Ranchi :कथित जमीन घोटाले में पूर्व सीएम हेमंत की गिरफ्तारी के बाद आदिवासी मूलवासी सामाजिक संगठनों के अंदर झामुमो के साथ खड़ा होने की प्रवृति तेज होती दिख रही है, आदिवासी मूलवासी संगठनों के द्वारा हेमंत की गिरफ्तारी को सियासी बदले की कार्रवाई के बतौर देखा जा रहा है, और यही कारण है कि उनकी गिरफ्तारी के बाद बड़ी संख्या में इन संगठनों के लोग झामुमो का दामन थाम रहे हैं. इसी कड़ी में आदिवासी सेना (बंधु तिर्की) और झारखंड पार्टी(एनोस) के हजारों नेताओं और कार्यकर्ताओं ने झामुमो में शामिल होने का एलान किया है. आदिवासी सेना के महासचिव अनबिन लकड़ा और झारखंड पार्टी की केंद्रीय प्रवक्ता अंशु लकड़ा ने दावा किया है कि पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने जेल जाना तो स्वीकार किया, लेकिन भाजपा की नीतियों के सामने घूटना नहीं टेका. हेमंत के हिम्मत के आगे भाजपा के सारे घोड़े फेल हो गये, लेकिन हेमंत ने हिम्मत नहीं हारी. आने वाला झारखंड का इतिहास उनकी इस कुर्बानी को याद रखेगा.
झारखंड की जल जंगल और जमीन पर लगी है भाजपा की नजर
इन नेताओं ने कहा कि झारखंड का गठन दिशोम गुरु का सपना था, उनके संघर्षों का नतीजा था, लेकिन जब झारखंड का गठन हुआ, तब सबसे ज्यादा राज्य भाजपा के हिस्से आया, और इसी भाजपा शासन काल में झारखंडियों की जल जंगल और जमीन को निशाना बनाया गया, उसकी संपदाओं की खुली लूट हुई. शासन गंवाने के बाद भी भाजपा इस भ्रम में थी कि हेमंत सोरेन उसकी इस लूट की नीति को अनवरत जारी रखने की इजाजत देंगे, लेकिन जब हेमंत ने जल जंगल और जमीन के सवाल पर भाजपा को घेरना शुरु किया तो, उन्हे एक भुईंहरी जमीन के मामले में फंसाने की साजिश तैयार कर ली गयी, हालांकि यह जमीन हेमंत के कब्जे में है, इसका कोई भी साक्ष्य उनके पास नहीं है, कोई दस्तावेज नहीं है, सिर्फ मीडिया के सहारे हेमंत को गुनाहगार साबित करने की होड़ शुरु हो गयी. खबर है कि सीएम चंपाई की उपस्थिति में आदिवासी सेना (बंधु तिर्की) और झारखंड पार्टी (एनोस) के हजारों कार्यकर्ता 25 फरवरी को झामुमो का दामन थामेंगे.
बंधु तिर्की ने किया था आदिवासी सेना का गठन
यहां यह भी याद रहे कि आदिवासी सेना (बंधू तिर्की) का गठन पूर्व शिक्षा मंत्री और कांग्रेस के कार्यकारी अघ्यक्ष बंधू तिर्की के द्वारा गया था, इस हालत में उनकी सेना का कांग्रेस के बजाय झामुमो का दामन थामना, सियासी गलियारे में कई सवाल भी खड़ा कर रहा है, इसे इस बात संकेत भी माना जा रहा है कि भले ही बंधू तिर्की कांग्रेस का कार्यकारी अघ्यक्ष हों, लेकिन उनका दिल आज भी झामुमो में बसता है, आज भी उनकी निष्ठा कांग्रेस के ज्यादा हेमंत के प्रति है. या फिर बंधू तिर्की कांग्रेस के अंदर जिस सम्मान की चाहत रखते हैं, वह सम्मान उन्हे आज कांग्रेस में मिल नहीं रहा है.