रांची(RANCHI)- कर्नाटक के जिस पॉलिटिक्ल ड्रामे में जीत के बाद भी कांग्रेस फंसती नजर आ रही थी, जिस प्रकरा से पिछले चार दिनों से 10 जनपथ रोड पर राजनीतिक सरगर्मी चल रही थी, मान मनोबल का दौर चल रहा था, एक के बाद एक बैठकें चल रही थी, लेकिन डीके शिवकुमार एक बाद एक प्रस्ताव को बरैंग वापस कर रहे थें, उसके कारण ना सिर्फ कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही थी, बल्कि कर्नाटक के चुनाव में चारो खाने चीत हो चुकी भाजपा को मजा लेना का एक अवसर भी प्रदान कर रही थी.
इस कथित बगावत टिकी थी भाजपा की नजरें
हालांकि इस बीच डीके शिवकुमार की कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जून खड़गे से लेकर राहुल गांधी से बात हो रही थी, लेकिन वह किसी के प्रस्ताव को भाव देने के मुड में दिख नहीं रहे थें, इस बीच कुछ मीडिया रिपोर्ट के हवाले से यह खबर भी फैलायी गयी कि सीएम पद की कुर्सी नहीं मिलने पर शिव कुमार बगावत भी कर सकते हैं. और इस कथित बगावत पर सबसे ज्यादा बेचैनी भाजपा की थी, जनता की अदालत में कर्नाटक गंवाने के बाद उसे इस हारी हुई बाजी अपनी हाथ आने का रास्ता निकला दिख रहा था, शायद यही कारण है कि कुछ मीडिया चैनलों के द्वारा डीके शिवकुमार की नाराजगी को कुछ ज्यादा ही प्रमुखता दे दिखलाया गया, एक पार्टी के अन्दर के सत्ता संघर्ष को लोकतांत्रिक प्रक्रिया का स्वाभाविक हिस्सा नहीं बताकर उसे सौदेबाजी के रुप में प्रचारित करने की कोशिश भी हुई.
चंद मिनट के वीडियो कॉल में सोनिया गांधी ने दिया महामंत्र
लेकिन आखिकार इस रस्साकशी को समापन सोनिया गांधी से शिवकुमार के वीडियो मींटिंग के बाद हो गया. उस चंद मिनट के वीडियो कॉल में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्षा सोनिया गांधी ने शिवकुमार के सारे शंकाओं का समाधान कर दिया, और कुछ नहीं सिर्फ अपने वचन का विश्वास करने को कहा, सोनिया गांधी ने साफ शब्दों में कह दिया कि आगे की लड़ाई काफी कठीन होने वाली है. यह समय व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं का सामने लाने का नहीं होकर सामूहिक रुप से 2024 के महासमर में अपनी ताकत दिखलाने का है.
शिवकुमार की रणनीति और सिद्धारमैया के चेहरे के सहारे 2024 की लड़ाई
सोनिया ने यह भी साफ कर दिया कि कर्नाटक में आज भी सिद्धारमैया का चेहरा सबसे बड़ा चेहरा है, जनता के बीच उनकी मांग है, और सिद्धारमैया का चेहरा और डीके शिवकुमार की रणनीति के सहारे कांग्रेस आसानी से लोकसभा चुनाव में भाजपा को शिकस्त दे सकते ही, जिसके बाद सिद्धारमैया के लिए केन्द्र की राजनीति का दरवाजा खुल जायेगा, और कर्नाटक की राजनीति डीके शिवकुमार के हाथों में होगी.