Ranchi (TNP Desk) : चंपाई सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में कांग्रेस कोटे से नये चहेरों को शामिल नहीं किये जाने से 12 विधायक नाराज हो गए. आठ विधायक कांग्रेस आलाकमान से शिकायत करने दिल्ली तक पहुंच गये. चार दिनों तक दिल्ली में ही डेरा जमाये रहे. चौथे दिन कांग्रेस आलाकमान से बातचीत हुई. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से किसी तरह मुलाकात हुई. लेकिन इन विधायकों का प्रेशर पॉलिटिक्स काम नहीं आया. सीधा इनको लौटने को कहा. अब जब ये लोग रांची लौट गए हैं तो इन्हें संदेह की नजर इनको देख रहे हैं. जानकार तो यह भी कह रहे हैं कि अब कांग्रेस के ये आठ विधायक न घर के रहे, न घाट के. इनका इकबाल अब खत्म हो गया. उन्होंने कांग्रेस का विश्वास खो दिया और झामुमो खेमा को भी नाराज कर दिया.
अब क्या करेंगे नाराज विधायक
दिल्ली गए आठ नाराज विधायक अब क्या करेंगे यह तो कई नहीं जानता, लेकिन इनकी हठधर्मिता ने कांग्रेस को काफी आहत किया है. अब कांग्रेस पार्टी प्रदेश के नेताओं को एक करने और संगठन को मजबूत करने में जुट गई है. आलाकमान ने यहां तक कह दिया कि आपने पार्टी और क्षेत्र की जनता के लिए बहुत कुछ किया है. पार्टी ने भी हमेशा आपलोगों का सम्मान किया है, आगे भी करती रहेगी. लेकिन जो तरीका आपलोगों ने अपनाया इससे पार्टी और सरकार की छवि धुमिल हुई है. जनता की नजर में पार्टी की किरकिरी हुई है.
आलाकमान ने विधायकों को दी नसीहत
कांग्रेस के इन विधायकों के रवैये से आलाकमान नाराज हो गए थे. इसी वजह से विधायकों को मिलने में चार दिन का समय लग गया. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने विधायकों को समझाया और नसीहत देते हुए कहा कि पहली बार जीत कर आये हैं, भविष्य अच्छा है. मिलजुल कर सरकार चलाएं और काम करें. आलाकमान के रुख से विधायकों को पता चल गया कि कुछ माह के लिए मंत्री बदले जानेवाले नहीं है. इसलिए इन्हें बैरंग ही दिल्ली से रांची लौटना पड़ा. पूरे राजनीतिक घटनाक्रम में इन विधायकों की साख गिर गई. अब ये किस मूंह से जनता के बीच जायेंगे.
लीड कर रहे अनूप सिंह से झामुमो नाराज
कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों का लीड कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह कर रहे थे. अनूप सिंह के इशारे पर ही नाराज विधायकों ने पहले रांची के होटल में बैठक की उसके बाद दिल्ली जाने का फैसला लिया. हालांकि 12 विधायकों में से आठ ही विधायक दिल्ली पहुंचे और चार विधायकों ने अपने क्षेत्र की समस्या को बताकर दिल्ली उनके साथ नहीं गए. दिल्ली में भी अनूप सिंह ही लीड कर रहे थे. उस समय प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने इन विधायकों के साथ बैठक की थी. इन पूरे प्रकरण की सूचना कांग्रेस और झामुमो के नेताओं को थी. खास कर झामुमो के नेता अनुप सिंह के रवैये से खासा नाराज हैं. बताया जाता है कि अनूप सिंह झारखंड मुक्ति मोर्चा के काफी नजदीकी माने जाते थे, लेकिन जिस तरह से चंपाई सरकार को झटका, उससे झामुमो खेमा काफी नाराज हो गए हैं.
कैश कांड में फंसे थे ये विधायक
बता दें कि तत्कालीन हेमंत सरकार में इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी कैश कांड में फंसे थे. कोलकाता जाने के क्रम में उनकी गाड़ी से पुलिस ने 40 लाख रुपए कैश बरामद किया था. विधायकों को जेल भी जाना पड़ा था. इस मामले की जांच पश्चिम बंगाल सरकार ने करायी थी. वहीं अनूप सिंह ने अरगोड़ा थाना में जीरो एफआईआर कराया था. कहा तो ये भी जाता है कि इस कांड में अंबा प्रसाद और उमाशंकर अकेला भी शामिल थे, लेकिन समय रहते ये लोग बच निकले. इस घटना के बाद भी पार्टी ने उन्हें क्लीन चीट दे दी थी. उस समय भी राज्य में कांग्रेस की खूब किरकिरी हुई थी.
इन विधायकों को कब तक ढोएगी कांग्रेस
कैश कांड से पहले भी इन विधायकों ने कांग्रेस की किरकिरी कराने में कोई कसर नहीं छोड़ा था. कहा जाता है कि राष्ट्रपति चुनाव में भी यूपीए समर्थित यशवंत सिन्हा को वोट नहीं किए थे. चुनाव में यूपीए गठबंधन के पास 20 वोट थे, लेकिन यशवंत सिन्हा को 10 वोट ही मिले थे. राष्ट्रपति चुनाव में क्रॉस वोटिंस से भी कांग्रेस की किरकिरी हुई थी. तो सवाल उठता है कि इतने प्रकरण हो जाने के बाद भी पार्टी इन विधायकों को आखिर कब तक ढोएगी. पार्टी की मजबूरी है या कुछ और ये तो वही जानें, लेकिन जनता के बीच कांग्रेस की ही छवि धूमिल हो रही है. असंतुष्ट विधायकों को पार्टी या राज्य से कोई मतलब नहीं है इन्हें सिर्फ कुर्सी चाहिए. मंत्री पद के लिए ये विधायक कहीं भी जा सकते हैं. अब देखना होगा कांग्रेस पार्टी इनके खिलाफ क्या कदम उठाती है.