Ranchi- मुझे इस बात का गर्व है कि मैं आदिवासी हूं, और आदिवासी मुख्यमंत्री भी हूं, इस समय पूरे देश में करीबन 13 करोड़ आदिवासी है, इस देश का मूलवासी आदिवासी होने के बावजूद आज भी हम अपनी आईडेंटिटी की तलाश में हैं, हमारी चुनौतियां दिन प्रति दिन और भी गहरी होती जा रही है, हर दिन हमारी पहचान को मिटाने की एक नयी साजिश रची जा रही है, सरना धर्म कोड की मांग इसी आइडेंटिटी क्राइसिस से उबरने की एक कोशिश मात्र है, और यही कारण है कि हमने इसे विधान सभा से पारित कर केन्द्र सरकार को भेजा है, लेकिन अफसोस आज तक उस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. यदि सरना धर्म कोड को केन्द्र सरकार स्वीकार कर लेती तो हमारी सभ्यता संस्कृति और हमारी पहचान पर छाया यह संकट कुछ हद तक टल जाता, लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है.
ट्राइबल आईडेंटिटी पर संकट
उपरोक्त विचार आदिवासी महोत्सव पर सीएम हेमंत के हैं, ट्राइबल आईडेंटिटी पर संकट के विभिन्न आयामों की चर्चा करते हुए सीएम हेमंत ने इस बात दुहराया कि देश के मौजूदा हालात आदिवासी समाज के लिए हर रोज एक नया संकट ला रहा हैं, उनकी सभ्यता, संस्कृति और लोक परपंरा को मिटाने की साजिश रची जा रही है, बावजूद इसके आदिवासी समाज अपनी पहचान को बनाये रखने के लिए संघर्ष कर रहा है, क्योंकि संघर्ष ही हमारी विरासत है, हमारे पुरखों ने लंबा संघर्ष किया है, शहादतें दी हैं, और यह संघर्ष और शहादत बेकार नहीं जाने वाली है. एक आदिवासी मुख्यमंत्री के रुप में हमारी कोशिश सभी आदिवासी समूहों को एक साथ खड़ा करने की है, उनको आपस में कनेक्ट करने की है, उनके बीच की दूरियों को मिटाने की है. इन समूहों में विकास की गति को दिशा देने की है.
संघर्ष और शहादत की प्रेरणा हमें विरासत में मिली है
इस अवसर पर सीएम हेमंत ने अपने परिवार के संघर्ष का जिक्र किया, उन्होंने कहा कि हमारी पिताजी और दादा जी ने भी लंबा संघर्ष किया, शोषण और जुल्म के खिलाफ हमारे परिवार ने भी कुर्बानियां दी, मुझे यह कहने में आज गर्व हो रहा है कि संघर्ष और शहादत की प्रेरणा हमें विरासत में मिली है.