रांची(RANCHI) आज हेमंत सरकार की कैबिनेट की बैठक है, ठीक इसके बाद विधान सभा का शीतकालीन सत्र की शुरुआत होनी है, माना जा रहा है कि इस शीतकालीन सत्र में हेमंत सरकार कई गंभीर मुद्दों पर विधेयक लाने की तैयारी में है, इसलिए आज की कैबिनेट की बैठक को बहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. माना जा रहा कि आज की कैबिनेट की बैठक में खतियान आधारित स्थानीयता नीति, पिछड़ों और दूसरे वंचित सामाजिक समूहों के आरक्षण में विस्तार, झारखंड मॉब लिंचिंग विधेयक और जैन विश्वविद्यालय विधेयक को कैबिनेट की स्वीकृति प्रदान की जा सकती है.
इन विधेयकों को पहले भी राजभवन के भेज चुकी है हेमंत सरकार
ध्यान रहे कि इन विधेयकों को पहले भी राजभवन को भेजा गया था, लेकिन राजभवन के द्वारा इन सभी विधेयकों पर कोई ना कोई आपत्ति दर्ज कर वापस भेज दिया गया. जिसके बाद राज्य सरकार और राजभवन के बीच तलवार भी खिंची नजर आयी. सीएम हेमंत सोरेन यहां तक कह दिया था कि कानून बनाने की जिम्मेवारी निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को होती है, यह हमारा काम है, राजभवन के द्वारा इसमें अंड़गा डाल जाना उचित नहीं है.
आदिवासी मूलवासियों से जुड़े विधेयकों में अड़ंगा लगाती है भाजपा
सत्ता पक्ष का दावा कि जिस किसी भी विधेयक का संबंध यहां के आदिवासी मूलवासियों से जुड़ा होता है, उसका सरोकरा उनके हक हकुकू से होता है, भाजपा के इशारे पर उसे वापस भेजा जाता है, दावा किया जा रहा है कि हेमंत सरकार किसी भी कीमत पर अपने कोर मुद्दे से भटकने को तैयार नहीं है, इसलिए उसकी कोशिश उन सभी विधेयकों को उसके मूल स्वरुप में बगैर कोई छेड़छाड़ किये एक बार फिर से राजभवन भेजने की है,ताकि राजभवन पर अपनी मुहर लगाने के लिए संवैधानिक रुप से बाध्य हो.
ध्यान रहे कि जब भी किसी विधेयक को दुबारा राजभवन के पास भेजा जाता है, तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 200 तहत राजभवन को उस पर मुहर लगाने की बाध्यता होती है. हेमंत सरकार इसी तरकीब को आजमाना चाहती है. हालांकि जानकारों का मानना है कि यदि राज्यपाल को यह महसूस होता कि विधेयक या उसका कोई प्रावधान उच्च न्यायालय के किसी फैसले के विपरीत तो राज्यपाल भारतीय संविधान का अनुच्छेद के तहत 201 के तहत वह उस बिल को राष्ट्रपति के पास अनुशंसा के लिए भेज सकते हैं.