पटना(PATNA)- भाजपा सरकार की नयी शिक्षा नीति को व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी से अंध भक्तों की फौज खड़ा करने की कवायद बताते हुए पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने कहा है कि भाजपा के शासन काल में युवाओं की पढ़ाई-लिखाई अब विश्वविद्यालयों में नहीं होगी, उनकी पूरी शिक्षा दीक्षा व्हाट्सएप यूनिवर्सिटियों में दी जायेगी. लेकिन बिहार में भाजपा का यह सपना पूरा होने वाला नहीं है. भाजपा को अभी दिन में हसीन सपनें आ रहे हैं, उसे सपने में सत्ता करीब आता दिख रहा है, हालांकि भाजपा को सपने देखने का पूरा हक है, लेकिन दिन में सपने देखना अच्छी बात नहीं है.
शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव के.के पाठक और शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखर के बीच जारी विवाद में सुधाकर सिंह ने के.के पाठक को निहायत निकम्मा अधिकारी बताया. उन्होंने कहा है कि के. के पाठक जिस विभाग में भी जाते हैं, उस विभाग का बंटाधार कर देते हैं, इन्ही के रहते हुए पूरे बिहार में जहरीली शराब से लोगों की मौत हो रही थी और जहरीली शराब की बिहार में इंट्री को रोकने में ये पूरी तरह से नाकामयाब रहे थें.
शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखऱ की प्रशंसा में तारीफों के पुल
शिक्षा मंत्री चन्द्रशेखऱ की प्रशंसा करते हुए सुधाकर सिंह ने कहा कि वह काफी उत्कृष्ट विद्वान है. यह कैसा लोकतंत्र है, जहां अपनी बात को रखने की भी स्वतंत्रता नहीं है. हालांकि के. के पाठक विवाद में लालू यादव के बयानों पर सुधाकर सिंह किसी प्रकार की टिप्पणी करने से इंकार कर दिया, उन्होंने कहा कि वह पार्टी के अदना सा सिपाही हैं, लालू यादव के किसी वक्तव्य पर टिप्पणी करने उनकी हैसियत नहीं है. लेकिन इतना साफ है कि के. के पाठक की विदाई कर सरकार को साफ संकेत देना चाहिए कि लोकतंत्र में अंतिम फैसला उसके निर्वाचित प्रतिनिधियों के हाथ में होगा, किसी भी रुप में सत्ता की बागडोर अधिकारियों के हाथ में सौंपी नहीं जा सकती.
ध्यान रहे कि सीएम नीतीश के हस्तक्षेप के बाद प्रोफेसर चन्द्रशेखर मीडिया के सवालों से बचते नजर आ रहे हैं, लेकिन पिछले दो दिनों से कार्यालय नहीं आने से राजनीतिक अटकलों का दौर अभी भी जारी है. हालांकि पूर्व सीएम राबड़ी देवी ने दावा किया है कि इस मामले का कोई असर गठबंधन पर पड़ने वाला नहीं है, महागठबंधन पूरी शक्ति के साथ पीएम मोदी को उखाड़ फेंकने की रणनीति पर काम करता रहेगा. लेकिन बावजूद इसके राजद विधायक भाई वीरेन्द्र ने के. के पाठक को कान पकड़ कर बाहर निकलाने का बयान देकर राजद खेमे की भावनाओं को जग जाहिर कर दिया था, भाई वीरेन्द्र को जदयू कोटे से मंत्री रत्नेश सदा का भी साथ मिला था, रत्नेश सदा ने के. के. पाठक को सामंती मिजाज का व्यक्ति बताते हुए कहा था कि वह अनावश्यक रुप से महादलितों को निशाने पर ले रहे हैं, जबकि राजद कोटे से एमएलसी रहे सुनील सिंह ने यह दावा कर सनसनी फैला दी थी कि सीएम नीतीश अपने मंत्रियों पर निगरानी रखने के लिए इस प्रकार के अधिकारियों का इस्तेमाल एक औजार के रुप में करते रहे हैं. यह उनकी पुरानी अदा है. अब उसी कड़ी में पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह ने भी मोर्चा खोल दिया है.