☰
✕
  • Jharkhand
  • Bihar
  • Politics
  • Business
  • Sports
  • National
  • Crime Post
  • Life Style
  • TNP Special Stories
  • Health Post
  • Foodly Post
  • Big Stories
  • Know your Neta ji
  • Entertainment
  • Art & Culture
  • Know Your MLA
  • Lok Sabha Chunav 2024
  • Local News
  • Tour & Travel
  • TNP Photo
  • Techno Post
  • Special Stories
  • LS Election 2024
  • covid -19
  • TNP Explainer
  • Blogs
  • Trending
  • Education & Job
  • News Update
  • Special Story
  • Religion
  • YouTube
  1. Home
  2. /
  3. Big Stories

जेएमएम तोड़ेंगे नहीं, लेकिन हेमंत को छोड़ेंगे नहीं: लोबिन का नया नारा! विधान सभा की सभी 81 सीटों से उम्मीदवार उतारने की तैयारी में झारखंड बचाओ मोर्चा

जेएमएम तोड़ेंगे नहीं, लेकिन हेमंत को छोड़ेंगे नहीं: लोबिन का नया नारा! विधान सभा की सभी 81 सीटों से उम्मीदवार उतारने की तैयारी में झारखंड बचाओ  मोर्चा

Ranchi- झारखंड बचाओ मोर्चा के बनैर तले अब तक हेमंत सरकार की नीतियों पर हमला करते रहे झामुमो विधायक लोबिन हेम्ब्रम एक नयी सियासी पार्टी की ओर बढ़ते नजर आने लगे हैं. मजेदार बात यह है कि झामुमो सहित दूसरे दलों की वंशवादी राजनीति पर हमला बोलते नजर आने वाले लोबिन की खुद की पार्टी भी अब उसी वंशवाद की ओर बढ़ती नजर आने लगी है.

दरअसल झारखंड बचाओ मोर्चा को झारखंड के हर गांव कस्बे तक पहुंचाने की कवायद में जिस केन्द्रीय कमिटि का गठन किया गया है, उसका अध्यक्ष लोबिन के बेटे को बनाया गया है, जबकि खुद लोबिन हेम्ब्रम को इसके संयोजक की जिम्मेवारी सौंपी गयी है. अन्दर खाने खबर यह है कि लोबिन बहुत जल्द ही झारखंड बचाओ मोर्चा को एक सियासी पार्टी के रुप में तब्दील करने की योजना पर काम कर रहे हैं, और सब कुछ ठीक ठाक रहा तो आने वाले विधान सभा चुनाव में सभी 81 सीटों से झामुमो के खिलाफ अपने उम्मीदवार की घोषणा कर सकते हैं.

हेमंत सोरेन के खिलाफ बेहद तल्ख तेवर अपनाते हुए लोबिन ने कहा है कि सरकार हर मोर्चे पर फेल हो चुकी है, पेसा कानून का मामला हो या खतियान आधारित स्थानीय नीति और नियोजन नीति का सवाल, पिछड़ों को आरक्षण विस्तार हो या सीएनटी एसपीटी कानून को कड़ाई से अनुपालन किये जाने का वादा सब कुछ महज एक चुनावी घोषणा साबित हो गया, हेमंत सरकार आज तक अपने किसी भी चुनाव वादे को पूरा करने में असफल रही है, हालांकि पार्टी छोड़ने के सवाल पर आज भी लोबिन का कहना है कि यह पार्टी दिशोम गुरु की पार्टी है, उनके सपनों को लेकर बनायी गयी पार्टी है. जल जंगल और जमीन का अधिकार के लिए बनायी गयी पार्टी है, इस पर सिर्फ हेमंत का हक नहीं है, इस पार्टी के निर्माण में हमारा खून पसीना लगा है, हमने गुरुजी के साथ लाठियां खाई है, जब तक गुरुजी है, कोई भी  उन्हे इस पार्टी से जूदा नहीं कर सकता, लेकिन यदि हेमंत को लगता है कि मैं पार्टी की नीतियों का विरोध कर रहा हूं तो  वह  मुझे पार्टी से निकाल दें, लेकिन जिस तेवर और तल्खी का इस्तेमाल लोबिन कर रहे हैं, उससे साफ है कि उन्हे भी इस बात का विश्वास है कि उन्हे बहुत जल्द ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखलाया जा सकता है. शायद इसी खतरे को भांपते हुए उनके द्वारा झारखंड बचाओ मोर्चा को सियासी पार्टी का रुप देने की कोशिश की जा रही है.  

हालांकि लोबिन हेमब्रम का अपने सरकार को निशाने पर लेना कोई नयी बात नहीं है. वह पहले भी सरकार और पार्टी को अपने निशाने पर लेते रहे हैं. आदिवासी-मूलवासी मुद्दों का सवाल हो या सीएनटी और एसपीटी को पूरी सख्ती से लागू करने का मामला, पेसा हो या खतियान आधारित स्थानीय नीति का सवाल, लोबिन लगातार हेमंत सरकार पर अपने चुनावी वादों से पीछे हटने का आरोप लगाते रहे हैं.

लोबिन का सीधा आरोप है कि राज्य की हेमंत सरकार जिन नारों और चुनावों वादों के साथ सत्ता में आयी थी, वह सारे वादे और नारे आज हाशिये पर चले गये हैं. इन चार वर्षों के शासन काल में ना तो खतियान आधारित स्थानीयता नीति मिली, और ना ही नियोजन नीति. स्थानीय युवाओं को रोजगार देने का वादा भी फिसड्डी साबित हुआ.

पूजा सिंघल और दूसरे भ्रष्ट अधिकारियों को किसका संरक्षण

लोबिन का आरोप है कि युवा  आज भी रोजगार की तलाश में लाठियां खा रहे हैं, 60:40 की नियोजन नीति लाकर सरकार ने हमारे युवाओं को सिर्फ ठगने का काम किया है. हेमंत सोरेन के राज्य में ही सबसे ज्यादा आदिवासी मूलवासियों की जमीन लूटी हुई है. हेमंत सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए वह पूछते रहे हैं कि पूजा सिंघल से लेकर दूसरे भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण कौन प्रदान कर रहा है, किसके इशारे पर इन भ्रष्ट अधिकारियों को मलाईदार ओहदों पर रखा जा रहा है.

आदिवासी जमीन पर पल्स हॉस्पिटल, सीएम हेमंत ने साधी चुप्पी

राजधानी रांची में ही आदिवासी जमीन पर पल्स हॉस्पिटल का निर्माण कर लिया गया, ईडी ने इस मामले को संज्ञान में लिया, लेकिन हेमंत सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की, उक्त जमीन को उसके मूल रैयतों को सौंपने का कोई काम नहीं हुआ, स्थिति यह है कि खुद हेमंत सरकार ही जमीन कब्जा करने वालों का संरक्षण करती हुई दिखलाई पड़ रही है. ठीक यही स्थिति बीआईटी मेसरा की है, जहां करीबन 450 सौ एकड़ आदिवासी जमीन लूट ली गयी, आज भी हम उस जमीन की वापसी की लड़ाई लड़ रहे हैं. यह हालत सिर्फ किसी एक जिले की नहीं है, पूरे राज्य की यही स्थिति है, पूरे झारखंड में आदिवासी मूलवासी की लूट मची है. लेकिन आदिवासी मूलवासियों की बात करने वाली हेमंत सरकार हमारी लड़ाई के साथ खड़ी नहीं आती.

आर-पार की लड़ाई का संदेश दे रहे हैं लोबिन हेम्ब्रम 

लेकिन इन तमाम सवालों को उछालते समय लोबिन हर बार यह साफ कर देते थें कि वह हेमंत सरकार की नीतियों के आलोचक भले ही है, लेकिन वह सरकार के विरोध में नहीं खड़े हैं. उनकी कोशिश महज सरकार को उसका वादा याद दिलाने की है, लेकिन इस बार लोबिन के भाषणों से लगता है कि वह आर पार की लड़ाई का श्रीगणेश करने का इदारा रखते हैं.

बिहारी और गैर झारखंडी से घीरे हैं हेमंत सोरेन

उनका सीधा आरोप है कि सीएम हेमंत सोरेन की पूरी मंडली गैर झारखंडियों से घिरी हुई है. यह इन चेहरों का ही जोर है कि हेमंत सोरेन  झारखंड के हित में कोई बड़ा फैसला नहीं ले पा रहे हैं. दिशोम गुरु शिबू सोरेन ने जिस झारखंड का सपना देखा था, उस सपनों के सामने इन बाहरियों की यह दीवार है, ये लोग दिन भर सीएम हेमंत को उल्टा पलटा पाठ पढ़ाते रहते हैं. वह सुप्रियो भट्टाचार्य हो, या सुनील तिवारी, पिंटू हो या विनोद पांडे इन चेहरों को रहते किसी भी झारखंडी का भला नहीं होने वाला है. क्या यह बिहारी और गैर झारखंडियों की फौज हेमंत सोरेन को कोई आदिवासी मूलवासी हितों से जुड़े कोई फैसला लेने देगी, क्या हेमंत सोरेन को अपने  पास कोई आदिवासी मूलवासी चेहरा दिखलाई नहीं पड़ता. क्या झारखंड में तेज तर्रार आदिवासी मूलवासी युवाओं की कमी है, आखिर हेमंत सोरेन इन बाहरी नेताओं की फौज को क्यों ढो रहे हैं.

इन बयानों से इस बात की स्पष्ट झलक मिलती है कि इस बार लोबिन का इरादा आर-पार की लड़ाई लड़ने की है, इसकी एक झलक लोबिन के उस बयान से मिलती है, जिसमें वह भाजपा से झामुमो में शामिल किये गये हेमलाल मुर्मू को ललकारते हुए दिखलाई पड़ते हैं, उनका दावा है कि हेमलाल मुर्मू बोरियो में घूम -घूम कर इस बात दावा कर रहे हैं कि इस बार उन्हे बोरियो को मजबूत करने की जिम्मेवारी मिली है, यानि झामुमो की ओर से उन्हे उम्मीदवार बनाने जाने की हरि झंडी मिल चुकी है.

हेमलाल मुर्मू के आते ही लोबिन को दिखने लगा सियासी खतरा

और यहीं से लोबिन को अपने लिए खतरा दिखलाई देने लगता है. वह हेमलाल को चुनौती पेश करते हुए कहते हैं कि लोबिन को किसी झंडे की जरुरत नहीं है. उन्हे सिर्फ अपने मतदाताओं का प्यार और विश्वास पर कोई संदेह नहीं है, हेमलाल चाहे जितना जोर लगा लें, उनका कोई जोर यहां चलने वाला नहीं है. लोबिन ने यह साफ कर दिया है कि वे इस चुनौती से भागने वाला नहीं है. उन्होंने सीएम हेमंत को सबसे बड़ा झूठा घोषित कर विधान सभा चुनाव की लड़ाई का उद्घोष कर दिया है.

Published at:30 Oct 2023 06:29 PM (IST)
Tags:Jharkhand Bachao Morchaझामुमो विधायक लोबिन हेंब्रमलोबिन हेम्ब्रमजेएमएम विधायक लोबिन हेम्ब्रमबोरियों विधायक लोबिन हेंब्रमmla लोबिन हेम्ब्रमविधायक लोबीनभूख हड़ताल पर बैठेंगे लोबिन हेम्‍ब्रमझारखंड बचाओ मोर्चा की सभा में क्या बोले बोरियों विधायक लोबिन हेंब्रमjmm विधायक lobin hembromहेमंत सोरेनसीएम हेमंत सोरेनझारखंड हिन्दी न्यूजझारखंड बचाओ मोर्चा कीब्रेकिंग न्यूज़ हिंदीब्रेकिंग न्यूज़ ताजा खबरlobin hembramjmm mla lobin hembramlobin hembromsri lobin hembramlobin hembrom newscontroversial statement of mla lobin hembramlobin hembrom boriojmm mla lobin hembromlobin hembrom breaks downlobin hembrom news todaybori mla lobin hembromjmmmla lobin hembromlobin hembrom pclobin hembrom news today livelobin hembram jaillobin hembram newslobin hembraomlobin hembram ranchilobin hembram gheraolobin hembram bhawanLobin attack on cm hemantjharkhand politics
  • YouTube

© Copyrights 2023 CH9 Internet Media Pvt. Ltd. All rights reserved.