Patna- जब से जातीय सर्वेक्षण का आंकड़ा जारी हुआ है, बिहार की राजनीति का पारा नीचे गिरने का नाम नहीं ले रहा, कभी राजनीतिक दुराग्रह में पासवानों की जनसंख्या को कम दिखलाने का आरोप लगाया जा रहा है, तो कभी सहनी से मिलती-जुलती जातियों को अलग-अलग श्रेणियों में विभाजीत कर राजनीतिक रजिंश साधने का दावा किया जा रहा है. अब इस कड़ी में नया नाम पूर्व केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का सामने आया है. लालू नीतीश पर अपने ताजातरीन हमले में पूर्व कानून मंत्री ने महागठबंधन पर लालू नीतीश विरोधी जातियों की वास्तविक संख्या को विलोपित कर कम करने की साजिश का आरोप लगाया है.
कायस्थों की आबादी 0.66 बताना राजनीतिक साजिश का हिस्सा
रविशंकर प्रसाद का दावा है कि एक राजनीतिक साजिश के तहत कायस्थों की जनसंख्या को 0.66 फीसदी में अंकित कर दिया गया. यह पूरी कवायद बिहार में लालू नीतीश विरोधी जातियों की संख्या कमतर दिखालने की राजनीतिक साजिश का हिस्सा है.
रविशंकर प्रसाद ने इस बात का भी दावा किया कि गया, पटना महानगर, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, बेतिया, मोतिहारी, छपरा, सीवान, भागलपुर, कटिहार और पूर्णिया जिलों में कायस्थों की एक बड़ी आबादी है, जिस जाति ने देश को पहला राष्ट्रपति दिया हो, हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में जिस जाति के वकीलों की एक बड़ी संख्या हो, जिस जाति के सैंकड़ों वाइस चांसलर हों, उस जाति की जनसंख्या महज 0.66 फीसदी के आसपास कैसे हो सकती है.
कुछ जातियों के विरुद्ध स्थायी रुप से लालू नीतीश के खिलाफ ठप्पा लगाने की कोशिश
लेकिन इस आरोप के साथ ही यह सवाल भी खड़ा होने लगा है कि क्या रविशंकर प्रसाद अपनी राजनीतिक पैंतरेबाजी में बिहार की कुछ जातियों पर स्थायी रुप से लालू नीतीश विरोधी होने का ठप्पा लगाने चाहते हैं. इन जातियों को स्थायी रुप से भाजपा का वोट बैंक साबित करने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि उनका इशारा कायस्थों के साथ ही राजपूत, भूमिहार और ब्राह्मण जातियों की ओर भी था. लेकिन क्या यह सच नहीं है कि ललन सिंह जैसे प्रखर वक्ता आज जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता है, क्या यह सच नहीं है कि शिवानंद तिवारी से लेकर केसी त्यागी तक कई ब्राह्मण चेहरे आज जदयू-राजद के साथ खड़े हैं. क्या यह सत्य नहीं है कि कोई भी जाति सम्पूर्ण रुप से किसी पार्टी विशेष का पक्षधर नहीं होती, जातियों के बीच भी अलग-अलग राय होती है. फिर भी पूर्व कानून मंत्री कुछ विशेष जातियों को स्थायी रुप से लालू नीतीश के विरोधी जातियों के रुप में चिन्हित करने की कोशिश कर रहे हैं.