Ranchi-डुमरी का जो चुनावी विसात 14वें राउंड तक आजसू-भाजपा के पक्ष में जाती दिख रहा था, हर राउंड की गिनती के साथ ही भाजपा कार्यालय के सामने समर्थकों की भीड़ जुट रही थी, 15 वें राउंड आते आते समर्थकों की वह भीड़ छंटती नजर आने लगी और चुनावी रिंग में जबरदस्त वापसी करते हुए टाईगर जगरनाथ महतो की पत्नी बेबी देवी ने अपना दम दिखलाया और यशोदा देवी को मात देकर आगे निकल गयी, जैसे ही 20वें राउंड की गिनती शुरु हुई, बेबी देवी करीबन 10 हजार मतों से आगे निकल चुकी थी, जिसके बाद माना जाने लगा कि अब यशोदा देवी का रिंग में वापसी एक नामुमिकन टास्क है. उदास समर्थक अपने अपने घरों की ओर बढ़ते नजर आने लगे, इधर बेबी देवी और टाईगर जगरनाथ के समर्थक ढोल नगाड़े के साथ जुलूस निकालने की तैयारी में जुट गयें.
भाजपा की बी टीम ने दिया धोखा
लेकिन डुमरी फतह की एक बड़ी वजह ओवैसी फैक्टर का सिमटना माना जा रहा है. जिस ओवैसी को भाजपा का बी टीम माना जाता है, और यह दावा किया जाता है कि यदि चुनावी अखाड़े में उनकी बैटिंग दमदार तरीके से हो गयी तो भाजपा के लिए जीत का रास्ता बेहद आसान होता है. लेकिन वह भाजपा की वह रणनीति यहां काम करती हुई नजर नहीं आयी.
याद कीजिये पिछला विधान सभा चुनाव, जब डुमरी विधान सभा में एआईएमएआई की ओर से अब्दुल मोबिन रिजवी मोर्चा संभाला था, और ओवैसी का चुनावी प्रचार से दूर रहने के बावजूद 26 हजार मत प्राप्त कर सनसनी फैला दिया था, लेकिन इस बार वही रिजवी गली मुहल्ले तक सिमटे नजर आयें, हालांकि इस बार ओवैसी ने खुद मोर्चा संभाला, मुस्लिम मतदाताओं के सामने अपने अंदाज में हेमंत सरकार की नाकामयाबियों को सामने रखा, लेकिन डुमरी के अल्पसंख्यक मतदाताओं ने अपना मन नहीं बदला और हेमंत सरकार के साथ डट कर खड़े रहें, जिस प्रकार से बेबी देवी 17 हजार मतों से जीत हासिल करती दिख रही है, यदि पिछले विधान चुनाव की तरह ही यहां रिजवी ने 26 हजार मत बटोर लिया होता, तो आज झामुमो कार्यालय में सन्नाटा और भाजपा कार्यालय में मिठाईयां बांटी जा रही होती, साफ है कि इस जीत में डुमरी के सभी धर्म-सम्प्रदाय और सामाजिक समूहों का सम्मलित प्रयास है. और इस बात का पुख्ता साक्ष्य है कि चुनावी दंगल में हिन्दू मुस्लिम का खेल नहीं हुआ तो भाजपा के लिए जीत की राह बेहद कठिन होती है. और ओवैसी हर बार इसी कार्ड को खेलकर परोक्ष रुप से भाजपा को मदद पहुंचाते रहे हैं.