Ranchi- झारखंड हाईकोर्ट के नये भवन परिसर के उद्घाटन पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ का भाषण चर्चा का विषय बन गया है. आम तौर अंग्रेजी में अपनी बात रखते रहे चन्द्रचूड़ से किसी ने भी यह आशा नहीं की थी कि आज वह पूरे दम खम के साथ हिन्दी में अपना हाथ आजमाएंगे. लेकिन उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत ही हिन्दी में की, जिसके बाद मौके पर मौजूद लोग आश्चर्य में पड़ गयें, किसी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था, लेकिन डी. वाई चंद्रचूड़ बेहद सहजता के साथ धाराप्रवाह अपनी बात को रखे जा रहे थें. इसके पहले किसी ने भी उन्हे इस प्रकार से हिन्दी बोलते नहीं सुना था.
वकीलों के छोटे से समूह के तक सीमित नहीं रहना चाहते थें डी वाई चंद्रचूड़
जानकारों का मानना है कि इस बात को चीफ जस्टिस भी समझ गये थे कि झारखंड जैसे राज्य में यदि उन्होंने अपना संबोधन अंग्रेजी में दिया, तो उनकी बात कुछ लोगों तक ही सीमित हो कर रह जायेगी, न्यायाधीश और पूर्व न्यायाधीश और वकीलों के एक छोटे से समूह के साथ ही वह सीमित होकर रह जायेगें. जबकि उनकी कोशिश आम झारखंडियों तक पहुंचने की थी, न्यायापालिका की दिक्कतें और दुश्वारियों को उन तक पहुंचाने की थी. यही कारण है कि उन्होंने हिन्दी को अंग्रेजी पर वरीयता देने का निर्णय ले लिया.
न्यायापालिका सिर्फ अंग्रेजी बोलने वालों की नहीं है, आम लोगों से है इसका रिश्ता
लेकिन इसके साथ ही वह इस संदेश को भी देने में भी सफल रहें कि देश की न्यायपालिका महज अंग्रेजी बोलने वालों की नहीं है, इसका रिश्ता आम लोगों से जुड़ा हुआ है. यही कारण है कि जैसे ही उनका संबोधन खत्म हुआ, द्रोपदी मुर्मू ने उन्हे उनके संबोधन के लिए बधाई दी और अपने संबोधन के दौरान इसका जिक्र भी किया.