Ranchi-अब तक भाजपा के करीबी होने का आरोप झेलते रहे हैं टाईगर जयराम ने साफ कर दिया है कि उनकी पहली लड़ाई भाजपा और उसकी विभाजनकारी नीतियों से है. जयराम ने दावा कि जैसे जैसे हमारे आन्दोलन की आग फैल रही है, वैसे-वैसे भाजपा आदिवासी-मूलवासी चेहरों को सामने लाने को विवश हो रही है, यह हमारी लड़ाई का ही नतीजा है कि आज अमर बाउरी और जेपी पटेल इस कुर्सी तक पहुंच सके हैं, इन लोगों को भाजपा के ज्यादा हमारे आन्दोलन का शुक्रगार होना चाहिए, क्योंकि यदि हमारा आन्दोलन नहीं होता तो आज भी भाजपा में राज सिन्हा, जयंत सिन्हा, बीडी राम, निशिकांत दुबे की चल रही होती, लेकिन हमारे आन्दोलन को जिस तरह से लोगों का समर्थन मिला उससे भाजपा आलाकमान की नींद खुल गयी. उन्हे इस बात का एहसास हो गया कि बगैर आदिवासी मूलवासियों को आगे किये उनकी दुकानदारी झारखंड में बंद होने वाली है, झारखंड की जनता जाग चुकी है, वह इन बाहरी लोगों को कभी भी अपना प्रतिनिधि के रुप में स्वीकार नहीं करेगी.
निशिकांत दुबे, जयन्त सिन्हा की दुकानदारी बंद, अब हमारे भूमिपुत्र करेंगे सिंहनाद
जयराम ने इस बात का भी दावा किया कि भाजपा की नजर हमारे खेत खलिहानों और उर्वरी जमीनों पर लगी हुई है, वह बड़ी बड़ी कंपनियों को बुला कर हमारी जमीनों को भेंट करना चाहती है, हमें हमारी ही जमीन से बेदखल करना चाहती है, निशिकांत दुबे जैसे नेता तो खुले आम अडाणी की वकालत करते नजर आ रहे हैं, लेकिन कोई इन नेताओं से पूछे कि अडाणी अंबानी की कंपनियों में काम किनको मिल रहा है, स्थानीय लोगों को कितनी नौकरियां दी जा रही है, यदि दी जा रही है तो उसका स्तर क्या है, क्या हमारे लोग सिर्फ गार्ड और मजदूर की नौकरी करने के लिए हैं, और दूसरे सारे मलाईदार कुर्सी बाहरी लोगों के हिस्से में रहेगी.
जयराम ने दावा किया कि आने वाले दिनों में हमारे आन्दोलन की झलक भाजपा में और भी तेजी से देखने को मिलेगी, अब ये आदिवासी-मूलवासी और स्थानीय लोगों को टिकट देने कोभी बाध्य होगें, निशिकांत, बीडी राम, राज सिन्हा के दिन खत्म हुए, अब अमर बाउरी, जेपी भाई पेटल और दूसरे भूमि पुत्रों के दिन आने वाले हैं.