पटना (TNP Desk) : बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने राजनीति में बहुत ही कम समय में अपना नाम कमा लिया है. आज की तारीख में हर कोई तेजस्वी को बड़े नेता रूप में जानने लगे हैं. लालू प्रसाद यादव के बेटे ने 20 फरवरी से बिहार में जन विश्वास यात्रा का आगाज किया है. बताया जाता है कि यात्रा के दौरान पूर्व डिप्टी सीएम राज्य के सभी 38 जिलों को कवर करेंगे. राजद नेता की ये जन विश्वास यात्रा एक मार्च को समाप्त होगी. लोकसभा चुनाव से पहले शुरू हुई इस यात्रा को काफी महत्वपूर्ण भी माना जा रहा है. राज्य के मुजफ्फरपुर से शुरू हुई इस जन विश्वास यात्रा में भारी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. तेजस्वी यादव जिस क्षेत्र में जा रहे हैं वहां जनसैलाब उमड़ जाता है. जनसैलाब को देखकर आरजेडी भी गदगद है और इसे जन क्रांति की नींव बता रहे हैं.
बिहार में बड़े बदलाव के संकेत
बिहार में तेजस्वी के जन विश्वास यात्रा में जिस तरह से जनसैलाब उमड़ रहा है, उससे ऐसा लगता है कि यह बड़े बदलाव का संकेत है. तेजस्वी अपने भाषणों से जिस तरह भाजपा नीत एनडीए सरकार पर हमला कर रही है और कैसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राजद से अलग होकर बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाए हैं, वो सारी घटनाएं तेजस्वी अपनी सभा के जरिये कर रहे हैं. ऐसे में लोगों की भावनाएं भी उनके साथ जुड़ती हुई दिख रही है. लोग भी समझने लगे हैं कि नीतीश कुमार ने राजद के साथ बड़ा धोखा किया है. कुछ दिनों के बाद लोकसभा चुनाव का बिगूल बज जाएगा. उससे पहले तेजस्वी की ये यात्रा ने नीतीश की पार्टी जदयू और भाजपा को भयभीत कर दिया है. बीजेपी को डर सताने लगा है कि अगर तेजस्वी का कारवां ऐसे ही बढ़ता गया तो लोकसभा चुनाव का परिणाम हमारे पक्ष में नहीं होगा. जबकि राजद नेता का यात्रा अभी दो दिन हुआ है.
तेजस्वी के चाचा हैं सीएम नीतीश कुमार
पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अक्सर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को चाचा कहकर पुकारते हैं. कई बार उन्होंने अपने भाषणों के माध्यम से नीतीश कुमार को चाचा कहते हुए नजर आए. सार्वजनिक मंचों पर भी उन्होंने कई बार उनका पैर छूकर आशीर्वाद लिया. सीएम नीतीश को तेजस्वी ने हमेशा सम्मान दिया. लेकिन जिस तरीके से नीतीश कुमार पलटी मारी वैसे में जनता इसे स्वीकार नहीं कर पा रही है. लोगों को नीतीश उपर से विश्वास उठ गया है. उन्हें ये लगने लगा है कि कब नीतीश कुमार पलटी मार दे. बिहार की जनता भी चाहती है कि राज्य में हम एक ऐसे मुख्यमंत्री को चुने जो भविष्य में पलटी मारकर किसी और पार्टी के साथ गठबंधन ना करे. जन विश्वास यात्रा में जो भीड़ दिख रही है, ऐसे में जनता भी तेजस्वी को ही राज्य का मुख्यमंत्री देखना चाह रही है. हालांकि ये तो आने वाले चुनाव परिणाम में ही पता चलेगा कि जनता किसे देखना पसंद करती है और किसे नहीं.
राजद बिहार की सबसे बड़ी पार्टी
2020 में बिहार विधानसभा चुनाव में राजद सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. राजद के पास 79 विधायक है, जबकि बीजेपी के पास 78 और जदयू के पास 45 विधायक है. राजद को 79 सीटें तेजस्वी के दम पर आया था. जबकि उस समय तेजस्वी की राजनीति में एंट्री कुछ ही साल हुए थे. वहीं लालू प्रसाद यादव रांची के होटवार जेल में बंद थे. उसके बावजूद उन्होंने अकेले इतना सीट निकाल लिये थे. कम उम्र और राजनीति में अनुभव की कमी के बावजूद उन्होंने अपने आप को स्थापित किया. उस समय राजनीतिक पंडितों का कहना था कि लालू प्रसाद के बिना तेजस्वी बीजेपी के सामने दस सीटें भी निकाल लिया तो बड़ी बात होगी. तेजस्वी की यात्र में उमड़ रहे लोगों की भीड़ ऐसा लगता है कि आने वाले समय में बड़ा बदलाव दिखेगा.