टीएनपी डेस्क (TNP DESK)- जी-20 बैठक की बैठक से ठीक पहले आर्गेनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट्स (OCCRP) के खुलासे से भारत में राजनीतिक भूचाल खड़ा होते दिखने लगा है. दुनिया के चर्चित अखबार गार्डियन और फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित इस रिपोर्ट के बाद राहुल गांधी पूरी तरह हमलावर है.
पूरी दुनिया में भारत की साख को बट्टा
उनका दावा है कि जी-20 के ठीक पहले इस खबर में पूरी दुनिया में हमारी साख पर बट्टा लगा है, हमारी अर्थव्यवस्था के बारे में गलत संकेत जा रहा है और प्रधानमंत्री मोदी को बगैर देरी किए इस पर अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए, रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि सेबी ने अडाणी कंपनी को महज सांकेतिक जुर्माना देकर छोड़ दिया था, और हद तो तब हो गयी सांकेतिक जुर्माना लेकर छोड़ने वाला वह सेबी प्रमुख बाद में अडाणी समूह के द्वारा संचालित एनडीटीवी के निदेशक बन गया. इस खुलासे के बाद सेबी की विश्वसनीयता दांव हैं, आखिर उस संस्थान की विश्वसनीयता कितनी होगी जिसका निदेशक बाद में उसी कंपनी से जुड़ जाय, जिसकी जांच उसके द्वारा की गयी थी.
दुनिया में हमारी आर्थिक गतिविधियों को संदेह की नजर से देखा जायेगा.
राहुल गांधी ने यह सवाल भी खड़ा किया कि रिपोर्ट में 'मोदी लिंक्ड अडानी फैमिली ने गुप्त रूप से अपने शेयरों में निवेश किया' का शीर्षक दिया गया है, प्रधानमंत्री को तत्काल इस पर अपनी चुप्पी तोड़, इसके पीछे की सच्चाई को सामने लाना चाहिए. राहुल गांधी ने कहा कि इस रिपोर्ट के बाद दुनिया में हमारे औद्योगिक घराने की पाररदर्शिता और उन्हे प्रदान किया जाने वाला समान अवसर पर सवाल खड़ा हो गया है. और इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने वाले अखबार कोई स्थानीय अखबार नहीं है, पूरी दुनिया में उसकी साख है. इस रिपोर्ट के बाद पूरी दुनिया में हमारी आर्थिक गतिविधियों को संदेह की नजर से देखा जायेगा.
राहुल का सवाल यह पैसा किसका
राहुल गांधी ने पूछा कि पहला सवाल तो यह है कि यह पैसा किसका है? यह पैसा अडाणी का ही है या किसी और का. इसके पीछे एक विनोद अडाणी का नाम आ रहा है, वह गौतम अडाणी का भाई है, लेकिन वह भारतीय नागरिक नहीं होकर साइप्रस का नागरिक है. दूसरा व्यक्ति नासिर अली शाबान अहली है और तीसरा व्यक्ति एक चीनी नागरिक चांग चुंग लिंग है. एक चीनी नागरिक का हमारे कंपनियों में गुप्त निवेश एक बड़ा खतरा है. पीएम मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद, अदाणी समूह के बंदरगाहों, हवाई अड्डों, रक्षा, सीमेंट, ऊर्जा, रियल एस्टेट, खाद्य तेल, मीडिया जैसे प्रमुख क्षेत्रों में कई गुना इजाफा हुआ है, आखिर इस अप्रत्याशित वृद्धि का राज क्या है. और प्रधानमंत्री की इस कंपनी के साथ रिश्ता क्या है, इस सच्चाई को सामने लाना चाहिए, और इसके लिए बेहद जरुरी है कि इस पूरे मामले की जांच बगैर देरी किये जेपीसी को दे देनी चाहिए. आखिर बात बात में ईडी और सीबीआई का छापा मारने वाली मोदी सरकार इस मामले में चुप्प क्यों है, हमारी केंद्रीय एजेंसियां, केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय इस मामले की जांच क्यों नहीं कर रही है.
रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद अब तक अडाणी समूह को18,600 करोड़ का झटका
राहुल गांधी के आरोप अपनी जगह, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होते ही अडाणी समूह को अब तक करीबन 18,600 करोड़ का झटका लगा चुका है, उसके शेयरों में भारी गिरावट देखी जा रही है. और एक बार फिर से वह दुनिया के अमीरों की सूची से टॉप-20 से बाहर हो चुका है.
भारत से कालाधन बाहर ले जाकर फिर अडाणी समूह में निवेश का दावा
रिपोर्ट में इस बात का दावा है कि पूरी दुनिया में टैक्स हैवन के रुप में पहचान स्थापित कर चुके मॉरीशस फंड के जरिये अडाणी समूह की कंपनियों में सैकड़ों मिलियन डॉलर का गुप्त और अपारदर्शी निवेश किया, लेकिन इससे भी चौंकने वाली खबर यह है कि यह सैकड़ों मिलियन की राशि पहले भारत से मॉरीशस पहुंचा और फिर यह मॉरीशस फंड के जरिये अडाणी समूह की कंपनियों में निवेश किया गया. मनिलांड्रिग के इस खेल का सबसे बड़े किरदार के रुप में गौतम अडाणी का भाई विनोद अडाणी का नाम सामने आ रहा है, बताया जा रहा है कि यह पैसा भारत के ही किसी किसी बड़े उद्योगपति का है, पहले इस विशाल काली कमाई को मनिलांड्रिग के माध्यम से मॉरिशस भेजा गया और फिर उसे वहां से अडाणी समूह की कंपनियों में निवेश किया गया.
साइप्रस और चीनी नागरिकों के द्वारा रचा गया यह पूरा खेल
यहां बता दें कि विनोद अडाणी भारत नहीं बल्कि साइप्रस के नागरिक नहीं है और यही कारण है कि इस पूरे मामले को भारत की सुरक्षा को गंभीर खतरे के बतौर देखा जा रहा है. कल मुम्बई में इंडिया गठबंधन की बैठक के पहले राहुल गांधी ने उस रिपोर्ट के आधार पीएम मोदी से यह सवाल दागा कि यह विशाल राशि किस धन कुबेर की है, उससे आपका रिश्ता क्या है. आखिर पूरी मोदी सरकार अडाणी समूह को क्लीन चिट देने में क्यों लगी हुई है, इस पूरे मामले की जांच संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से करवाने में मोदी सरकार को आपत्ति क्यों हैं? आखिर राष्ट्रीय सुरक्षा के इस गंभीर खतरे के प्रति मोदी सरकार आंख क्यों मुंद रहा है.
दुबई स्थित कंपनी से खेला जा रहा है खेल
दावा किया जा रहा है कि विदेशी नागरिकों के द्वारा यह पूरा खेल दुबई से खेला जा रहा है, और जिस कंपनी के द्वारा यह निवेश किया गया है कि उसे गौतम अडाणी का विदेशी भाई विनोद अडाणी के एक कर्मचारी के द्वारा संचालित किया जाता है.
अब इस निवेश पर सवाल खड़ा करते हुए राहुल गांधी यह सवाल खड़ा कर रहे हैं कि भारत के आधारभूत ढांचे में यह निवेश चीनी और साईप्रस के नागरिक के द्वारा किया जाना हमारी सुरक्षा को एक गंभीर खतरा है. राहुल गांधी यह प्रश्न खड़ा कर रहे हैं कि आख़िर ये पैसा अदाणी का है या किसी और का? इन विदेशी लोगों को भारत के बुनियादी ढांचे निवेश की अनुमति कैसे दी जा रही है? राहुल गांधी इस मामले में पीएम मोदी की भूमिका की इशारा करते हुए पूरे मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठन करने की मांग कर रहे हैं.
सोशल मीडिया के दौर में इस सच्चाई को दबाया नहीं जा सकता
साफ है कि आने वाले दिनों में यह मामला एक बार फिर से गरमाने वाला है, और संसद के विशेष सत्र में भी इसकी अनुगूंज सुनने को मिल सकती है. हालांकि भारतीय मीडिया इस खबर को लेकर कोई उत्सुकता दिखलायी नहीं पड़ती, लेकिन यह नहीं भूला जाना चाहिए कि आज का दौर सोशल मीडिया का है, और अब सच्चाई की खोज राष्ट्रीय मीडिया में नहीं कर सोशल मीडिया में की जाती है.