टीएनपी डेस्क (TNP DESK)-इंडिया गठबंधन की मुम्बई बैठक में सीएम नीतीश को एक बार फिर से बड़ा झटका लगता दिख रहा है, पटना, बेंगलुरु बैठक के बाद अब मुम्बई बैठक में भी संयोजक पद का फैसला नहीं हो सका और इसके बदले में 13 सदस्यीय कोऑर्डिनेशन कमेटी का गठन कर दिया गया. लेकिन इससे भी बड़ा झटका सीएम नीतीश को लालू यादव की ओर से मिला है, उस लालू यादव से जिसके बारे में यह दावा किया जाता रहा था कि वह जल्द से जल्द सीएम नीतीश को संयोजक बनाने की हड़बड़ी में है, ताकि बिहार में सीएम की कुर्सी पर उनके बेटे तेजस्वी की ताजपोशी हो सके.
लेकिन लालू यादव ने पटना बैठक के समान ही नीतीश की उपस्थिति में यह कह कर सबों को चौंका दिया कि हम सबों को राहुल के हाथों को मजबूत करना है. पटना बैठक में दुल्हा बनने के लिए तैयार रहने की सलाह और अब मुम्बई बैठक में राहुल के हाथ को मजबूत करने का सार्वजनिक एलान से साफ है कि लालू के दिल में राहुल गांधी की इंट्री हो चुकी है, और वह सीएम नीतीश से ज्यादा राहुल की ओर से बैंटिंग करते नजर आ रहे हैं.
ध्यान रहे कि अभी कुछ दिन पहले ही राहुल गांधी अचानक से लालू यादव से मुलाकात करने दिल्ली स्थित मीसा भारती के आवास पर पहुंच चुके थें, बताय जाता है कि तब लालू यादव ने अपने हाथों से राहुल गांधी के लिए मटन बनाया था, दावा किया जाता है कि इस मटन के साथ ही राहुल गांधी के हिन्दुस्तान की राजनीति में उनकी भावी भूमिका का खांचा तैयार कर लिया गया था. उसके पहले तक लालू यादव नीतीश कुमार से साथ खड़े नजर आ रहे थें, शायद इस फैसले की भनक खुद नीतीश को लग चुकी थी, यही कारण है मुम्बई बैठक के रवाना होने के पहले ही सीएम नीतीश ने इस बात का एलान कर दिया था कि वह किसी पद की उम्मीद में नहीं है, यह सब फालतू की खबर है, उनका मकसद महज देश में विपक्ष को एकजुट करना है.
राहुल के खिलाफ चल रहे मामले पर टिकी है सबकी नजर
हालांकि अभी तक संयोजक पद की घोषणा नहीं की गयी है, माना जा रहा है कि अभी भी पर्दे के पीछे कई खेल चल रहे हैं, और सबों की नजर राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे कानूनी मामले पर टिकी है, जैसी ही कोर्ट से उनके चुनाव लड़ने पर लगी रोक को हटाया जाता है, स्वाभाविक रुप से राहुल गांधी को पीएम फेस पेश कर दिया जायेगा. और जब तक कोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, पीएम फेस पर यह सस्पेंस बरकरार रहेगा.
इस बीच सीएम नीतीश कुमार ने इस बात को एक बार फिर से दुहराया है कि अभी जो केन्द्र की सत्ता पर काबिज हैं, 2024 के लोकसभा चुनाव में उनकी वापसी नहीं होने वाली है. उनकी विदाई तय है, और हम सत्ता में आने वाले हैं, यहां चेहरे की कोई लड़ाई नहीं है, सवाल सिर्फ हिन्दुस्तान को बचाने का है, जम्हूरियत बचाने की है, इस देश का इतिहास, आपसी भाईचारा और सामाजिक सौहार्द को बचाने का है. आने वाले दिनों में एक बार फिर से हिन्दू मुसलमान का राग अलाप कर सामाजिक ताने वाने को बर्बाद करने की कोशिश की जायेगी, देश के इससे से सावधान रहना होगा.
कलमगारों को वापस मिलगी उनकी स्वतंत्रता
मीडिया कर्मियों को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश ने कहा कि आज आप जिन बंदिशों का सामना कर रहे हैं, हमें यह मालूम है, लेकिन जैसे ही केन्द्र से इनकी विदाई होगी, कलमगार अपनी कलम का निर्भिक इस्तेमाल के लिये स्वतंत्र होंगे, उन्हे एक बार फिर से निष्पक्ष होकर लिखने की स्वतंत्रता होगी, आज की हालत यह है कि होता कुछ नहीं है, लेकिन दिखता सब ओर है, और विभिन्न राज्यों में एक से एक बेहतर काम किये जा रहे हैं, लेकिन मीडिया में उसे जगह नहीं मिलती, इसमें दोष आपका नहीं है, हम जानते हैं कि आप ही इससे मुक्ति चाहते हैं, एक कलमगार की ताकत उसकी निर्भिकता और निष्पक्षता होती है, लेकिन इस दौर में वह निर्भिकता और निष्पक्षता आप से छीन ली गयी है, और एक विशेष तरह की खबरों को लिखने के लिए बाध्य कर दिया गया है.