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नये संसद भवन में पवित्र ‘सेंगोल’ स्थापित हो गया. लेकिन, क्या आप जानते हैं इसका इतिहास और क्यों है इतनी चर्चा ?

नये संसद भवन में पवित्र ‘सेंगोल’ स्थापित हो गया. लेकिन, क्या आप जानते हैं इसका इतिहास और क्यों है इतनी चर्चा ?

टीएनपी डेस्क (TNP DESK):-PM नरेन्द्र मोदी ने भारत के नए संसद भवन में राजदंड 'सेंगोल' की स्थापना की. तमिलनाडु के सदियों पुराने मठ के आधीनम महंतों की मौजूदगी में 'सेंगोल' की नए संसद भवन के लोकसभा में स्थापना की गई. दरअसल, 'सेंगोल' राजदंड सिर्फ सत्ता का प्रतीक ही नहीं है. बल्कि, राजा के सामने हमेशा इंसाफ करने और जनता के प्रति समर्पित रहने का भी प्रतीक रहा है.

सेंगोल का आजादी से जुड़ा इतिहासस  

राजदंड' सेंगोल भारत की आजादी से जुड़ा एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक प्रतीक है. जब अंग्रेजों ने भारत की आजादी का एलान किया था तो सत्ता हस्तांतरण के प्रतीक के तौर पर सेंगोल का ही इस्तेमाल हुआ था . लॉर्ड माउंटबेटन ने 1947 में सत्ता के हस्तांतरण को लेकर नेहरू से इस पर सवाल किया कि आखिर इसका हस्तांतरण कैसे किया जाए.

इसके बाद नेहरू ने सी राजा गोपालचारी से इस संबंध में राय ली. उन्होंने ही सेंगोल के बारे में जवाहर लाल नेहरू को जानकारी दी. इसके बाद सेंगोल को तमिलनाडु से मंगाया गया और 'राजदंड' सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था.

चोल सम्राज्य का वक्त भी था सेंगोल

सेंगोल का इतिहास सदियों पुराना है, और इसका रिश्ता चोल साम्राज्य से भी रहा है. इतिहासकारों की मानें तो चोल साम्राज्य में राजदंड सेंगोल का इस्तेमाल सत्ता के हस्तांतरण के लिए किया जाता था. उस दौर में जब सत्ता का हस्तांतरण होता था, तो एक राज दूसरे राजा को सत्ता का हस्तांतरण के लिए सेंगोल सौंपते थे. इस परंपरा की शुरूआत चोल साम्राज्य के दौरान हुई थी.

रामायण-महाभारत में भी जिक्र

केवल चोल समाराज्य में ही नहीं. ब्लकि रामायण-महाभारत के दौर में भी राजदंड 'सेंगोल' को एक राजा से दूसरे राजा को सौंपे जाने का जिक्र भी मिलता रहा है.'सेंगोल' के सबसे ऊपर नंदी की प्रतिमा स्थापित है. हिंदू व शैव परंपरा में नंदी समर्पण का प्रतीक है. आज भी दक्षिण भारत के राज्यों में इसको खास महत्व दिया जाता है.

सेंगोल क्या है ?

तमिल में इसे सेंगोल कहा जाता है, जबकि हिन्दी में इसे ‘राजदंड’ पुकारा जाता है . इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है. सेंगोल संस्कृत शब्द 'संकु' से लिया गया है, जिसका मतलब शंख है. सनातन धर्म में शंख को बहुत ही पवित्र माना जाता है. मंदिरों और घरों में आरती के दौरान शंख का इस्तेमाल आज भी किया जाता है. सेंगोल को इलाहाबाद के एक संग्रहालय में रखा गया था और अब नए संसद भवन में पीएम मोदी ने स्थापित किया है.

Published at:28 May 2023 11:07 AM (IST)
Tags:Sengol Parliament HouseSengol history
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