रांची(RANCHI) : झारखंड की राजनीति में इन दिनों कई धुन एक साथ सुनने को मिल रहे है. एक तरफ सीएम हेमंत अपने को आदिवासी बेटा बता इस बात की दुहाई दे रहे हैं कि जब आदिवासी जमीन की कीमत बाजार में दो कौड़ी की नहीं है. बैंक उस पर कर्ज देने को तैयार नहीं है, तो उस हालत में वह कौन होगा जो आदिवासी जमीन की खरीद बिक्री करेगा. वहीं दूसरी ओर ईडी समन दर समन भेज हेमंत सोरेन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर रही है, औऱ ईडी की इस तीर को भाजपा अपनी सियासी चाल में इस्तेमाल करती हुई शिशुपाल वध की कहानी सुना रही है. सवाल यह है कि झारखंड की सियासत के इन सियासी सुरों का अंजाम क्या होगा, शिशुपाल वध होगा या ईडी के पंख कतरे जाएंगे. फिलहाल झारखंड ही नहीं पूरे देश की नजर इस सियासी जंग पे जमी हुई है. इन सब के बीच आज भाजपा कार्यालय में राज्यसभा सांसद समीर उरांव ने प्रेस वार्ता कर सरकार पर निशाना साधते हुए कड़ा बयान दे डाला.
सीएम अधिकारियों के साथ मिल कर जमीन की कर रहे लूट
अनुसूचित जनजाति के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह राज्य सभा सांसद समीर उरांव ने कहा कि विभिन्न तरीके से राज्य की जनता को दिग्भ्रमित करने का काम किया जा रहा है. प्रदेश के मुखिया हेमंत सोरेन अब आदिवासी की परिभाषा ही अलग करने लगे है. प्रदेश के आदिवासी की एक अलग पहचान और स्वभाव है.अन्याय के खिलाफ आदिवासी हमेशा लड़ते है. लेकिन मुख्यमंत्री इससे हट कर आदिवासी की परिभाषा बता रहे है.
सोरेन परिवार की जो परिभाषा है उसे ही आदिवासी की परिभाषा बताया जा रहा है. इस परिवार की आदत है की यहां के लोगों को दिग्भ्रमित करने का काम कर रहे है. यह वो लोग है जो झारखंड आंदोलन को बेचने का काम किया है. अब झारखंड की अस्मिता को बेचने का काम कर रहे है. खुद को आदिवासी के मसीहा बता कर लूटने में लगे है. आखिर झारखंड में सोरेन परिवार ने आदिवासी के लिए क्या किया. चाईबासा में एक साथ सात आदिवासी की निर्मम हत्या की गई. उनके परिवार के लिए ये लोगों ने क्या किया. क्या गांव में विकास की किरण पहुंचा पाए है.
सीएम को नहीं है आदिवासियों की चिंता
यह लोग शहीद सिदो कान्हो के नाम पर राजनीति करते है. उनके परिवार के सदस्य की हत्या हो जाती है. एक आदिवासी दरोगा रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत होती है इसकी जांच अब तक नहीं हुई. तुपुदाना में संध्या टोपनो को गौ तस्कर गाड़ी से कुचल कर मौत के घाट उतार देते है. साहिबगंज में रुबिका पहाड़ीन को 50 टुकड़ो में काट दिया गया. रांची में सुभाष मुंडा की हत्या कर दी गई. आखिर इस राज्य में आदिवासी कैसे रह रहे है. यह इसका उदाहरण है. राज्य के आदिवासी की चिंता CM को नहीं है.
आखिर कब तक आदिवासी सेंटिमेंट से राजनीति करेंगे सीएम हेमंत
मुख्यमंत्री का काम सिर्फ आदिवासी की जमीन को बेच कर पैसा कामना रह गया है. हेमंत सोरेन आदिवासी नाम पर राजनीति करने की कोशिश कर रहे है. राज्य के आदिवासी अब समझ गए है की उनके हित की कौन सुन रहा है. आखिर कब तक आदिवासी सेंटिमेंट से राजनीति करेंगे. संथाल परगना में CNT SPT एक्ट होने के बावजूद आदिवासी की जमीन लूटी जा रही है. यह किसी से छुपा नहीं है. जनता के पैसे को लूटने में सरकार लगी है. सीएम हेमंत सोरेन ने 108 संपति अर्जित की है. इसके अलावा और भी कई बेनामी संपत्ति लूट कर जमा करने का काम हेमंत सोरेन ने किया है. राज्य में जमीन लूटने के लिए एक अलग कैडर हेमंत सोरेन ने बनाया है. यह कैडर सीएम के संरक्षण में राज्य में आदिवासी की जमीन लूटने का काम कर रहे है. सरकार में कई अधिकारी भी अंधभक्त होकर सरकार की लूट में सहभागिता निभा रहे है.
ईडी की पूछताछ से भाग रहे सीएम हेमंत
संथाल में बिना किसी लीज के बड़े पैमाने पर पत्थर की लूट हो रही है. इससे सत्ता में बैठे लोग मोटी कमाई कर रहे है तो दूसरी ओर राज्य को नुकसान हो रहा है. अपने करीबी को लीज दिया गया,और बिना परमिट के हर दिन सैकड़ो ट्रक और ट्रेन से पत्थर को बाहर भेज दिया गया. अब ED की जांच हुई तब इससे पर्दा उठा है. सीएम हेमंत सोरेन को जब ईडी पूछताछ के लिए बुला रही है. तो भाग रहे है और केंद्र सरकार पर आरोप लगा रहे है. आखिर जब आपने कुछ किया ही नहीं है तो फिर भाग क्यों रहे है.इनके अधिकारी व्हाट्सएप पर फोल्डर, फ़ाइल और अन्य गुप्त कोडवर्ड में बात करते है.राज्य सरकार में कई ऐसे भ्रष्ट अधिकारी भी बैठे है.जो लूट में पूरी तरह से शामिल है.
ऱिपोर्ट. समीर हुसैन