Bihar politics: बिहार में आठ- नौ महीने बाद विधानसभा का चुनाव है. यह बात सभी जानते हैं कि बिहार में दही -चूड़ा की राजनीति खूब होती है. हर साल होती है, इस साल भी हुई. चुकि इस साल चुनाव है, इसलिए हर गतिविधियों को अधिक हवा मिल रही है. चिराग पासवान के दही -चूड़ा भोज में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे तो जरूर, लेकिन चिराग पासवान से मुलाकात नहीं हो सकी. उसके बाद मुख्यमंत्री वहां से चले आये. विपक्षी नेता इसे मुख्यमंत्री की अपमान से जोड़ रहे है. हालांकि ,चिराग पासवान ने स्पष्ट किया है कि इसमें अपमान जैसी कोई बात नहीं है. मुख्यमंत्री को अपना कार्यक्रम तय करने का पूरा अधिकार है. उनका कार्यक्रम भी व्यस्त रहता है. इधर, उनके चाचा के भोज में लालू प्रसाद यादव का जाना भी एक नई राजनीति समीकरण को जन्म दे दिया है.
क्यों कहा -कि भविष्य के गर्भ में है बिहार की राजनीति
वैसे तो बिहार में मकर संक्रांति पर पॉलिटिक्स तेज है. बुधवार को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष पशुपति पारस के दही चूड़ा भोज में राजद नेता लालू प्रसाद पहुंचे. इस दौरान उनके साथ बड़े बेटे और पूर्व मंत्री तेज प्रताप भी थे. अब्दुल बारी सिद्दीकी समेत कई लोग इसमें शामिल हुए. उसके बाद तो सियासी अटकल और तेज हो गई है. पूर्व मंत्री पशुपति पारस ने कहा कि भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, वक्त आने पर सामने आ जाएगा. यह भी कहा कि बिहार चुनाव में अभी आठ- नौ महीने बचे है. अक्टूबर या नवंबर में चुनाव होगा. यह भविष्य के गर्भ में है कि आगे होने क्या जा रहा है? बिहार की जनता किसे सत्ता सौपेगी. इसके लिए तो इंतजार करना पड़ेगा.
चिराग पासवान के भोज में सीएम गए जरूर लेकिन मुलाकात नहीं हुई
इससे पहले मंगलवार को पशुपति पारस के भतीजे चिराग पासवान ने भी दही -चूड़ा भोज का आयोजन किया था. जिसमें सीएम नीतीश कुमार भी पहुंचे थे. उसे समय चिराग पासवान वहां नहीं थे. इसके बाद मुख्यमंत्री वहां से चले गए. पशुपति पारस ने अपने भतीजे चिराग पासवान को दही चूडा भोज से अलग रखा. बता दे कि पशुपति पारस की एनडीए से नाराजगी चल रही है. लोकसभा चुनाव में उन्हें एक सीट भी नहीं मिली. इसके बाद उनका सरकारी बंगला भी खाली करा दिया गया. जिसमें अभी चिराग पासवान की लोजपा का दफ्तर चल रहा है. पशुपति पारस भी कह चुके हैं कि जब हम एनडीए के साथ थे, तो हमारे साथ नाइंसाफी हुई है. अब दही -चूड़ा भोज के बहाने लालू प्रसाद और पशुपति पारस की मुलाकात को लेकर सियासी सर गर्मी तेज हो गई है. देखना है कि बिहार में आगे -आगे होता है क्या?
रिपोर्ट -धनबाद ब्यूरो