रांची(RANCHI): सीएम हेमंत को आज ईडी का तीसरा नोटिस मिला और उन्हें 9 सितम्बर को ईडी कार्यालय में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया. लेकिन इस समन को जारी होने के पहले ही भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के द्वारा ‘चाय 9 सितंबर’ का ट्वीट सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया. सवाल पूछे जा रहे हैं कि ईडी के समन जारी करने के पहले भाजपा सांसद को ईडी की संभावित गतिविधियों की जानकारी कैसी मिल रही है? और क्यों मिल रही है. आखिर निशिकांत दुबे को इतनी विश्वसनीय सूचना देने वाला ईडी का वह कर्मी कौन है? यह कैसे संभव है कि ईडी अपना समन जारी करे और उसके पहले ही भाजपा सांसद को इसकी सूचना प्राप्त हो जाय?
पाॉलिटिकल मास्टर के निर्देश पर काम कर रहा है ईडी
ध्यान रहे कि भाजपा सासंद निशिकांत का यह ट्वीट 10.16 मिनट का है. जबकि सीएम हेमंत को समन एक बजे के बाद जारी किया जाता है और यहीं से हेमंत सोरेन के उन आरोपों में सच्चाई की बू आने लगती है कि ईडी अपने पॉलिटिकल मास्टर के निर्देश पर काम कर रहा है और बगैर तथ्य और पर्याप्त साक्ष्य के समन दर समन जारी एक निर्वाचित सरकार के मुखिया की छवि को बर्बाद करने की साजिश रच रहा है.
राज्य के निर्वाचित मुखिया की छवि को खराब करने की साजिश
बता दें कि जब ईडी के द्वारा कथित जमीन घोटाले में सीएम हेमंत को पहला समन जारी किया गया था, तब सीएम हेमंत ने बेहद सख्त लहजे में ईडी को अपना समन वापस लेने को कहा था और साथ ही इस बात की चेतावनी भी दी थी कि समन वापस नहीं लेने की स्थिति में वह कानूनी कार्रवाई को बाध्य होंगे.सीएम हेमंत ने बड़ आरोप लगाते हुए कहा था आप अपने पॉलिटिकल मास्टर के निर्देश पर एक निर्वाचित राज्य के मुखिया की सार्वजनिक छवि को बर्बाद करने की कोशिश कर रहे हैं और यह कहीं से भी लोकतंत्र की सेहत के लिए ठीक नहीं है. चूंकि हम आपके पॉलिटिकल मास्टर के साथ समझौता करने को तैयार नहीं है, इसलिए हमें इस तरह के मामलों में बेवजह फंसाने की साजिश की जा रही है, नहीं क्या कारण है कि एक राज्य के मुखिया को 14 अगस्त को उपस्थित होने का निर्देश दिया जाता है, जबकि हर किसी को पत्ता है कि 15 अगस्त के पहले किसी राज्य के मुखिया की कितनी व्यस्तता रहती है, साफ है कि आपकी कोशिश हमारी छवि बर्बाद करने की है, यह झारखंड की उस करोड़ों जनता का घोर अपमान है, जिसने हम पर अपनी आस्था प्रकट की है.
भाजपा सांसद के ट्वीट से खड़े हुए कई सवाल
इन सारे आरोपों के बीच ईडी के समन के जारी होने के पहले भाजपा सांसद के द्वारा यह ट्वीट जारी होना बेहद गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है, सीएम हेमंत के विरुद्ध मामले की सच्चाई चाहे जो हो, वह एक अलग जांच का विषय है और कोई भी ईडी की विश्वसनीयता और उसकी इमानदारी पर सवाल नहीं खड़ा कर रहा, ईडी अपने तरीके से किसी भी मामले की जांच करने को स्वतंत्र है, लेकिन गंभीर सवाल तब खड़ा होता है, जब ईडी के समन जारी होने से पहले ही भाजपा सांसद का ट्वीट आ जाता है और इस ट्वीट के साथ ही हेमंत के उस दावे में दम दिखलायी देने लगता है कि ईडी अपने पॉलिटिकल मास्टर के निर्देश पर एक निर्वाचित मुख्यमंत्री की छवि को खराब करने की कोशिश कर रहा है.