Ranchi- मामू (मघ्य प्रदेश) की सरकार में भाजपा कार्यकर्ता परवेश शुक्ला के द्वारा एक आदिवासी युवक दशमत रावत के सिर पेशाब करना भाजपा को भारी पड़ने लगा है. 2024 के महासंग्राम के ठीक पहले बैठे बिठाये विपक्ष को एक मुद्दा मिल गया है. अब इस मुद्दे के पर सियासत भी तेज होती नजर आने लगी है, इस पेशाब कांड को दलित-आदिवासी अस्मिता से जोड़ कर देखा जाने लगा है, पूरे देश के दलित-आदिवासी संगठनों में इस कांड के बाद बवाल है, इसकी अनुगूंज सड़कों पर सुनाई देने लगी है.
विपक्ष अब इस मुद्दों को दलित आदिवासियों के बीच ले जाने की तैयारियों में जुट गया है, इस पेशाब कांड को भाजपा के चाल चलन और चरित्र से जोड़ कर प्रचारित किया जा रहा है. खास कर आदिवासी बहुल राज्यों में यह मामला कुछ ज्यादा ही तूल पकड़ता दिख रहा है.ट
किन -किन राज्यों में भाजपा को करना पड़ सकता है विरोध का सामना
ध्यान रहे कि 2011 की जनगणना के अनुसार भारत में अनुसूचित जनजाति की आबादी करीबन 10.45 करोड़ है जो कुल आबादी का लगभग 8.6% है. मध्य प्रदेश सबसे अधिक आदिवासी बहुल राज्य है, जबकि इसके निकटवर्ती झारखंड, छत्तीसगढ़ के साथ ही पंजाब और अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड, मिजोरम, मेघालय, दादर एवं नागर हवेली और लक्षद्वीप में इनकी बड़ी आबादी है. साफ है कि यदि यह मामला जोर पकड़ता है तो इसका नुकसान भाजपा को 2024 में उठाना होगा.
भाजपा ने परवेश शुक्ला को भाजपा कार्यकर्ता मानने से किया इंकार
हालांकि इसका वीडियो आने के बाद भाजपा की ओर से पहले इसे नकारने की कोशिश की गयी, दावा किया गया कि परवेश शुक्ला भाजपा कार्यकर्ता नहीं है, लेकिन बाद में कई दूसरे वीडियो भी सामने आ गये, जिसमें उसे वहां के स्थानीय भाजपा विधायक का विधायक प्रतिनिधि बताया गया, कई पोस्टर भी सामने आये, जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने आनन फानन में पीड़ित दशमत रावत का सीएम आवास बुलाया और उसके पैर धोयें. इसके साथ ही परवेश शुक्ला के घर पर बुलडोजर चलाने का दावा भी किया गया, लेकिन तब तक देर हो चुकी थी, और यह खबर सोशल मीडिया के माध्यम से अखबारों की सुर्खियां बन चुका था.
बाबूलाल मरांडी को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठते ही शुरु हुआ यह बवाल
जैसे भी यह खबर झारखंड पहुंची यहां भी सियासत शुरु हो गयी. अभी अभी एक लम्बे अर्से के बाद भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को प्रदेश की कमान सौंप कर इस बात को आश्वस्त हो रही थी कि बाबूलाल के चेहरे को सामने रख पर आदिवासी मतों को धुर्वीकरण में कामयाब होगी, लेकिन जब तक बाबूलाल कमान संभालते भाजपा का पेशाब कांड सामने आ चुका था. और आदिवासी संगठन भाजपा कार्यालय की ओर कूच कर चुके थें.