पटना(PATNA): बिहार में पिछले 17 सालों से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं. बावजूद इसके जो स्थिति अभी दिखाई दे रही है ऐसी स्थिति नीतीश कुमार की पहले कभी नहीं थी. मौजूदा स्थिति में हर सहयोगी दल नीतीश कुमार पर ही उंगली उठा रहा है. नीतीश कुमार ने अगस्त 2022 में एनडीए से नाता तोड़कर महागठबंधन संग सरकार बना ली. महागठबंधन में मौजूदा दौर में 7 राजनीतिक दल शामिल हैं. करीब 6 महीने का समय बीतने के बाद भी कुछ ठीक नहीं चल रहा है. सहयोगी दल के साथ-साथ नीतीश कुमार के लिए खुद उनके ही दल में कई लोग उनके लिए परेशानी बन गए हैं.
जीतनराम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री
सबसे पहले बात करते हैं हम पार्टी के सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की. आजकल जीतनराम मांझी खुद बिहार में यात्रा पर हैं. उनके यात्रा का नाम है गरीब सम्पर्क यात्रा. अपने यात्रा के दौरान वो भी लोगों से मिल रहे हैं. उनकी समस्या सुन रहे हैं और सारा ठिकड़ा नीतीश कुमार पर फोड़ रहे हैं. मांझी ने कहा की विकास ग्राउंड पर नहीं दिख रहा है. गरीबों की आवाज नहीं सुनी जा रही है.
मांझी के बाद बात करते हैं महागठबंधन में सबसे मजबूत साथी राजद की. राजद सबसे बड़ी पार्टी होने के बाद भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बनाया. लेकिन सरकार के चलाने के ढंग से राजद के कई नेता और मंत्री नाराज हैं और समय समय पर अपना गुस्सा नीतीश कुमार पर निकालते भी रहते हैं.
पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह
सुधाकर सिंह ने नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा ही खोल लिया है. मंत्री पद से हटाए गए,पार्टी ने नॉटिस जारी किया उसके बाद भी अगर नहीं माने तो वह हैं सुधाकर सिंह
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर
शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने भी रामचरितमानस को लेकर ऐसा विवादित बयान दिया जिसके बाद जेडीयू और मुख्यमंत्री के कई बार कहने पर ना ही बयान वापस लिया और ना ही माफ़ी मांगी और मजे की बात यह भी है की आज तक पार्टी ने उनपर कोई कारवाई भी नहीं की है.
आसितनाथ तिवारी,प्रवक्ता,कांग्रेस
बिहार कांग्रेस भी नीतीश कुमार के कामकाज के तरीकों से खुश नहीं है. सहयोगी दल के कई बार कहने के बाद भी अब तक महागठबंधन में कॉर्डिनेशन कमिटी का गठन नहीं हुआ है. इसके अलावा कांग्रेस के नेताओं में भी नाराजगी है. उसका पहला कारण यह है की कांग्रेस को विधायक की संख्या के आधार पर मंत्री पद नहीं मिलना और दूसरा कारण बिहार में लगातार कानून व्यवस्था बिगड़ती जा रही है और लाचार और बेरोजगार छात्रों पर सरकार लाठीचार्ज कर रही है.
महबूब आलम,विधायक,सीपीआई (एमएल)
महागठबंधन की सरकार पर सी पी आई और सी पी आई (एमएल) भी मजबूती के साथ गठबंधन में है. भले ही वाम दल नीतीश सरकार के कैबिनेट में शामिल नहीं है लेकिन उनको नीतीश कुमार से कई सारी उम्मीदें और आशाएं थी जो अब खत्म होते हुए दिख रही है. तभी तो माले के विधायक सड़क पर अपनी ही सरकार और नीतीश कुमार के खिलाफ धरने पर बैठकर प्रदर्शन करने लगते हैं.
उपेन्द्र कुशवाहा,अध्यक्ष, जेडीयू संसदीय बोर्ड
पिछले एक महीने से उपेन्द्र कुशवाहा ने जेडीयू में रहकर ही नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और हर दिन मीडिया के सामने नीतीश कुमार को आइना दिखा रहे हैं. कभी अपने हिस्से की बात करते हैं,कभी कहते हैं की जेडीयू कमजोर हो रही है और अगर नीतीश कुमार नहीं सम्भले हो तो आने वाले दिनों में पार्टी बर्बाद हो जाएगी. कुशवाहा को रोकने में नीतीश कुमार बिल्कुल विफल साबित हो रहे हैं और अब तो एक कदम आगे बढ़कर आगामी 19 और 20 फरवरी को कुशवाहा नीतीश कुमार के खिलाफ अपने समर्थकों के साथ बैठक भी करने का एलान कर दिया है.
गुलाम रसूल बलयाबी,वरिष्ठ नेता,जेडीयू
उपेंद्र कुशवाहा के अलावा भी जेडीयू के अंदर कई नेता हैं जो समय समय पर नीतीश कुमार के लिए परेशानी खड़ा करते रहते हैं उन में से एक नाम गुलाम रसूल बलयाबी का भी है. चार दिन पहले भी बलयाबी ने देश की सेना पर ही विवादित बयान देकर कठघरे में खड़ा कर दिया. उसके बाद पार्टी को बलयाबी के बयान से खुद को किनारा करना पड़ा.
सुशील कुमार मोदी,सांसद,बीजेपी
नीतीश कुमार ने भाजपा छोड़ते वक्त यही कहा था कि वह भाजपा के दबाव से मुक्त होना चाहते थे. पर, उनकी हालत अभी ही ऐसी दिखती है, जैसे ताड़ से गिरे, खजूर पर अटके. एक तो बार-बार साथी बदलने के चक्कर में पहले से ही वह बदनाम हो चुके हैं. दूसरे, एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक उनके मंत्रिमंडल के 80 फीसद मंत्री दागी हैं. अब तो बीजेपी भी नीतीश कुमार के लिए हमेशा के लिए अपने दरवाजे बन्द कर लिया है और उनको खूब सुना भी रहा है.
नीतीश कुमार ने 2024 में प्रधानमंत्री बनने का एक सपना देखा था . देश में एक बार घूमे भी और सभी विपक्षी पार्टियों को एक जुट करने की कोशिश भी की. लेकिन दाल नहीं गली. किसी ने भाव नहीं दिया और अब तक उनके गठबंधन के साथी भी ना केवल मुँह मोड़ रहे हैं बल्कि उनको कठघरे में भी खड़ा कर रहे हैं. सहयोगी दल के साथ साथ उनके पार्टी के नेता भी नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इससे साफ है की नीतीश कुमार मौजूदा समय मे बिल्कुल लाचार और मजबूर हो चुके हैं जो ना अपने घर को संभाल रहे हैं और ना ही अपने गठबंधन को.