TNP DESK-सियासी गलियारों में एक कहावत बड़ी पुरानी है कि दिल्ली का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है. पीएम मोदी ने भी गुजरात की सियासत के बाद राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश के लिए बनारस का रास्ता चुना और बनारस की टेढ़ी-मेढ़ी और संकीर्ण गलियों ने भी बेहद उदारता का परिचय देते हुए यूपी की सियासत और हिन्दी पट्टी की पेचदीगियों से दूर रहे नरेन्द्र दामोदर मोदी को अपार बहुमत के साथ गले लगाया. “मां गंगा ने बुलाया है” एक भावनात्मक पूट देकर नरेन्द्र दामोदर मोदी ने इसे एक धार्मिक-सांस्कृतिक टच देने की कोशिश भी की.
यूपी में 20 फीसदी दलित तो 20 फीसदी अल्पसंख्यक आबादी
अब कुछ वही कहानी एक बार फिर से यूपी की सियासत में दुहरायी जाती दिख रही है. लेकिन इस बार चेहरा अलग और सियासत का रंग दूसरा है. और निशाने पर है यूपी की 20 फीसदी दलित आबादी है, और इस 20 फीसदी दलितों और 20 फीसदी अल्पसंख्यक समाज के बीच कथित रुप से भाजपा की ओर से संविधान बदले जाने के खतरे की बेचैनी. दरअसल जब से भाजपा ने चार सौ पार का नारा दिया है, दलित और अल्पसंख्यक समाज के बीच एक बेचैनी सी पसरती दिख रही है, इस बेचैनी की वजह है कई भाजपा नेताओं का वह बयान, जिसमें बाबा साहेव के संविधान में, जो संविधान दलितों के साथ ही इस देश के अल्पसंख्यक समाज को सम्मान और सियासी-सामाजिक भागीदारी का अधिकार देता है, को बदलने की बात कही गयी है, दावा किया गया है कि जब तक भाजपा चार सौ के आंकड़े को पार नहीं करती है, उसके लिए इस संविधान में बदलाव संभव नहीं है. अब इसी बेचैनी के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकारुजुन खड़गे का रायबरेली से चुनाव लडऩे की खबर आ रही है.
रायबरेली से चुनाव लड़ सकते हैं मल्लिकारुजुन खड़गे
ध्यान रहे कि रायबरेली कांग्रेस का पंरपरागत सीट रहा है, फिरोज गांधी से लेकर इंदिरा गांधी इस संसदीय सीट से चुनाव जीतते रहे हैं, खुद सोनिया गांधी सीट सीट से पांच बार सांसद रही है. इस हालत में रायबरेली से मल्लिकारुजुन खड़गे को उम्मीदवार बनाना कांग्रेस का एक मास्ट्रर स्ट्रोक हो सकता है. खास कर यूपी की 20 फीसदी दलित आबादी को इस एक चेहरे के बदौलत बड़ा संकेत दिया जा सकता है. इसका असर सिर्फ रायबेरली में ही नहीं पड़ेगा बल्कि पूरे यूपी के दलित जातियों के बीच एक साफ संदेश जायेगा, उनके अंदर इस बात की संभावना जागेगी कि यदि उनका साथ मिला तो, इस देश को पहली बार एक दलित पीएम भी मिल सकता है. हालांकि अभी तक इसकी औपचारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन यूपी की सियासत के साथ ही पूरे देश का इस खबर पर निगाह जरुर बनी हुई है.
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