रांची(RANCHI)- जी-20 डिनर के निमंत्रण पत्र में इंडिया को हटाकर प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ लिख जाने पर विवाद गहराता जा रहा है. कांग्रेस, आप, राजद, जदयू, ममता और स्टालिन के बाद अब झामुमो ने भी इस नये नामांकरण पर अपना मोर्चा खोल दिया है.
आपदा में अवसर की तलाश
झामुमो की ओर से इस हमले की शुरुआत करते हुए सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि आपदा में अवसर की तलाश करने वाला भाजपा ने यहां भी कमाई का अवसर खोज निकाला, अब सिक्के से लेकर सारे नोट से इंडिया शब्द को मिटाया जायेगा, वापस लिया जायेगा और उसके बदले में नया नोट और नये सिक्के जारी किये जायेंगे, क्योंकि सारे नोटों पर इंडिया लिखा हुआ है, संविधान के हर उस पन्ने को बदला जायेगा, जहां इंडिया का जिक्र है. यह बदलाव और बेचैनी यह बताने के लिए पर्याप्त है कि इंडिया का दहशत उनके दिलों में किस कदर बैठ चुका है. यही कारण है कि अब रात दिन सिर्फ इंडिया को मिटाने के सपने देखे जाते हैं. लेकिन इनकी यह नफरत सिर्फ इंडिया शब्द से नहीं है, इन्हे तो इस देश के दलित, अल्पसंख्यक और पिछड़ों से भी नफरत है, और ये जर्मनी की तरह उनका जेनोसाइड भी करवा सकते हैं.
ध्यान रहे कि खुद पीएम मोदी ने इंडिया शब्द के साथ दर्जनों प्रोग्राम की घोषणा की है. मेक इन इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, खेलो इंडिया, लिखो इंडिया, पढ़ो इंडिया जैसे दर्जनों शब्दावलियों का प्रयोग बड़े ही जोरदार अंदाज में किया जाता था और इन शब्दावलियों को बदलते भारत की निशानी मानी जाती थी, लेकिन जैसे ही विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन का नाम इंडिया रख लिया, भाजपा इंडिया के साथ अब अपने को असहज पाने लगी, और आज हालत यह हो गयी कि शायनिंग इंडिया की बात करने वालों को आज इंडिया शब्द से नफरत हैं.
इंडिया से भारत भी किया जा सकता है इंडिया गठबंधन का नाम?
यहां बता दें कि कांग्रेस पहले ही इसे इतिहास के साथ छेड़ाछाड़ की भाजपाई साजिश का सुनियोजित हिस्सा बता चुकी है. जबकि अरविंद केजरीवाल ने इस मामले में तीखा तंज कसते कहा है कि कोई बात नहीं, इसका नाम भारत भी तो किया जा सकता है, देखना होगा कि उसके बाद भाजपा कैसे फिर से इंडिया की शरण में जाती है.