Ranchi- कल का दिन झारखंड की राजनीति के लिए बेहद अहम साबित होने वाला है, अहम इसलिए कि एक तरफ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर लगातार झारखंड वासियों को शिशुपाल वध का नजारा देखने के लिए तैयार रहने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर झामुमो की ओर से इस बात का दावा किया जा रहा है कि दशहरा करीब है, और इस दशहरा अंहकार का प्रतीक रावण का भस्म होना भी तय है.
सीएम हेमंत को मिल चुका है पांचवा समन
दरअसल ये सारे दावे प्रति दावे ईडी की ओर से सीएम हेमंत को जारी होते समन को लेकर किया जा रहा है. कथित जमीन घोटले में सीएम हेमंत के उपर ईडी की तलवार लटकी हुई है, और ईडी ने अब तक कुल पांच समन जारी कर उन्हे अपने कार्यालय में हाजिर होने का निर्देश दिया है. बावजूद इसके सीएम हेमंत ईडी कार्यालय नहीं पहुंचे है. उनके द्वारा ईडी के समन को दुराग्रहपूर्ण बताते हुए कोर्ट में याचिका लगायी गयी है, जिसकी सुनवाई कल झारखंड हाईकोर्ट में होने वाली है.
पीएमएलए-2002 की धारा 50 और 63 की वैधता पर हाईकोर्ट को लेना है फैसला
अपनी याचिका में सीएम हेमंत ने पीएमएलए-2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को चुनौती देते हुए इस बात का दावा किया है कि धारा 50 के तहत ईडी को बयान दर्ज करवाने के दौरान ही गिरफ्तारी का अधिकार है. जबकि आईपीसी के तहत किसी भी जांच एजेंसी के समक्ष दिया गया बयान का कोर्ट में कोई मान्यता नहीं है, सीएम हेमंत के द्वारा इस विरोधाभास को दूर करने की मांग की गयी है. उनके द्वारा इस मामले में ईडी के साथ ही न्याय एवं कानून मंत्रालय को भी प्रतिवादी बनाया था. कुछ इसी तरह का तर्क कार्ति पी. चिदंबरम बनाम ईडी मामले में भी उठाया गया है, जिसकी भी सुनवाई अभी पेंडिंग है.
ईडी दफ्तर पहुंचते ही सीएम हेमंत की होगी गिरफ्तारी?
अब चूंकि मामला कोर्ट में है, और झारखंड हाईकोर्ट को इस मामले में अपना फैसला सुनाना है, इधर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को इस बात का पुख्ता विश्वास है कि जैसे ही सीएम ईडी कार्यालय पहुंचेंगे, उनकी गिरफ्तारी हो जायेगी, इसलिए उनके द्वारा बार-बार शिशूपाल वध की बात कही जा रही है. हालांकि इस दावे का आधार क्या है, इसे सांसद निशिकांत दुबे के सिवा कोई दूसरा नहीं जानता, और अपने सोशल मीडिया एकाउंट पर भी निशिकांत सीएम हेमंत का नाम नहीं लेकर सिर्फ इशारों ही इशारों में हमला कर रहे हैं. हालांकि एक सवाल यह है कि यदि झारखंड की राजनीति में किसी शिशूपाल का वध होता भी है तो क्या उसका लाभ भाजपा को मिलेगा. कहीं यह दांव उल्टा तो नहीं पड़ जायेगा. और यदि यह शिशूपाल हेमंत हैं, तो क्या उनकी गिफ्तारी को आदिवासी-मूलवासी समूहों में बदले की कार्रवाई नहीं मानी जायेगी, भाजपा का यह कदम 2024 के पहले आदिवासी-मूलवासियों की गोलबंदी का रास्ता तो साफ नहीं करेगा? क्योंकि इतना तो साफ है कि सीएम हेमंत की गिरफ्तारी से झारखंड की सत्ता में कोई बदलाव नहीं होने वाला है. सिर्फ सीएम का चेहरा बदलेगा और इसके बदले में भाजपा के हाथ लगेगा आदिवासी मूलवासी समूहों का गुस्सा और आक्रोश.
अभी लम्बी खींच सकती है यह लड़ाई
लेकिन यदि निशिकांत के राजनीतिक हसरतों के विपरीत कोर्ट के द्वारा इस याचिका को विचार के स्वीकार कर लिया जाता है, तब तो यह प्रक्रिया अभी लम्बी चलेगी. और तब तक ईडी को कोर्ट के फैसले का इंतजार करना पड़ेगा. और एक और अहम बात, हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी सीएम हेमंत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला हुआ है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा अभी बंद नहीं हुआ है, सीएम हेंमत की याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पहले हाईकोर्ट मे गुहार लगाने का मसवरा दिया था, इसका मतलब कदापी नहीं है कि हाईकोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा बंद हो चुका है. इधर सीएम हेमंत ने भी ईडी को एक पत्र लिख कर इस बात की जानकारी दी है कि चूंकि यह मामला कोर्ट में है, हमें कोर्ट के फैसले तक इंतजार करना चाहिए.
सबकी निगाहें कल के फैसले पर
देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में कल झारखंड हाईकोर्ट का फैसला क्या आता है. लेकिन इतना जरुर है कि अभी झारखंड की राजनीति में शिशूपाल वध की स्थिति नहीं है, सीएम हेमंत के लिए दरवाजे खुले हैं, पीएमएलए-2002 की धारा 50 और 63 की वैधता को चुनौती देने वह एक बार फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं.