बक्सर(BUXER): बिहार के बक्सर केंद्रीय कारा में जेल रेडियो की विधिवत शुरुआत हो गई है. इसको रेडियो दोस्ती का नाम दिया गया है. जिला पदाधिकारी अंशुल अग्रवाल ने इसके नए भवन का उद्घाटन किया. अब सुबह होते ही जेल में देश प्रेम व भक्ति भाव को जागृत करने वाले गीत बंदियों को सुनने को मिलेंगे. उनकी स्वरचित कविताएं व गीतों के साथ जेल में दिन भर होने वाली गतिविधियों के समाचार भी प्रसारित किए जाएंगे. शाम को भी यह प्रसारण होगा.
बंदी स्वयं रेडियो जॉकी की भूमिका निभाएंगे
बंदियों की जीवन दशा में बदलाव के लिए स्थापित इस जेल रेडियो में बंदी स्वयं रेडियो जॉकी की भूमिका निभाएंगे. जिसके लिए दोष सिद्ध बंदियों की एक टीम बनेगी जिनकी भाषा और सुर दोनों अच्छा होगा. रेडियो दोस्ती कार्यक्रम के तहत हर कक्ष में स्पीकर लगाए गए हैं, जिसके माध्यम से हर दिन सुबह और शाम दो दो घंटे कैदी के माध्यम से स्वस्थ मनोरंजन पा सकेंगे. कैदियों के बीच सकारात्मक ऊर्जा भरने के लिए बिहार के सभी 59 जेलों के साथ ही बक्सर केंद्रीय कारागार में यह पहल की जा रही है. यह एफएम रेडियो की तरह ही काम करेगा और इसकी परिधि पूरा जेल परिसर होगा.
बिहार के विभिन्न जिलों में इसकी शुरुआत कर दी गई
आपको बताये कि कारा एवं सुधार विभाग के द्वारा जेल रेडियो की शुरुआत बिहार के विभिन्न जिलों में कर दी गई. वहां कैदियों को मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक जानकारियां इस प्रसारण के माध्यम से दी जाती हैं. सुबह कैदी जब आंखें खोलते हैं तो उनके दिन की शुरुआत मधुर भजन अथवा ज्ञानवर्धक जानकारी से होती है. देश-विदेश के ताजा समाचारों के साथ कहानी और चुटकुले भी इसके माध्यम से सुनाए जाते हैं.
प्रसारण के लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है
जेल रेडियो के प्रसारण के लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है. जहां सुबह और शाम कोई भी कैदी पहुंचकर गीत, भजन, कहानी, कोई रोचक प्रसंग, चुटकुला आदि भी सुना सकेंगे, उनके लिए दो घंटे सुबह, दो घंटे शाम नियंत्रण कक्ष खोला जाएगा. जहां बैठकर वह अपनी बातें स्पीकर के माध्यम से जेल के कोने-कोने तक पहुंचा सकेंगे. इसके साथ ही जेल के अंदर परिसर में ही शुद्ध पेय जलापूर्ति के लिए एक आरओ प्लांट भी लगया गया है, जिससे सभी बंदियों को शुद्ध पेय जलापूर्ति अब की जायेगी. इससे पूर्व जेल में बंदी चापानल या समरसेबल सेट के पानी का पीने में उपयोग कर रहे थे.
प्रदेश की प्रत्येक कारा अब सुधार गृह भी बन गया है
बक्सर केंद्रीय कारा के साथ-साथ प्रदेश की प्रत्येक कारा अब सुधार गृह भी बन गया है. यहां रह रहे कैदियों को विभिन्न रोजगार, प्रशिक्षण, खेलकूद तथा अन्य गतिविधियों से जोड़ा जाता है ताकि यहां से निकलने के पश्चात वह अपनी जिंदगी को बेहतर ढंग से जी सकें. समय-समय पर कैदियों के बीच योग और ध्यान आदि का प्रशिक्षण सत्र भी चलाया जाता है, जिससे वह जाने-अनजाने में किए गए अपने अपराध का प्रभाव अपने मन-मस्तिष्क पर कम कर अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह कर सकें.