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चाईबासा-2024 का जंग: पाला बदलने की तैयारी में गीता कोड़ा! इंडिया गठबंधन में दीपक बिरुआ, चंपई सोरेन से लेकर सुखराम उरांव की चर्चा तेज

चाईबासा-2024 का जंग: पाला बदलने की तैयारी में गीता कोड़ा! इंडिया गठबंधन में दीपक बिरुआ, चंपई सोरेन से लेकर सुखराम उरांव की चर्चा तेज

रांची(Ranchi)-2024 की बिसात बिछाने की कवायद शुरु हो चुकी है. राजनीति दलों में अपने अपने सियासी पहलवानों की खोज जारी है, कई स्थापित पहलवान पाला बदलने की तैयारी में हैं तो कई इस बात की इंतजार में हैं कि किसके पाला बदलने से उनके बंद भाग्य का ताला खुल सकता है. कुछ यही स्थिति चाईबासा यानी पश्चिमी सिंहभूम संसदीय सीट से है. सियासी गलियारों में चल रही चर्चाओं पर विश्वास करें तो पूर्व सीएम मधु कोड़ा की पत्नी और चाईबासा संसदीय सीट से कांग्रेस की वर्तमान सांसद गीता कोड़ा का पाला बदलने की अटकलें तेज हैं,

पार्टी कार्यक्रमों से गीता कोड़ा ने बनायी दूरी

दावा किया जा रहा है कि कार्यकारी अध्यक्ष के रुप में भी गीता कोड़ा अपनी जिम्मेवारियों का निर्वाह नहीं कर रही है, साथ ही वह लम्बे अर्से से अपने आप को पार्टी गतिविधियों से अलग रख रही है. और तो और वह कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय को भी भाव देती नजर नहीं आ रही हैं. कई बार तो खुद अविनाश पांडेय की ओर से संपर्क स्थापित करने की कोशिश की गयी लेकिन किसी ना किसी काम का बहाना देकर गीता कोड़ा ने दूरी बना ली.

झामुमो के सबसे मजबूत किले पर बाबूलाल की नजर

जानकारों का मानना है कि झारखंड की कमान संभालते ही बाबूलाल की पहली प्राथमिकता झामुमो का सबसे मजबूत किला संताल और कोल्हान को ध्वस्त करने की है. इसी कार्ययोजना को साकार करने के लिए मधु कोड़ा, उनकी पत्नी गीता कोड़ा, पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो को पार्टी में शामिल करवाने की रणनीति तैयार की गई है. यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो लोकसभा चुनाव के ठीक पहले गीता कोड़ा और मधु कोड़ा की यह जोड़ी कमल का दामन थाम सकती है.

कोल्हान की छह विधान सभा में से पांच पर झामुमो का कब्जा

यहां ध्यान रहे कि पश्चिमी सिंहभूम की कुल छह विधान सभा क्षेत्रों में से अभी झामुमो का पांच पर कब्जा है, जबकि छठी सीट जगन्नाथपुर से कांग्रेस के सोना राम सिंकु विधायक हैं. इस प्रकार सरायकेला से चंपई सोरन, चाईबासा से दीपक बिरुआ, मझगांव से निरल पूर्ति, मनोहरपुर से जोबा मांझी और चक्रधरपुर से सुखराम उरांव झाममो का झंडा बुलंद किये हुए हैं. लेकिन यहां यह भी याद रहे कि जगन्नाथपुर जहां से कोल्हान का एकलौता विधायक कांग्रेस के पास है, वहां मधु कोड़ा का मजबूत जनाधार है.

पिछले 23 वर्षों से जगन्नाथपुर विधान सभा पर कायम रहा है मधु कोड़ा का जलबा

वर्ष 2000 में इसी सीट से जीत हासिल करने के बाद मधु कोड़ा ने झारखंड की सियासत में अपना परचम गाड़ा था, और उसके बाद यह सीट मधु कोड़ा परिवार के हाथ में ही रही, दो दो बार खुद मधु कोड़ा और दो बार उनकी पत्नी गीता कोड़ा जगन्नाथपुर विधान सभा से विधान सभा तक पहुंचने में कामयाब रही, जब गीता कोड़ा को कांग्रेस के टिकट पर सांसद बना कर दिल्ली भेज दिया गया तो कांग्रेस ने इस सीट से सोना राम सिंकु पर अपना दांव लगाया और वह इस सीट पर कांग्रेस का पंजा लहराने में कामयाब रहें.  माना जा है कि सोना राम सिंकू की इस जीत के पीछे भी उस इलाके में मधु कोड़ा की लोकप्रियता रही है. कुल मिलाकर पिछले 23 वर्षों से इस सीट पर मधु कोड़ा का राजनीतिक वर्चस्व कायम है. और बाबूलाल का मधुकोड़ा पर दांव लगाने की वजह भी यही है.

जगन्नाथपुर से बाहर नहीं चलता मधु कोड़ा का जलबा

लेकिन यहां जो बात गौर करने वाली है कि वह यह है कि कोल्हान की एक सीट जगन्नाथपुर को छोड़ कर उसके बाहर मधु कोड़ा कोई बड़ा करिश्मा नहीं है. लेकिन दूसरी बात जो गौर करने वाली है कि यहां भाजपा कुड़मी महतो का  एक बड़ा चेहरा और पूर्व सांसद शैलेन्द्र महतो को भी पार्टी में शामिल करने की तैयारी में है, और शैलेन्द्र महतो का जन्म भूमि चक्रधऱपुर है. इसी विधान सभा से शैलेन्द्र महतो ने अपने संघर्ष की शुरुआत की थी, जब बीड़ी आन्दोलन की शुरुआत कर बेबस आदिवासियों को उनका वाजिब हक दिलवाया था, यह वह दौर था, जब शैलेन्द्र महतो कुड़मी जाति के साथ ही आदिवासियों के भी सबसे चेहता नेतृत्वकर्ता के बतौर सामने आये थें.

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बाबूलाल का सियासी गणित

बाबूलाल की सियासी गणित इसी पर टिका हुआ है, उनका मानना है कि यदि चक्रधर में शैलेन्द्र महतो और जगन्नाथपुर विधान सभा से मधु कोड़ा की जोड़ी को खड़ा कर दिया जाय तो यहां भाजपा को मुकाबले में लाया जा सकता है, बची खुची कसर उनके खुद के आदिवासी चेहरे से पूरी की जा सकती है. लेकिन यह उनका आकलन है. और जरुरी नहीं है कि उनका आकलन उसी दिशा में जाय जिस दिशा में वह ले जाना चाहते हैं. क्योंकि पूर्व सीएम मधु कोड़ा को यही भाजपा और बाबूलाल बरसों से लूट का चेहरा बताते रहे हैं. रही बात शैलेन्द्र महतो की तो पिछले एक दशक में उनकी सियासी सक्रियता काफी सिमट चुकी है, कहा जा सकता है कि आज की तारीख में वह एक बुझा हुए तीर से ज्यादा कुछ नहीं है. इस हालत में यह जोड़ी कौन सा कमाल खिला पायेगा इस पर बड़ा सवाल है.

कौन होगा इंडिया गठबंधन का चेहरा

लेकिन यहां अहम सवाल यह है कि यदि गीता कोड़ा पाला बदल कर भाजपा का दामन थाम लेती है, तो उस हालत में इंडिया गठबंधन के पास विकल्प क्या होगा? जानकारों का दावा है कि गीता कोड़ा के पाला बदलने के बाद कांग्रेस के पास वहां चेहरों का अभाव हो जायेगा.  उस हालत  में कांग्रेस के पास ले-देकर सिर्फ देवेन्द्रनाथ चांपिया का चेहरा ही बचता है.

देवेन्द्रनाथ चांपिया को मैदान में उतार सकती है कांग्रेस

बिहार सरकार में पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष देवेन्द्र नाथ चांपिया मंझगाव विधान सभा से विधायक भी रह चुके हैं. और आज के दिन कांग्रेस संगठन में उनकी सक्रियता बनी रहती है. लेकिन दावा किया जा रहा कि गीता कोड़ा को साथ छोड़ने की स्थिति में झामुमो की कोशिश इस सीट को अपने पाले में रखने की होगी.

वैसे ही झामुमो का एक खेमा लगातार गीता कोड़ा के विरुद्ध अपनी शिकायत को दर्ज करवाता रहा है, उनका आरोप रहा है कि गीता कोड़ा झामुमो कार्यकर्ताओं को कभी भी भाव नहीं देती है, उनकी शिकायतों को सुना नहीं जाता है, जिसके कारण उन्हे अपने समर्थकों का छोटा मोटा काम करवाने में पसीने छुट्ते हैं. जिसका सीधा असर उनके मतदाताओं के नाराजगी के रुप में सामने आती है.

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झामुमो से दीपक बिरुआ हो जनजाति का बड़ा चेहरा                                               

ध्यान रहे कि गीता कोड़ा की असली ताकत उनका हो जनजाति समुदाय से आना है. हो जनजाति की इस लोकसभा में काफी बड़ी आबादी है. झामुमो की बात करें तो चाईबासा से विधायक दीपक बिरुआ भी इसी समुदाय से आते हैं, इस हालत में दीपक बिरुआ झामुमो के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं, लेकिन पार्टी का एक बड़ा खेमा का मानना है कि दीपक बिरुआ अपने आप को राज्य की राजनीति से  बाहर करना नहीं चाहते, उनका पूरा फोकस अपने विधान सभा और राज्य की राजनीति पर है. इस हालत में जो दूसरा चेहरा सामने आता है, वह है चक्रधरपुर विधायाक सुखराम उरांव का.

सुखराम उरांव पर भी झामुमो लगा सकती दांव

खुद सुखराम उरांव भी काफी लम्बे अर्से से टिकट के दावेदार रहे हैं. और दावा यह भी किया जाता है कि गीता कोड़ा की नाराजगी की एक बड़ी वजह खुद सुखराम उरांव भी है, आरोप है कि सुखराम उरांव झामुमो के कार्यकर्ताओं को लगातार गीता कोड़ा के विरुद्ध उकसाते रहे हैं, और इसके साथ  ही कार्यकर्ताओं की इस कथित नाराजगी को अपने झामुमो के आलाकमान तक पहुंचाते रहे हैं. इस हालत में जब  गीता कोड़ा की विदाई होगी तो निश्चित रुप से सुखराम अपने आप को सबसे मजबूत उम्मीदवार मानेंगे.

चंपई सोरेन सीएम हेमंत का बेहद करीबी चेहरा

लेकिन यहां एक और नाम है जो खुद सीएम हेमंत का बेहद नजदीक है, वह है सरायकेला विधायक और हेमंत सरकार में परिवहन, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण चंपई सोरेन का. माना जाता है कि उपर के तमाम चेहरों  में इनका चेहरा और कद सब पर भारी पड़ सकता है. लेकिन सवाल यह भी है कि क्या चंपई सोरेन खुद भी राज्य की राजनीति से अपने आप को अलग करना पसंद  करेंगे.

Published at:31 Oct 2023 01:09 PM (IST)
Tags:War of 2024 Geeta KodaChaibasa parliamentary seat India Alliance.Madhu kodaचंपई सोरेनChampai Sorenदेवेन्द्रनाथ चांपिया Devendranath Champiachaibasachaibasa loksabhachaibasa dc namehistory of chaibasachaibasa railway stationkhunti loksabha seatloksabha electionsinghbhum loksabha seatloksabha electionschaibasa blast newschaibasa bomb blastloksabha election 20192019 loksabha electionloksabha elections 2024singhbhum lok sabhasinghbhum6th lok sabha memberswest singhbhum14th lok sabha memberswest singhbhum.west singhbhum mapsinghbhum loksabha constituencywest singhbhum panchayatwest singhbhum jharkhandwest singhbhum blockswest singhbhum historywest singhbhum tourismwest singhbhum chaibasa newslive east singhbhumSukhram OraonDeepak Birua Champai Soren to Sukhram Oraon
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