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कौन है जलेबी की दुकान चलाने वाले सेठजी, जहां पिछले आठ माह में तीन-तीन बार हो चुकी है ED और IT की छापेमारी  

कौन है जलेबी की दुकान चलाने वाले सेठजी, जहां पिछले आठ माह में तीन-तीन बार हो चुकी है ED और IT की छापेमारी  

पटना(PATNA)-जलेबी की दुकान से राजनीति की शुरुआत करने वाले जदयू एमएलसी राधाचरण की पहचान पटना के राजनीतिक गलियारों में सेठजी की है. दावा किया जाता है कि दुकान पर जलेबी तौलते तौलते एक दिन राधाचरण को बालू के कोराबार में हाथ डालने का आइडिया और इसी आइडिया ने उसकी किस्मत बदल दिया. जलेबी की दुकान तो नहीं चली, लेकिन जलेबी बनाने का हुनर राजनीति में काम की चीज बन गयी. अब जलेबी से दूर होकर राधाचरण बालू के कारोबार के साथ साथ राजनीति की चासनी को मथने लगें. और देखते देखते वह बालू सिंडिकेट के सबसे बड़े खिलाड़ी बन कर सामने आये. भोजपुर, पटना, गया के बालू कारोबार में सेठजी की तूती बोलने लगी. बाबू के इसी कारोबार के दौरान उनकी नजदीकियां राजद से बढ़ी और वर्ष 2015 में इसी राजद की टिकट पर उसने राजग उम्मीदवार हुलास पांडेय को 329 मतों से धूल चटा दिया. लेकिन उसके बाद इनका राजद से दिल उचट गया और जदयू का दामन थाम लिया. जिसके बाद एक बार फिर से एमएलसी का चुनाव लड़ा और  आरा-बक्सर स्थानीय प्राधिकार से दूसरी बार विधान परिषद का चुनाव जीता.

नीतीश के पाला बदलते ही राधाचरण के जिंदगी में आया तूफान

यहां तक तो राधाचरण की जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन जैसे ही नीतीश कुमार ने मोदी का दामन झटक कर 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी विदाई की घोषणा कर दी, राधा चरण की जिंदगी में भी तूफान की शुरुआत हो गयी, अचानक से राधाचरण के खिलाफ इनकैम टैक्स से लेकर ईडी की निगाह पर आ गयें, और आज स्थिति यह है कि इन आठ महीनों में उसके ठिकानों पर तीसरी छापेमारी की जा रही है.

यहां याद रहे कि पहली छापेमारी के बाद उसके उपर करीबन 200 करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप लगा था, उसके एक निकट सहयोगी के घर से 35 करोड़ कैश जब्त किया जाने का दावा किया गया था, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं की गयी. सब कुछ सूत्रों के हवाले चलाया जाता रहा. इसके बाद 6 जून को ईडी का प्रवेश होता है, और पटना, धनबाद, हजारीबाग और कोलकाता में उससे जुड़े करीबन 27 स्थानों पर छापेमारी का दावा किया जाता है, इस दौरान करीबन 11 करोड़ की संपत्ति का दस्तावेज जब्त करने का दावा किया गया. इसमें उसके बैंक एकाउंट जमा 6 करोड़ रुपए और 60 बैंक खातों को भी फ्रीज किया गया.

आठ महीने में तीसरी छापेमारी

अब उसी राधाचरण के ठिकानों पर ईडी की यह दूसरी छापेमारी और कुल तीसरी छापेमारी है. एक तरफ दिल्ली में इंडिया गठबंधन की कोर्डिनेशन कमिटि की बैठक चल रही थी, दूसरी तरफ पटना में जदयू एमएलसी सेठजी के ठिकानों पर छापेमारी को अंजाम देकर मीडिया में सुर्खियां बनाया जा रहा था. और दोपहर होते होते आरा स्थित फार्म हाउस से उसे  गिरफ्तार कर लिया गया.

इस बार एक कविता के शक्ल में कोर्ड वर्ड मिलने की बात कही जा रही है,  हालांकि इसकी हकीकत क्या है, किसी के पास कोई पुष्ट खबर नहीं है, एक बार फिर से सब कुछ सूत्रों की शक्ल में पेश किया जा रहा है. लेकिन यह दावा अखबारों की सुर्खियों में जरुर है कि यदि इस कोड वर्ड को डिकोड कर दिया गया तो एक बड़े घोटाले की कहानी सामने आ सकती है, लेकिन विपक्ष का दावा कुछ अलग ही कहानी को बयां कर रहा है. उनका दावा है कि इंडिया गठबंधन की कोऑर्डिनेशन की बैठक से पहले कोलकता से लेकर बिहार-यूपी तक की इस छापेमारी का असल मकसद लोगों का ध्यान इंडिया गठबंधन के कार्यक्रमों से हटाने और मीडिया की सुर्खियों को बदलने की है. उनका दावा है कि यह छापेमारी और कुछ नहीं महज लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी दलों से जुड़े नेताओं और समर्थकों में आतंक पैदा करने की एक राजनीतिक साजिश है. और यह सब कुछ भाजपा के इशारों पर किया जा रहा है.

उधर इंडिया गठबंधन की कोऑर्डिनेशन की बैठक, इधर इंडिया गठबंधन के नेताओं पर ईडी की छापेमारी

विपक्षी दलों का दावा है कि अब तक का इतिहास रहा है कि जब जब विपक्षी दलों की कोई  महत्वपूर्ण बैठक होती है, ठीक उसी दिन भाजपा के द्वारा भी समानान्तर बैठक की जाती है, या इंडिया गठबंधन के नेताओं के आवास पर छापेमारी की जाती है. जब इंडिया गठबंधन की पहली बैठक पटना में हो रही थी, ठीक उस दिन भी पटना में ईडी की छापेमारी की जा रही थी, जब बेंगलूर में दूसरी बैठक का आयोजन किया गया तो उसी दिन भाजपा के द्वारा एनडीए की बैठक की घोषणा की गई, जब मुम्बई बैठक हुई तो उस दिन भी मुम्बई में एनडीए की बैठक आयोजित की गयी, और जब आज कोऑर्डिनेशन की बैठक की बैठक हो रही है, तब कोलकता से लेकर यूपी तक छापेमारी की जा रही है, और साथ ही पार्टी कार्यालय में पीएम मोदी का स्वागत किया जा रहा है.

इन घटनाओं से साफ है कि इस छापेमारी का भ्रष्टाचार से कोई लेने देना नहीं है, इनकी कोशिश महज विपक्षी दलों से जुड़े नेताओं को यह संदेश देना है कि आप इंडिया गठबंधन के साथ गये नहीं कि ईडी ओर सीबीआई के घोड़े आपके विरोध छोड़ दिये जायेंगे.

विपक्षी दलों का आरोप है कि यही भाजपा और खुद प्रधानमंत्री अजित पवार के विरोध हजारों हजार करोड़ के घोटाले का आरोप लगाते थें, चक्की चक्की पिसिंग की घमकी दी जाती थी, लेकिन प्रधानमंत्री की घोषणा के दूसरे दिन ही जब अजित पवार ने एनडीए का दामन थाम लिया तो सारी जांच कर दी गयी, यह कहानी सिर्फ अजित पवार की नहीं है, आसाम के सीएम हेमंत विश्व सरमा के लेकर नारायण राणे और एकनाथ सिंदे की यही कहानी है, बंगला से लेकर यूपी तक दर्जनों ऐसे नेता है, जिसके विरुद्ध भाजपा और पीएम मोदी के द्वारा उछल उछल कर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया जाता था, लेकिन जैसे ही इन नेताओं ने पाला बदला, वे सीएम से लेकर केन्द्रीय मंत्री बना दिये गये और भ्रष्ट्रचार के कथित आरोपों पर पूर्ण विराम लग गया.

Published at:14 Sep 2023 01:18 PM (IST)
Tags:RAdharcharan seth patnaEd raid jduAssam CM Hemant Vishwa SarmaJDU MLC Radha Charanहुलास पांडेय
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