रांची (TNP Desk) : झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता और बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. वह 7 मार्च से अन्याय यात्रा निकालेंगे. यानि कि झामुमो के न्याय यात्रा के खिलाफ लोबिन का अन्याय यात्रा होगा. एक तरफ झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेल में बंद है, वहीं दूसरी तरफ अपनी ही पार्टी के खिलाफ अन्याय यात्रा निकाल रहे हैं. जबकि जेएमएम अपने नेता हेमंत सोरेन की रिहाई के लिए पूरे प्रदेश में न्याय यात्रा निकाल रहे हैं. लोबिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान शायराना अंदाज में गठबंधन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि झारखंड को अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, कश्ती वहीं डूबी जहां पानी कम था. बोरियो विधायक ने पूर्व सीएम हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली सरकार का जिक्र करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में झारखंड के आदिवासी-मूलवासी के साथ अन्याय हुआ है. हम उसी के खिलाफ अन्याय यात्रा निकालेंगे. हेमंत सोरेन ने आदिवासी-मूलवासी का राग अलाप कर सिर्फ ठगने का काम किया है. हालांकि, लोबिन हेंब्रम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दिशोम गुरु शिबू सोरेन के खिलाफ कुछ नहीं कहा. उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन हमारे लिए सम्मानीय हैं और हमेशा वही मेरे गुरु रहेंगे.
लोबिन के खिलाफ हेमंत और झामुमो ने कभी नहीं उगला जहर
झारखंड में जब से झामुमो-कांग्रेस की सरकार बनी है तब से लगातार बोरियो विधायक अपनी ही सरकार को कई बार घेर चुके हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत के नेतृत्व वाली सरकार की लगातार आलोचना करते रहे हैं. लेकिन सबसे बड़ी बात ये है कि लोबिन के बगावती सुर के खिलाफ झामुमो ने कभी कुछ नहीं कहा. जबकि लोबिन ने हमेशा सरकार और पार्टी को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की. इसके बावजूद न तो कभी हेमंत सोरेन ने कहा ना ही कभी शिबू सोरेन ने कहा. जबकि लोबिन के बगावती सुर पर कई बार पत्रकारों ने हेमंत सोरेन और झामुमो से भी जानना चाहा, लेकिन कभी भी जेएमएम विधायक के खिलाफ कुछ नहीं कहा. इस मामले पर हेमंत सोरेन ने सिर्फ इतना कहा कि वे हमारे चाचा हैं.
क्या बीजेपी में जाएंगे लोबिन हेंब्रम ?
अपनी ही पार्टी के खिलाफ लगातार मुखर होकर बोलने वाले लोबिन से पूछा गया कि क्या आप बीजेपी में जाने वाले हैं तो उन्होंने स्पष्ट कह दिया कि हम कभी भी भाजपा में नहीं जाएंगे. हम यहीं रहेंगे. लेकिन अब ऐसा लगता है कि बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम का जेएमएम से मोहभंग हो गया है. अब वे अपनी नई पार्टी बनाने में जुट गए हैं. वे झारखंड बचाओ मोर्चा के नाम से पार्टी को पंजीकृत कराने वाले हैं. हालांकि इसके बारे में खुलकर कभी नहीं बोले हैं.
कहीं साइमन मरांडी और हेमलाल मुर्मू जैसा हर्ष ना हो जाए
अपने ही पार्टी के खिलाफ बयान देने वाले बोरियो विधायक लोबिन हेंब्रम का हर्ष कहीं साइमन मरांडी और हेमलाल मुर्मू जैसा ना हो जाए. राजनीतिक पंडितों का मानना है कि अगर वे झामुमो से अलग होकर चुनाव लड़ेंगे तो उनका जनाधार बंट जाएगा. ऐसा नहीं है कि वे राज्य के सबसे बड़े नेता हैं, जिसके वजह से वे आसानी से जीत जाएंगे. लोबिन सिर्फ अपने ही क्षेत्र तक सीमित हैं. उनके पास राज्य में कोई जनाधार नहीं है. जिस तरीके से जल, जंगल, जमीन, आदिवासी-मूलवासी की बात लोबिन हेंब्रम करते हैं ठीक उसी तरह कभी साइमन मरांडी और हेमलाल मुर्मू किया करते थे. साइमन मरांडी और हेमलाल मुर्मू भी कभी जेएमएम के कद्दावर नेता हुआ करते थे. उन्हें भ्रम हो गया था कि हम अगर पार्टी से अलग हो जाएंगे तो झामुमो कमजोर हो जाएगा. लेकिन भ्रम कुछ दिनों बाद टूट गया. और वे हाशिए पर चले गये.
लोबिन के खिलाफ झामुमो ने पहले से ही तैयार कर ली है अपनी जमीन
झारखंड के राजनीति को जानने वालों का मानना है कि जो हश्र साइमन मरांडी और हेमलाल मुर्मू का हुआ है वैसा ही आने वाले दिनों में लोबिन हेंब्रम का होगा. हेमलाल मुर्मू झामुमो छोड़ कर भाजपा में चले गये, लेकिन वहां उनकी दाल नहीं गली, जब वे उपेक्षा के शिकार हो गए तो फिर से झामुमो का दामन थाम लिया. उन्हें आभास हो गया था कि आज हम जो कुछ भी हैं वो झामुमो के बदौलत. ऐसा नहीं है कि लोबिन के बागवत तेवर से झामुमो वाकिफ नहीं है, इसके बावजूद पार्टी उनके खिलाफ कुछ नहीं कहता. जानकारों का मनना है कि झामुमो ने हेमलाल मुर्मू को पार्टी में शामिल कर लोबिन को एक संदेश तो जरूर दे दिया है. इसके बावजूद भी नहीं माने तो आने वाले चुनाव में लोबिन के खिलाफ झामुमो की ओर से हेमलाल ही चुनाव लड़ेंगे. हेमलाल जमीन से जुड़े हुए नेता हैं. ये बात अलग है भाजपा ने कोई जगह नहीं दिया लेकिन झामुमो के लिए वे सबसे खास हैं. इसी वजह से जेएमएम कोई बयान नहीं देता है क्योंकि लोबिन के खिलाफ पार्टी ने अपनी जमीन पहले से ही तैयार कर ली है.