TNP DESK- कथित जमीन घोटाले के मामले में गिरफ्तारी के बाद पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है. और इसके साथ ही महागठंबधन की ओर से राज्यपाल से मुलाकात कर चंपई सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया गया है, अपने-अपने हस्ताक्षर के साथ 42 विधायकों ने राजभवन में अपना शक्ति प्रर्दशन भी कर दिया है, बावजूद इसके अब तक राजभवन की ओर से सरकार गठन को लेकर कोई संदेश प्राप्त नहीं हुआ है, और यही देरी महागठबंधन के अंदर संशय और बेचैनी पैदा करा रहा है, उनके अंदर कई तरह की आशंकाएं पनप रही है, यह ख्याल भी सताने लगा है कि क्या कथित घोटाले के नाम पर झारखंड की जनता के साथ कोई सियासी खेल हो गया, आखिर सरकार गठन में यह देरी क्यों?
अजित पवार को बैगर बहुमत के रात के अंधेरे में शपथ ग्रहण और झारखंड में खेल
महागठबंधन के नेताओं का सवाल है कि यदि महाराष्ट्र में उस अजीत पवार को अहले सुबह शपथ ग्रहण करवाया जा सकता है, जिसके पास बहुमत का आंकड़ा भी नहीं था, ना कोई परेड ना कोई पार्टी की सहमति, सिर्फ एक कागज पर विधायकों के समर्थन का दावा और राज्यपाल सुबह होने का इंतजार किये, शपथ ग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर गयें, तो फिर झारखंड में परेशानी कहां है, जब हमारे साथ बहुमत से ज्यादा विधायकों की मौजूदगी है, 42 विधायकों का परेड करवा दिया गया है, जो बहुमत साबित करने के लिए पर्याप्त है, बावजूद कई वैसे विधायक जो कल तक रांची में नहीं थें, आज रांची पहुंच चुके हैं, हम किसी भी वक्त अपना बहुमत साबित करने को तैयार है, तो फिर यह देरी क्यों?
जमीन घोटाला का बहाना या हेमंत सरकार को था गिराना?
क्या कथित जमीन घोटला महज एक बहाना था, असली निशाने पर तो हमारी सरकार थी, वह सरकार को लगातार आदिवासी मूलवासियों के पक्ष में अपना फैसला ले रही थी, वह सरकार को पिछड़ों के आरक्षण का विस्तार कर उनकी दो दशक पुरानी मांग को पूरा कर रही थी, वह सरकार जो सरना धर्म कोड को विधान सभा से पारित कर केन्द्र के पास भेज आदिवासियों की सदियों पुरानी मांग को जमीन पर उतार रही थी, क्या उस सरकार की यही गलती थी, और यही उसका जुर्म था, आखिर क्या कारण है कि बहुमत के आंकड़े से कहीं अधिक विधायकों की परेड के बावजूद चंपई सोरेन की ताजपोशी नहीं करवायी जा रही है.
महागामा विधायक दीपिका पांडेय ने खोला मोर्चा
महागठबंधन के विधायकों के अंदर पनपते इस आक्रोश को बयां करते हुए कांग्रेस विधायक दीपिका पांडेय कहती हैं कि संशय महागठबंधन का बहुमत साबित करने में नहीं है, संशय तो राजभवन की भूमिका पर खड़ा हो चुका है, सरकार दर सरकार गिराने के बाद भाजपा झारखंड में भी ऑपरेशन कमल खिलाना चाहती है, लेकिन वह भूल रही है कि हेमंत सोरेन को जेल भेजने से उनका जलबा और इस सरकार का इकबाल खत्म नहीं हो गया, हम सड़क से सदन तक भाजपा पर भारी पड़ेंगे. चाहे जितनी रणनीति और साजिश बना ली जाय, यह सरकार 2024 की राह में भाजपा के सामने एक चट्टान के समान खड़ी है और हम अपना बहुमत साबित करेंगे, भले ही इसके लिए हमें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़े.