पटना(PATNA):बिहार में राज्यपाल की मंजूरी के बाद आरक्षण विधेयक बिल अब कानून बन चुका है, यानि अब राज्य में आरक्षण का दायरा 60 से बढ़कर 75 फीसदी हो गई है.इसके साथ ही नीतीश कुमार ने इस मुद्दे को अब केंद्र सरकार के पाले में डाल दिया है.बिहार में लागू हुए नई आरक्षण व्यवस्था को संविधान की नौंवी अनुसूची में शामिल करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजने पर राज्य कैबिनेट ने अपनी मुहर लगा दी है.
बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से किया है यह अनुरोध
वहीं बिहार सरकार ने केंद्र सरकार से यह अनुरोध किया है कि बिहार आरक्षण को केंद्र की सरकार नौंवी सूची में शामिल करें.इससे फायदा यह होगा कि इसके बाद कोई इसे कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकता है, और यह राज्य में हमेशा के लिए किसी भी बाधा के साथ शुरू हो जाएगा.अब आगे का फैसला केंद्र सरकार को करना है.
पढ़ें बिहार के वित्त मंत्री विजय चौधरी ने इस पर क्या कहा है
नीतीश कैबिनेट के वित्त मंत्री विजय चौधरी ने भी कहा है कि बिहार में अब आरक्षण कानून बन गया है और राज्य सरकार को इस बात का डर है कि इसमें आगे को कानूनी पेंच लगाकर इसे रोका जा सकता है, इसके लिए जरूरी है कि केंद्र की सरकार इस आरक्षण के कानून को संविधान के नौंवी अनुसूची में शामिल कर दें. उसके बाद यह अड़चन हमेशा के किए खत्म हो जाएगी. बीजेपी नीतीश कुमार के इस कदम को चुनावी एजेंडा की तरह देख रही है. बीजेपी का मानना है कि बिहार सरकार को पता है, यह सम्भव नहीं है फिर भी जानबूझकर चुनावी फायदा लेने की कोशिश में नीतीश कुमार यह सब कर रहे है.
देखना होगा कि इस मामले में केंद्र सरकार का अगला कदम क्या होगा
आपको बताये कि पहले जाति आधारित गणना, फिर आरक्षण नीतीश कुमार ने आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव से पहले एक के बाद एक और मास्टरस्ट्रोक खेला है और मोदी सरकार को घेरने की पूरी रणनीति नीतीश कुमार ने बना ली है.अब देखना होगा कि इस मामले में केंद्र सरकार का अगला कदम क्या होगा.