रांची(RANCHI)जिस लीज आवंटन मामले में कभी सीएम हेमंत की कुर्सी हिलती नजर आ रही थी, झारखंड की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया था, और यह माना जा रहा था कि अब हेमंत सरकार महज कुछ दिनों की बात रह गई. आज भी वह मामला समाप्त नहीं हुआ है, झारखंड हाईकोर्ट में आज भी उस मामले पर सुनवाई जारी है.
हेमंत के पास विकसित हो चुका है राजनीतिक झंझवातों को मुकाबला करने का हुनर
तब सीएम हेमंत ने अपने राजनीतिक पैंतरों और बल्लेवाजी से यह साबित कर दिखलाया कि वह राजनीति के मंजे खिलाड़ी बन चुके हैं और इन राजनीतिक झंझवातों को मुकाबला करने का हुनर उनके अन्दर विकसित हो चुका है. हालांकि आज भी उस मामले में चुनाव आयोग की चिट्ठी पर सस्पेंस बरकार है, लोग बाग इसकी चर्चा करते देखे जाते हैं कि जिस चिट्ठी को लेकर इतना हंगामा हुआ, आखिरकार उसका हश्र क्या हुआ, जिस चिट्ठी को लेकर भाजपा सांसद निशिंकात का हर दिन एक ट्विट आता था, सीएम हेमंत की गिरफ्तारी की डेडलाईन चलाई जाती थी, आज वह किस कोने में अपनी गुमशुदगी पर विलाप कर रहा है, उस चिट्ठी के साथ ही राज्यपाल रमेश बैस भी झारखंड को अलविदा कह चुके हैं, लेकिन इतना तो साफ है कि तब सीएम हेमंत ने अपने राजनीतिक फिल्डिंग और बॉलिंग से राज्यपाल को अपना तीर तरकश में रखने के लिए मजबूर कर दिया था.
कपिल सिब्बल ने रखा तर्क
आज झारखंड हाईकोर्ट में सीएम हेमंत की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता कपिल सिब्ब्ल ने कोर्ट को बताया है कि इसी तरह का एक मामला शिव शंकर शर्मा के द्वारा दायर किया गया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. अब उन्ही तथ्यों और तर्को के आधार पर एक्टिविस्ट सुनील महतो की ओर से एक नई याचिका दायर की गयी है, इस याचिक में नया कुछ भी नहीं है, इस मामले को यहीं समाप्त कर देनी चाहिए. हालांकि इसका काउंटर करते हुए एक्टिविस्ट सुनील महतो का अधिवक्ता विशाल कुमार ने यह दावा किया गया कि यह उस मामले से बिल्कुल जुदा है, और नये तथ्यों के आधार पर याचिका दायर किया गया है. जिसके बाद कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पूरक शपथ पत्र दाखिल करने को कहा है। इसके बाद इस मामले की सुनवाई के लिए 11 अक्टूबर निर्धारित की है.