रांची (TNP Desk) : झारखंड में पिछले कुछ सालों से ईडी की कार्रवाई चल रही है. जगह-जगह छापेमारी हुई, कुछ लोगों की गिरफ्तारी हुई, कुछ जेल भी गए और कुछ जेल से बाहर भी निकले. बीते सालों में ईडी ने कई कांडों का उद्भेदन भी किया. जैसे मनरेगा घोटाला, अवैध खनन, अवैध बालू, जमीन घोटाला सहित अन्य घोटाला शामिल है. जिसमें आईएएस अधिकारी से लेकर कई नेता और माफियाओं को ईडी ने काल कोठरी में बंद कर दिया. ईडी की इस कार्रवाई से सरकार के कामकाज भी काफी प्रभावित हुआ. लेकिन इन सबके बीच सरकार ने राज्य की जनता के हित में कई कल्याणकारी योजनाओं को भी लागू किया. जिससे उनके जीवन में काफी बदलाव देखने को मिला. कुल मिलाकर कहा जाए तो ईडी एक तरफ काम कर रही थी तो वहीं सरकार दूसरी तरफ काम कर रही थी. इन सबके बावजूद सरकार के काम पर कोई असर नहीं हुआ.
धूल फांक रही फाइल्स को मिलेगी गति
नये साल के पहले महीने से ही ईडी की कार्रवाई राज्य में तेज हो गई. बीते एक महीने में ईडी की कार्रवाई जिस तरीके से हो रही थी उससे तत्कालीन हेमंत सरकार पर संकट के बादल छाने लगे थे. सरकार असमंजस की स्थिति में आ गई थी. समझ में नहीं आ रहा था कि जनता के लिए कैसे काम किया जाए. सियासी संकट के बीच कई जनकल्याणकारी योजना धरातल पर नहीं उतर पाई और कई फाइल्स एक महीने से धूल फांकने लगे. लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि जो फाइल्स एक महीने से धूल फांक रही थी अब उसमें एक गति मिलेगी और जनता के हित में कई निर्णय लिये जाएंगे.
ईडी की कार्रवाई से संशय में थी सरकार
राज्य में ईडी की कार्रवाई से उस समय तत्कालीन हेमंत सरकार संशय की स्थिति में थी. जिसके कारण सरकारी कामकाज रूक गया था. सरकार फैसला नहीं कर पा रही थी कामकाज को कैसे आगे बढ़ाया जाय. इसी दौरान जमीन घोटाले के मामले में हेमंत सोरेन को ईडी ने नौ बार समन भेज चुकी थी. इतने समन के बावजूद हेमंत सोरेन ईडी के सामने पेश नहीं हुए. फिर बीस जनवरी को सीएम आवास पर हेमंत से ईडी ने पूछताछ की थी. लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री के जवाब से प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी संतुष्ट नहीं हुए. उसके बाद उन्हें फिर पूछताछ के लिए समन भेजा गया था. ईडी और हेमंत की लुकाछिपी के बीच सरकारी फाइल्स भी गूम हो गया था. या यूं कहें कि किसी लॉकर में फाइल्स बंद था. ऐसा लगने लगा कि राज्य के विकास का पहिया थम सा गया हो. विपक्ष भी कई तरह के आरोप लगाने शुरू कर दिए थे.
कैसे बनी चंपाई सरकार
बता दें कि कथित जमीन घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने हेमंत सोरेन को अरेस्ट किया था. गिरफ्तारी से पहले उन्होंने मुख्यमंत्री पद इस्तीफा दिया. उसके बाद ईडी हेमंत से पूछताछ के लिए रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में पेश किया गया जहां अदालत ने पांच दिन की अनुमति दी. पांच दिन की रिमांड अवधि खत्म होने के बाद दोबारा पांच दिन की रिमांड मिली. उसके बाद तीन दिन की और रिमांड मिली. इन सब घटना के बीच सत्तारूढ़ पार्टियों ने सरकार का गठन किया. चंपाई सोरेन को राज्य का मुखिया घोषित किया. दो फरवरी को चंपाई सोरेन ने 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. उसी समय राज्य को दो मंत्री भी मिला. कांग्रेस कोटे से आलमगीर आलम और राजद कोटे से सत्यानंद भोक्ता ने मंत्री पद की शपथ ली.
चंपाई राज में दौड़ेगा विकास का पहिया
चंपाई सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार 16 फरवरी को हुआ. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने आठ मंत्रियों को पद और गोपनियता की शपथ दिलाई. उसी दिन सभी मंत्रियों के विभागों का भी बंटवारा हो गया. आज संभी मंत्रियों ने अपने-अपने विभागों का कामकाज भी संभाल लिया है. ऐसे में लगता है कि बीते एक महीने में जो काम हेमंत सरकार में रूक गई थी या फाइलें आगे नहीं बढ़ी थी, वो सारे काम धरातल पर उतरेगा. लोगों को चंपाई सरकार से उम्मीदें है कि एक बार फिर राज्य के चारो ओर विकास का पहिया दौड़ेगा और जनता के अनुरुप काम होगा. देखना होगा कि मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के नेतृत्व में नई सरकार राज्यहित के लिए क्या-क्या फैसला लेती है.