पटना(PATNA)- काफी दिनों से जदयू के दूरी बना कर चल रहे जदयू सांसद और राज्यसभा उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह एक अणे मार्ग पहुंचे. इस बीच सीएम नीतीश और हरिवंश के बीच करीबन एक घंटे तक सीक्रेट मीटिंग चली, हालांकि इस मीटिंग को लेकर सीएम कार्यालय की ओर से कोई जानकारी मीडियाकर्मियों को नहीं दी गयी है. लेकिन उपसभापति ऑफिस की ओर से इसे औपचारिक मुलाकात बताया गया है. सीएम नीतीश और हरिवंश की इस मुलाकात ने सियासी गलियारों में कयासों का दौर शुरु कर दिया है.
जदयू सांसद हरिवंश को पीएम मोदी का बेहद करीबी माना जाता है
ध्यान रहे कि जदयू सांसद हरिवंश को भाजपा का बेहद करीबी माना जाता है. पत्रकार से राजनेता बने हरिवंश अपनी गोटी खोलने से बचते रहे हैं, जदयू भाजपा के बीच दूरी बढ़ने के बावजूद हरिवंश ने उपसभापति के पद का त्याग नहीं किया और उनके इस कदम को जदयू के दूरी बढ़ाने के बतौर देखा गया. दूसरी तरह सियासी गलियारों में यह दावा भी किया जाता रहा है कि हरिवंश पीएम मोदी और नीतीश के बीच की कड़ी है, उनकी भूमिका दोनों के बीच संवाद की स्थिति को बनाये रखने की है. सियासी पाला बदलने में माहिर नीतीश इस कड़ी को बंद नहीं करना चाहते. यही कारण है कि सीएम नीतीश की ओर से हरिवंश को पद त्याग करने के लिए कोई सीधा संदेश नहीं दिया जा रहा है.
तेजस्वी यादव का नाम चार्जशीट में शामिल होने के बाद दवाब में है नीतीश कुमार
खास कर तब जब ईडी अपने चार्जशीट में तेजस्वी यादव का नाम शामिल कर चुकी है, जिसके बाद सीएम नीतीश पर राजद का साथ छोड़ने का दवाब बनता जा रहा है, सीएम नीतीश और हरिवंश की मुलाकात को राजनीतिक गलियारे में बिहार की भावी राजनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है. पिछली बार भी जब जॉब फॉर लैंड मामले में तेजस्वी का नाम उछला था, उसके बाद सीएम नीतीश पर राजद छोड़ने का दवाब बना था, दावा किया जाता है कि तब भी हरिवंश ही नीतीश और पीएम मोदी के भी वह कड़ी बने थें, जिसके बाद बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर हुआ था, और नीतीश कुमार राजद का साथ छोड़ कर भाजपा के साथ चले गये थें.
ध्यान रहे कि सीएम नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों अपने विधायक सांसदों से वन टू वन मुलाकात कर उनका फीडबैक ले रहे हैं, जमीनी हालात का आकलन कर रहे हैं. अब इस सारी कवायद को इस मुलाकात से जोड़ कर देखा जा रहा है.
नीतीश का आरोप राजद के साथ आते ही तेजस्वी को घेरने का षड्यंत्र शुरु हो जाता है
हालांकि हालिया दिनों में सीएम नीतीश ने साफ कर दिया है कि जब जब भी वह राजद के साथ आते हैं, भाजपा की ओर से तेजस्वी को निशाना बनाया जाता है, लेकिन साथ छोड़ते ही सब कुछ सामान्य हो जाता है, पांच बर्षों से यह मामला वहीं लटका हुआ है, साफ है कि यह सिर्फ दवाब कायम करने की राजनीति है, और जनता सब कुछ देख रही है.