रांची(RANCHI)- एक तरह जहां ईडी कथित जमीन घोटाले में सीएम हेमंत के आगवान का इंतजार कर रही है, वहीं दूसरी ओर ईडी की ओर से वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव से लेकर सीएम हेमंत के दूसरे करीबियों पर छापेमारी की जा रही है. सीएम हेमंत की पेशी से ठीक पहले तीस-तीस स्थानों पर एक साथ छापेमारी पर भी अब सवाल उठाये जाने लगे हैं, और इस बात का दावा किया जाने लगा है कि यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई नहीं होकर सीएम हेमंत और झारखंड की सरकार को बदनाम करने की एक सोची समझी रणनीति है, और इसी साजिश के तहत वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के आवास से 30 लाख रुपये की बरामदगी के दावे किये जा रहे हैं, तीस लाख की बरामदगी की खबरों को मीडिया में प्लांट किया जाता है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की जा रही. विरोधियों का दावा है कि इस प्रकार के दावे तो ईडी की हर छापेमारी के बाद किया जाता है, लेकिन बाद में ये सारे हवा-हवाई साबित होते हैं.
छत्तीसगढ़ में खेला जा रहा था यही खेल
उनका दावा है कि छत्तीसगढ़ में भी इसी तरह के भय का माहौल भी पैदा करने की कोशिश की जा रही थी, बगैर कोई मजबूत साक्ष्य के दो हजार करोड़ के शराब घोटले का दावा किय जा रहा था. लगातार गिरफ्तारियां की जा रही थी. जिसके बाद खुद सीएम बधेल को सामने आना पड़ा और ईडी को कोर्ट में घसीटना पड़ा. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी ईडी को बेवजह भय का माहौल करने से दूर रहने कहा. और गिरफ्तारियों पर रोक लगा दिया.
राजनीतिक रुप से मुकाबले में असक्षम भाजपा खेलती है ईडी का खेल
छत्तीसगढ़ में ईडी की बढ़ती इस दखलअंदाजी पर तंज कसते हुए तब सीएम बघेल ने कहा था कि भाजपा राजनीतिक रुप से हमारा मुकाबला करने की स्थिति में नहीं है, इसलिए अब मुकाबले के लिए ईडी को भेजा जा रहा है, लेकिन हम ईडी को अब उसी की भाषा में जवाब देंगे और उसके बाद सीएम बघेल ने कानूनी मोर्चा खोल दिया.
आदिवासी मूलवासी कार्ड से उजड़ चुकी है भाजपा की जमीन
विश्लेषकों का दावा है कि झारखंड में भी भाजपा की स्थिति कुछ वैसी ही है, जिस प्रकार से सीएम हेमंत ने पिछड़ों का आरक्षण, सरना धर्म कोड, खतियान आधारित नियोजन और स्थानीय नीति का मोर्चा खोला है, भाजपा की राजनीतिक जमीन उजड़ चुकी हैं, अब इसी राजनीतिक हताशा में ईडी और दूसरे केन्द्रीय एजेंसियों को दौड़ाने की कोशिश की जा रही है, ताकि एक निर्वाचित सरकार की छवि को खराब किया जा सके.