Ranchi- लोकसभा प्रत्याशियों की दूसरी सूची सामने आते ही झारखंड कांग्रेस में बगावत की आग तेज होती दिखायी देने लगी है. अल्पसंख्यक समाज की हिस्सेदारी का सवाल खड़ा होने लगा है. टिकट वितरण से नाराज जामताड़ा विधायक इरफान ने पार्टी आलाकमान से पूछा है कि एक तरफ राहुल गांधी जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी भागीदारी का नारा लगा रहे हैं, पिछड़ी जातियों को जातीय जनगणना करवाने का भरोसा दिला रहे हैं, दूसरी ओर झारखंड में अल्पसंख्यक समाज को बेटिकट किया जा रहा है.
टिकट वितरण पर फिर से पुनर्विचार करने की मांग
अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर इरफान अंसारी लिखते हैं कांग्रेस आलाकमान से आग्रह है कि लोकसभा टिकट पर पूर्ण विचार करें. गिव एंड टेक की पॉलिसी होनी चाहिए. हम देंगे वो नहीं देगा. यह किसने कहा. इस तरह की बातें कर आलाकमान गुमराह किया गया. देश के महान एवं मजबूत प्रदेश अध्यक्ष और CLP के रहते ऐसा निर्णय नहीं हो सकता, पूर्ण विचार करें. इसके साथ ही इरफान अंसारी लिखते हैं कि झारखंड की 18 फीसदी आबादी वाले मुसलमानों को कांग्रेस ने एक भी टिकट नहीं दिया. यह भूल एक आत्मधाती कदम होगा. पार्टी के इस निर्णय से अल्पसंख्यक समाज में काफी आक्रोश है, कुछ लोगों ने यह भ्रम फैलाया है कि यदि मुसलमानों को टिकट दिया गया, तो धुर्वीकरण हो जायेगा, तो फिर इस बात की क्या गारंटी है कि जिन दो फीसदी वालों को टिकट दिया गया है, उनकी जीत हो जायेगी? क्या झारखंड की 18 फीसदी अल्पसंख्यक समाज सिर्फ वोट देने के लिए है, पार्टी इस पर विचार करे नहीं तो पार्टी को इसका सिर्फ लोकसभा चुनाव ही नहीं आने वाले विधान सभा चुनाव में भी उठाना होगा, यह अल्पसंख्यक समाज को नजरअंदाज करने का ही परिणाम है कि बिहार-यूपी जैसे राज्यों से कांग्रेस का सफाया हो गया, पार्टी की दुर्गती हो गयी, कांग्रेस के इस रवैये से नाराज अल्पसंख्यक समाज ने क्षेत्रीय पार्टियों का रुख कर लिया, इसके बावजूद यदि पार्टी नहीं चेती तो इसका और भी घातक परिणाम देखने को मिलेगा. यहां ध्यान रहे कि अब तक जारी लोकसभा की कुल छह प्रत्याशियों में एक भी अल्पसंख्यक समाज को टिकट नहीं दिया गया है. पार्टी ने लोहरदगा से सुखदेव भगत, हजारीबाग से जेपी भाई पटेल, खूंटी से कालीचरण, धनबाद से अनुपमा सिंह, गोड्डा से दीपिका पांडेय सिंह और चतरा से केएन त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है. जिसके बाद अल्पसंख्यक समाज से विरोध की आवाज उठने लगी है.
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