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डिलिस्टिंग का जवाब आदिवासी एकता महारैली! चार फरवरी को रांची की सड़कों पर बंधु तिर्की का शक्ति प्रर्दशन

डिलिस्टिंग का जवाब आदिवासी एकता महारैली! चार फरवरी को रांची की सड़कों पर बंधु तिर्की का शक्ति प्रर्दशन

Ranchi-जनजाति सुरक्षा मंच की ओर से 24 दिसम्बर को राजधानी रांची में आयोजित रैली और उस रैली में धर्मांतरित आदिवासियों के लिए डिलिस्टिंग की मांग के बाद अभी सियासी तूफान थमा भी नहीं था कि प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने चार फरवरी को उसी मोरहाबादी मैदान में झारखंड जनाधिकार मंच की ओर से आदिवासी एकता महारैली का एलान कर सियासी माहौल में गरमाहट ला दी है. हालांकि बंधु तिर्की ने अब तक यह पता नहीं खोला है कि क्या यह आदिवासी एकता महारैली डिलिस्टिंग की मांग का जवाब है, या इसका फोकस आदिवासी समाज के परंपरागत मुद्दे जल जंगल और जमीन पर ही केन्द्रित होगा. लेकिन जिस प्रकार बंधु तिर्की ने यह दावा जरुर किया है कि इस रैली के माध्यम से आदिवासी समाज की एकता को विभाजित करने वाले षडंयत्रकारियों को करारा जवाब दिया जायेगा. उनकी वास्तविक औकात दिखलायी जायेगी. उसके बाद इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि इस महारैली के माध्यम से डिलिस्टिंग की मांग करने वालों को करारा जवाब दिया जायेगा.

आदिवासी एकता की दिशा में मिल का पत्थर साबित होगा यह महारैली

बंधू तिर्की ने दावा किया है कि यह रैली आदिवासी एकता की दिशा में मिल का पत्थर का साबित होगा. झारखंड के हर जिले और हर कस्बे में इसमें भागीदारी होगी, क्योंकि यदि आज आदिवासी समाज अपने अंदर के विभाजनकारियों और षडयंत्रकारियों के खिलाफ खड़ा नहीं हुआ तो हम जल जंगल और जमीन के साथ ही अपनी संस्कृति से भी हाथ धो बैठेंगे. यहां याद रहे कि कल ही बंधु तिर्की ने  डिलिस्टिंग की मांग को आदिवासी समाज में जहर घोलने की संघी साजिश करार दिया था. उन्होंने कहा था कि हर चुनाव के पहले  संघ परिवार के द्वारा इस प्रकार का जहर फैलाया जाता रहा है, ताकि भाजपा के पक्ष में ध्रुवीकरण तेज हो सके. लेकिन आदिवासी समाज को अपने अंदर के इन षडयंत्रकारियों से सावधान रहना होगा. यह हमारी खूबसुरती है कि गांव हो या शहर आदिवासी समाज अपने बीच के तमाम विभाजनों को भूल कर परस्पर सौहार्द के साथ निवास करता है, हमारे बीच धर्म के आधार पर कोई भेद नहीं है. हम हर धर्म का सम्मान करते हैं और एक दूसरे के पर्व त्योहारों में पूरे उत्साह और उमंग के साथ भाग लेते हैं. हमारी धार्मिक परंपरा भले ही अलग-अलग हो, लेकिन हमारी संस्कृति और भाषा समान है, झारखण्ड की इस मौलिक भावना से खिलवाड़ करने का अधिकार किसी भी संगठन को नहीं है और यदि यह कोशिश की गयी तो आदिवासी समाज की ओर से इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जायेगा.

हर चुनाव के पहले समाज को बांटने की साजिश में जुट जाता है आरएसएस

बंधु तिर्की ने दावा किया था कि जैसे ही चुनावी आता है, हमारे बीच में सामाजिक ध्रुवीकरण को तेज करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और उसकी अनुषंगी इकाइयों की साजिश शुरु हो जाती है. 24 दिसम्बर को राजधानी के मोरहाबादी मैदान में भी इसी साजिश के तहत इस मुद्दे को उठाया गया है. लेकिन झारखंड में इसका कोई महत्व नहीं है. हर व्यक्ति को हमारा संविधान अपना धर्म चुनने का अधिकार देता है, किसी दूसरे धर्म से प्रभावित होकर भले कोई व्यक्ति किसी अन्य धर्म में मतान्तरित हो जाये, लेकिन इससे बावजूद वह अपनी परंपरा और संस्कृति से नहीं कटता. सांस्कृतिक दृष्टिकोण से किसी भी धर्म में रहने के बावजूद एक आदिवासी आदिवासी ही होता है. आदिवासीयत ही उसकी असली पहली पहचान है, बाकि की बातें बाद में आती है. समय के साथ अनेक आदिवासियों ने ईसाई, मुस्लिम या फिर सनातन धर्म को अपनाया है और उन्हें इस बात का अधिकार है. लेकिन इससे उनकी संस्कृति में कोई बदलाव नहीं आता. यदि ईसाई धर्म पर बात होती है तो बाकी धर्म के मामले में भी जनजाति सुरक्षा मंच को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिये. जनजाति सुरक्षा मंच हम आदिवासियों को पाठ पढ़ाना बन्द करे.

आदिवासी जमीन लूट के खिलाफ जनजाति सुरक्षा मंच की चुप्पी क्यों?

जनजाति सुरक्षा मंच यदि आदिवासियों का इतना ही बड़ा पैरोकार है तो वह आदिवासी जमीन के लूट के खिलाफ अपनी आवाज बुंलद क्यों नहीं करता. आदिवासियों की जमीन लूटनेवाले वैसे लोग हैं जो दूसरे प्रदेशों से झारखण्ड में आये हैं. जमीन की इस लूट के कारण आज आदिवासियों को राजधानी सहित दूसरे शहरों से उजाड़ा जा रहा है, लेकिन जनजातीय सुरक्षा मंच इस ज्वलंत मुद्दे पर एक साजिश तहत चुप्पी साध जाता है. उसे इस बात की फिक्र नहीं है कि आज पूरे झारखंड से वह पलायन को विवश हैं. उनके हितों को कुचला जा रहा है, लेकिन इन  मुद्दों पर जनजाति मंच अपना  मुंह खोलने को तैयार नहीं है, इससे यह स्पष्ट है कि जनजाति सुरक्षा मंच जुड़े नेताओं की मानसिकता क्या है. और उनको सामने कर किन लोगों के द्वारा राजनीति की जा रही है.

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Published at:26 Dec 2023 12:24 PM (IST)
Tags:Tribal unity Maharally is the answer to delisting! BandhuTirkey's show of strength on the streets of Ranchi on February 4delisting is a conspiracy against tribal bandhu trikey breaking bandhu triky latest NewsBandhu Tirkey on demand of delisting Adiwasi ekta maharally on marabadi maidan bandhu Trikey annnonced for adiwasi Ekta maharally झारखंड जनाधिकार मंच Jharkhand Janadhikar ManchTribal Unity Maharallybandhu tirkeymla bandhu tirkeymla jharkhand bandhu tirkeyrupa tirkey newsbandhutirkeyBandhu Tirkey's tribal unity rally against delisting
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