. तत्कालीन मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह ने हमारी बात मानी और 2008 से देश भर में मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्मदिवस पर शिक्षा दिवस मनाया जाने लगा. आजादी की लड़ाई में इनकी बड़ी भूमिका थी. देश में एकता और अमन चैन को लेकर इन्होंने काम किया था. देश आजाद हुआ और जब सरकार बनी तो शिक्षा मंत्रालय का जिम्मा इन्हें दिया गया था. इन्होंने नए-नए संस्थानों की स्थापना कराई. इस देश में शिक्षा का जो काम हुआ है, उसकी शुरुआत उन्होंने ही की थी. इतना दिन बीतने के बाद और इतनी बड़ी भूमिका होने के बाद भी इनके बारे में लोगों ने नहीं सोचा. हमने उनके जन्म दिवस के मौके पर शिक्षा दिवस मनाना शुरू किया. इसके बाद 2008 से पूरे देश में शिक्षा दिवस का आयोजन होने लगा. हमको जब काम करने का मौका मिला तो 2006 से पढ़ाई को हम लगातार आगे बढ़ा रहे हैं.