TNP DESK-विपक्षी दलों की बेंगलुरु बैठक के ठीक पहले यूपीए चेयरमैन सोनिया गांधी ने एक महत्वपूर्ण फैसला लेकर आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल के लिए दरवाजे खोल दिये हैं. अब तक दिल्ली के विवादस्पद अध्यादेश को लेकर विपक्षी दलों की बैठक से सीएम केजरीवाल कुछ असहज दिख रहे थें,उनकी मांग थी कि कांग्रेस इस मुद्दे पर अपनी रणनीति को साफ करें, इसके बाद ही वह इस गठबंधन का हिस्सा बनना पसंद करेंगे, हालांकि इसके बाद भी वह पटना की बैठक में शामिल हुए थे, लेकिन विपक्षी दलों की साक्षा प्रेस कॉन्फ्रेस से अपने को दूर कर लिया था. जबकि कांग्रेस इस मुद्दे पर अभी अपना स्टैंड क्लीयर नहीं करना चाहती थी, उसका दावा है कि जब यह विषय सदन की पटल पर रखा जायेगा तब निश्चित रुप से कांग्रेस इसका विरोध करेगी, लेकिन अभी इस मुद्दे पर किसी बयान कोई अर्थ नहीं है, लेकिन दूसरी ओर शरद पवार से लेकर ममता बनर्जी की ओर से कांग्रेस पर जल्द फैसला लेने का दवाब बनाया जा रहा था, आखिरकार यह दवाब काम आया और सोनिया गांधी ने इसकी घोषणा कर दी.
सुप्रीम कोर्ट से लताड़ खाने के बाद भाजपा ने लाया है अध्यादेश
याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट से लताड़ खाने बाद भाजपा ने दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर एक अध्यादेश जारी किया है, इस अध्यादेश के तहत अफसरों का स्थानातरण की पूरी शक्ति एलजी के पास रहेगी, इसके पहले अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया था कि अफसरों का स्थानातंरण की शक्ति चुने हुए जनप्रतिनिधियों को हाथ में होगी. जिसके बाद एक अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदले की कोशिश की जा रही है, अरविंद केजरीवाल लगातार इस अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों से समर्थन की मांग कर रहे हैं, अब जब की उन्हे कांग्रेस की ओर से समर्थन का आश्वासन मिल चुका है, माना जा रहा है कि आप भी बेंगलुरु बैठक का हिस्सा होगा.