टीएनपी डेस्क(TNP DESK)- कर्नाटक का किला फतह करने के बाद अब कांग्रेस की कोशिश राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में अपने इसी जलबे को दुहारने की है. साथ ही उसकी नजर 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी बनी हुई है.
यही कारण है कि कांग्रेस का पूरा जोर सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण को भव्य बनाने की है, साथ ही उस ताकत का प्रदर्शन करने की भी है, जिसके बुते 2024 में पीएम मोदी के रथ को रोके जाने का सपना देखा जा रहा है. यही कारण है कि इस शपथ ग्रहण समारोह को भव्य और एक राष्ट्रीय समारोह का स्वरुप देने के लिए विपक्ष के उन चेहरों को आमंत्रित किया रहा है, जो 2024 के मुकाबले में कांग्रेस के साथ खड़ा नजर सकते हैं और जिनके साथ कांग्रेस के हितों का टकराव की स्थिति नहीं होगी.
किन किन दलों को भेजा गया है न्योता
अब तक की प्राप्त जानकारी के अनुसार इस शपथ ग्रहण में शामिल होने के लिए पीडीपी, नेशनल कांफ्रेस, समाजवादी पार्टी, आरएलडी, जदयू, आरजेडी, सीपीआई, सीपीएम, टीएमसी, जेएमएम, शिवसेना-उद्धव गुट, एनसीपी, डीएमके, एमडीएमके, वीसीके, आईयूएमएल, आरएसपी (केरल) सहित करीबन 20 क्षेत्रीय दलों को आमंत्रण भेजा जा चुका है. हालांकि संभावना जतायी जा रही है यह सूची अभी कुछ और लम्बी हो सकती है. खास कर आप, बीएसपी, बीआरएस, एआईएमआईम, वाइएसआर, टीडीपी, एआईयूडीएफ, जेडीएस (कर्नाटक) की ओर नजरे बनी हुई है.
सबसे अधिक चर्चा में है आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की उपस्थिति पर सवाल
लेकिन इन सबमें सबसे अधिक चर्चा आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल को लेकर हो रही है, हालांकि हालिया दिनों में अरविंद केजरीवाल ने कई मौके पर कांग्रेस के पक्ष में अपना बयान दिया है, राहुल गांधी की सदस्यता छीने जाने के मुद्दे पर भी वह काफी मुखर रहे थें, लेकिन माना जाता है कि जिस प्रकार आप ने गुजरात में अपने प्रत्याशी उतारे थे, उसके कारण कांग्रेस को काफी नुकसान हुआ, साथ ही कांग्रेस आज भी आप के हाथों पंजाब खोने के सदमें से बाहर नहीं निकली है. लगभग यही स्थिति केसीआर की है, जहां इस वर्ष के अंत तक चुनाव होना है, और माना जाता है कि यहां भी कांग्रेस अपने बुते वापसी की उम्मीद में है, शायद यही कारण है कि कर्नाटक का चुनाव खत्म होते ही प्रिंयका गांधी तेलांगना में प्रचार में जुट गई है, दावा किया जा रहा है कि तेलांगना में प्रियंका की रैलियों में काफी भीड़ उमड़ रही है, और यही दोनों दलों के रिश्ते के बीच खटास की असली वजह है.
जश्न कांग्रेस का, लेकिन निगाह नीतीश की ओर
बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, टीडीपी, जेडीएस, आईएनएलडी, एआईएमआईएम से कांग्रेस का पहले ही गठबंधन टूट चुका है, लेकिन बावजूद इसके सबों की निगाहें विपक्षी एकता को एकजूट करने की मुहिम पर निकले नीतीश कुमार की ओर है, यही कारण है कि अभी भी इन दलों से भी सम्पर्क साधा जा सकता है, हालांकि एक आकलन यह भी है कि इसकी शुरुआत मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के नतीजे के बाद ही किया जायेगा, इसके साथ ही कांग्रेस तेलंगाना में भी अपनी ताकत को आजमाना चाहती है, इन सभी राज्यों के नतीजे सामने आने के बाद एक नयी रणनीति के साथ इन दलों से सम्पर्क साधा जा सकता है, और शायद यही कारण है कि विपक्षी एकता के इस सूत्र को साधने की जिम्मेवारी सीएम नीतीश के कंधों पर डाली गयी है, जिन-जिन दलों से भी कांग्रेस के रिश्ते आज के दिन सहज नहीं है, या उन दलों के साथ कांग्रेस के हितों का टकराव हो रहा है, उसका समाधान निकालने की जिम्ममवारी सीए नीतीश कुमार के कंधों पर डाली गयी है.