Ranchi- झारखंड के महामहिम के रुप में अनपी नियुक्ति के बाद से ही राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन लगातार राज्य के भ्रमण पर है, राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन इसे जनता और राजभवन के बीच दूरियों को पाटने की पहल बता रहे हैं. उनका कहना है कि एक राज्यपाल को जनता की समस्याओं से दो चार होना ही चाहिए, जब तक वह जमीन पर नहीं उतरेगा, लोगों से संवाद नहीं करेगा, राज्य के बुनियादी समस्याओं की उसे समझ नहीं होगी.
क्या यह आदर्श स्थिति आज की राजनीति का आदर्श है?
अपने राज्य भ्रमण को लेकर यह महामहिम की समझ हैं, लेकिन यह तो राजनीति है, यहां तो हर किसी की एक एक गतिविधि को राजनीति के चश्में से ही देखी जाती है. हालांकि आदर्श स्थिति तो यह है कि राज्यपाल कोई राजनीतिक पद नहीं है, राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रधान होता है, किसी भी दल से उसका कोई सरोकार नहीं होता, वह तो निरपेक्ष होता है, जहां नागरिक के साथ समान व्यवहार होता है, लेकिन क्या यह आदर्श स्थिति आज की राजनीति का आदर्श है? इसको लेकर सबों को अपने अपने नजरीये हैं. अपनी अपनी राय है.
राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन के दौरे पर सवाल
यही कारण है कि राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन के इस राज्य भ्रमण पर अब सवालों के ढेर खड़े होने लगे हैं. इस ताबड़तोड़ दौरे पर सवाल खड़ा करते हुए झामुमो ने कहा है कि यह लाट साहब का जनता के प्रति अपनत्व नहीं है. इसकी वजह 2024 का लोकसभा चुनाव है. यह उसी रणभेरी का संकेत है. लाट साहब अपने काम में लग गये हैं.
लाट साहब के पास तो समय ही समय
झामुमो केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि लाट साहब के पास तो समय ही समय है. राजभवन के पास संसाधन की भी कोई नहीं है. तो 2024 के पहले दौरा होना भी लाजमी है. और यह हाल सिर्फ झारखंड की हो ऐसी बात नहीं है, जहां जहां भी गैर भाजपा दलों की सरकार है, राजभवन काफी रेस नजर आ रहा है, उनकी गतिविधियां अचानक से काफी तेज हो गयी है. वे लोगों से मुलाकातों का सिलसिला बढ़ा रहे हैं, उन्हे अचानक से जनता की फिक्र सताने लगी है.
2024 के पहले सक्रिय दिखने लगा राजभवन
यही कारण है कि अब राज्यपाल जिलों में ताबड़तोड़ दौरा कर रहे है. यह हाल सिर्फ झारखंड के राजभवन का नहीं है. जहां जहां भी गैर भाजपा दलों की सरकार है वहां राजभवन काफी सक्रिय दिखने लगता है. उन्होंने कहा कि राज्यपाल के दौरे 2024 चुनाव की आहाट है. नहीं तो क्या कारण है कि अब राज्यभवन में कंट्रोल रुप खुल रहा है, राजभवन में सूचनाओं को एकत्रित किया जा रहा है. आखिर राज्यभवन को इन कामों का करने का इशारा कौन कर रहा है? इसे समझना कोई रॉकेट साइंस तो नहीं है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने दावा किया है कि राजभवन अब केन्द्रीय सरकार का महज एक टूल भर रह गया है, उसकी आदर्श स्थिति अब समाप्त हो चुकी है, हर राज्य में राज्यपाल अब केन्द्रीय सरकार के एजेंट के रुप में अपने दायित्व का निर्वाह कर रहे हैं.